आईवीएफ उपचार की आवश्यकता किसे और कब होती है?

इनफर्टिलिटी के कई कारन हो सकते है। महिला और पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी समस्या हो सकती है। किसी एक में या दोनों में कौनसी समस्याए मौजूद है और वन्ध्यत्व समस्या की गंभीरता कितनी है, इसे ध्यान रखते हुए डॉक्टर्स आपको पर्सनलाइज ट्रीटमेंट प्लान देते है। आपका ''माँ-पापा बनाने का सपना पूरा हो'' यही ट्रीटमेंट का उद्देश्य होता है।

Share This Post

असिस्टेड रीप्रोडक्टीव्ह टेक्नोलॉजी (ART) में, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) अधिक लोकप्रिय एवं आमतौर पर उपयोग किए जानेवाली और अधिकतम सक्सेस देनेवाली तकनीक है। वन्ध्यत्व समस्या से जुंज रहे दम्पति के लिए IVF माँ-पापा बनने का एक रास्ता है।

इस लेख का उद्देश्य आईवीएफ के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालना है, यह पता लगाना है कि इस इनफर्टिलिटी उपचार से किसे लाभ हो सकता है।

इनफर्टिलिटी के कई कारन हो सकते है। महिला और पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी समस्या हो सकती है। किसी एक में या दोनों में कौनसी समस्याए मौजूद है और वन्ध्यत्व समस्या की गंभीरता कितनी है, इसे ध्यान रखते हुए डॉक्टर्स आपको ट्रीटमेंट प्लान देते है। आपका ”माँ-पापा बनाने का सपना पूरा हो” यही ट्रीटमेंट का उद्देश्य होता है।

फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में फर्टिलिटी मेडिसिन्स, ओवुलेशन इंडक्शन, IUI, बेसिक IVF, एडवांस IVF जैसे अन्य उपचार होते है। आपकी समस्या और आवश्यकता अनुरूप सही ट्रीटमेंट प्लान का सुझाव डॉक्टर्स देते है। 

महिलाओं में ऐसी समस्याए होनेपर IVF मदतगाऱ है।

  1. Pcod / Pcos : पीसीओडी समस्या में महिलाओं में पुरुष हार्मोन्स की मात्रा बढ़ती है और मासिक धर्म अनियमित होता है।ओव्हरीज कई सारे अपरिपक्व एग्ज छोड़ने लगती है, जिससे प्रेग्नेंसी में कठिनाई होती है। ऐसे में IVF ट्रीटमेंट की मदत से ७० % गर्भधारण की संभावना होती है। 
  2. फाइब्रॉइड्स : यूटेरस में कई जगह बढ़्नेवाले फाइब्रॉइड्स से कभी-कभी कंसेप्शन में दिक्कत होती है, तो कई बार बच्चे की बढ़ौती में समस्या होती है। खासकर जब फाइब्रॉइड्स फैलोपियन ट्यूब के नजदीक होते है और ट्यूब पर प्रेशर डालते है तब कंसेप्शन नहीं हो पाता। और जब फाइब्रॉइड सर्विक्स एरिया में होते है तब शुक्राणु गर्भाशय में प्रवेश नहीं कर पाते। फाइब्रॉइड्स के कारन वन्ध्यत्व या IUI फेल्युअर का अनुभव हो, तो इन स्थितियों में IVF अच्छे रिज़ल्ट देता है।
  3. रीप्रोडक्टीव्ह ऑर्गन नहीं होना : जन्मजात ओव्हरी या फैलोपियन ट्यूब जैसे रीप्रोडक्टीव्ह ऑर्गन्स नहीं होनेपर गर्भधारण के लिए IVF एकमेव ऑप्शन रह जाता है, जो पोजिटिव्ह रिज़ल्ट देने में सक्षम है।
  4. फैलोपियन ट्यूब से जुडी समस्याएँ : दोनों फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होनेपर आपका कंसीव होना असंभव हो जाता है। फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होनेपर शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब में उपस्थित एग्ज तक नहीं पहुँच पाते, जिससे फर्टिलाइज़ेशन समस्या उत्पन्न होती है। ऐसे में IVF आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है।
    • इंफेक्शन की वजह से फैलोपियन ट्यूब से पानी निकलकर यूटेरस में आता है, तो ऐसी स्थिति में बच्चा ठहरने में (Implantation) मुश्किल होती है, और वन्ध्यत्व समस्या उत्पन्न होती है। ऐसे में फैलोपियन ट्यूब को डिलिंकिंग करना जरुरी होता है। ऐसे में गर्भधारण के लिए IVF एकमेव पर्याय रह जाता है।
  5. मेनोपॉज के बाद : मेनोपॉज यानि की मासिक धर्म का रुक जाना। मेनोपॉज ४५-५० की आयु में होता है, तब महिलाओं में डायबिटीज, बीपी या यूटेरस से जुडी कई समस्याए होने की सम्भावना होती है। साथ ही ओवरियन रिझर्व्ह कम हो जाता है। इस स्थिति में फर्टिलिटी मेडिसिन्स के साथ आपका मासिक धर्म फिरसे शुरू करना संभव है। इसके बाद IVF की मदत से गर्भधारण की सम्भावना बढ़ जाती है।
  6. प्रायमरी ओवरियन सिंड्रोम (POI) : प्रायमरी ओवरियन सिंड्रोम में ओव्हरीज सही ढंग से काम करना बंद करता है। एग्ज रिलीज नहीं होते है। मासिक धर्म अनियमित होता है। ऐसी महिलाओं में मेनोपॉज की स्थिति जल्दी आति है। ऐसे में सही समय IVF का डिसीजन आपको पोजिटिव्ह रिज़ल्ट दे सकता है।
  7. इन्फेक्शन्स, PID : कई तरीके के इन्फेक्शन्स से रीप्रोडक्टीव्ह ऑर्गन्स की सेहत ख़राब हो जाती है। वजायनल इन्फेक्शन्स से शुक्राणु को यूटेरस में तैरके जाने में दिक्कत होती है। पुरुषों में इन्फेक्शन्स की वजह से शुक्राणु में पस सेल्स पाए जाते है; जिससे स्पर्म क्वालिटी ख़राब होती है। जब ऐसी स्थिति में IUI भी पोजिटिव्ह रिज़ल्ट देने में असक्षम रहता है, तब IVF बेटर रिज़ल्ट देनेवाला ऑप्शन होता है।
  8. एंडोमेट्रिओसिस : इस स्थिति में गर्भाशय का अस्तर गर्भाशय के बहार बढ़ने लगता है। जब एंडोमेट्रिओसिस मॉडरेट से सीव्हीअर स्टेज में होता है, तब चॉकलेट सिस्ट बनते है, साथ ही प्रजोत्पादक अवयव एक दूसरे से चिपके हुए नजर आते है। ऐसे आसंजन (Adesions) से प्रजोत्पादक अवयव की काम करने की क्षमता कम हो जाती है। एंडोमेट्रिओसिस का इलाज करने पर भी बार-बार होनेवाली यह बीमारी है। ऐसे में IVF अच्छे रिज़ल्ट देने में सक्षम है।
  9. एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का इतिहास : एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के केसेस में फैलोपियन ट्यूब में बना गर्भ गर्भाशय में आने की बजाय ट्यूब में बढ़ना शुरू कर देता है। ऐसा गर्भ माँ का जीवन संकट में डालता है। और यह गर्भ निकालना जरुरी होता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की हिस्टरी होनेपर फिरसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने की सम्भावना होती है। ऐसे में IVF करना जरुरी होता है।
  10. मिस्करेजेस हिस्ट्री : मल्टिपल मिसकैरेज हिस्टरी होनेपर एडवांस IVF तकनीक से सक्सेसफुल प्रेग्नेंसी संभव है।
  11. IUI फेल्युअर का इतिहास : यदि आपको मल्टिपल IUI फेल्युअर का अनुभव है तो, IVF आपके लिए सही ऑप्शन है। बिना वक्त गवाए IVF ट्रीटमेंट का चयन आपके सक्सेस के चांसेस बढ़ा देता है।
  12. अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी : जब सारे रिपोर्ट्स नॉर्मल होते है, वन्ध्यत्व समस्या का कारन डॉक्टर्स समझ नहीं पाते लेकिन इनफर्टिलिटी समस्या मौजूद होती है। ऐसे में IVF से गर्भधारण की सम्भावना अधिक होती है।
  13. पिट्यूटरी ट्यूमर या इंडोक्राइन डिसऑर्डर्स से सेक्स्युअल हार्मोन रिलीज नहीं हो पाते और फर्टिलिटी समस्या निर्माण होती है। ऐसे में कुछ दवाइयों के साथ IVF ट्रीटमेंट अच्छे रिज़ल्ट देता है।

पुरुषो में ऐसी फर्टिलिटी से जुडी समस्याए हो तो IVF मदतगार है।

पुरुषों में अलग अलग तरीके के स्पर्म एबनॉर्मलिटी की वजह से इनफर्टिलिटी समस्याए उत्पन्न होती होती है। इन्फेक्शन्स या हार्मोनल इम्बैलेंस जैसी समस्याओं के लिए दवाइया और IUI ट्रीटमेंट मदतगार होती है।

निचे बताई गई समस्याओं में IVF करना जरुरी होता है।

जैसे की,

  1. ऑब्स्ट्रक्टिव्ह एज़ूस्पर्मिया : ऐसे केसेस में स्पर्म प्रोडक्शन होता है लेकिन ऑब्स्ट्रक्शन की वहज से स्पर्म बाहर निकल नहीं पाते। ऐसे में बेसिक IVF या एडवांस IVF की मदत से प्रेग्नेंसी संभव है। TESE, माइक्रो TESE, PESA जैसे एडवांस स्पर्म रिट्राइव्हल तकनीक की मदत से स्पर्म निकालकर लैब में फर्टिलाइज किए जाते है।
  2. लो स्पर्म काउंट : ओलिगोज़ूस्पर्मिया केसेस में स्पर्म की संख्या कम होता है।  जब लो स्पर्म काउंट के साथ क्वालिटी भी कम होती है तब IVF से अच्छे रिज़ल्ट मिलते है।
  3. लो मोटिलिटी : स्पर्म की गति या हलचल कम होती है तब स्पर्म्स एग्ज तक का सफर पूरा नहीं कर पाते। कभी कभी अच्छी हलचल नहीं होने से स्पर्म को एग फर्टिलाइज करने में परेशानी होती है। ऐसे में IVF प्रक्रिया में स्पर्म और एग लैब में निषेचित किए जाते है।
  4. लो मॉर्फोलॉजी : स्पर्म का हेड, नेक और टेल की संरचना में एबनॉर्मलिटी होती है, तब स्पर्म एग को फर्टिलाइज नहीं कर पाता। ऐसे में एडवांस IVF तकनीक मदतगार है। ICSI, IMSI, PICSI की मदत से स्पर्म को एग में इंजेक्ट किया जाता है। ऐसे केसेस में IVF बेस्ट रिज़ल्ट देनेवाला ऑप्शन होता है।
  5. सेक्स्युअल डिस्फंक्शन : इंटरकोर्स दरम्यान दर्द (Pain Disorder), एज्यक्युलेशन से जुडी समस्याए (Erectile Dysfunction, Early Ejaculation), लैंगिक उत्तेजना कम होना (Arousal disorders), Orgasm disorders जैसी सेक्स्युअल डिस्फंक्शन केसेस में IVF उपचार का चयन किया जा सकता है।

अन्य कंडीशंस में IVF मदतगार है।

कुछ स्थितियों के आपके एक्सपर्ट फर्टिलिटी डॉक्टर से परामर्श करके आप IVF और एडवांस IVF टेक्निक का चयन कर सकते है।

  1. यदि प्रेग्नेंसी पोस्टपोन करना चाहती है :
    • पढ़ाई या करियर की वजह से यदि आप जल्दी माँ बनना नहीं चाहती है तो Cryopreservation तकनीक से एग्ज फ्रिज कराकर जब चाहे तब IVF करके माँ बन सकती है।
  2. कैंसर की बीमारी / रेडिओथेरपी/ कीमोथेरपी :
    • कीमो थेरपी या रेडिएशन थेरपी से स्पर्म या एग्ज की क्वालिटी खराब होती है। ऐसी थेरपी शुरू करने से पहले Cryopreservation तकनीक से एग्ज फ्रिज करना संभव है। बीमारी ठीक होने के बाद आप IVF की मदत से गर्भधारण कर सकते है।
  3. जेनेटिक डिसॉर्डर :
    • PGT-M टेक्निक की मदत से अनुवांशिक बीमारियों का संक्रमण बच्चे में रोकना संभव है।
  4. सिंगल पैरेंट भी IVF तकनीक की मदत ले सकते है।
  5. अधिक आयु में (low ovarian reserve) :
    • जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, प्रजनन क्षमता कम होने लगती है, खासकर महिलाओं में। बढ़ती उम्र के साथ ओवरियन रिझर्व्ह यानि एग्ज की गुणवत्ता और संख्या कम हो जाती है। यही कारण है कि एक निश्चित उम्र के बाद गर्भधारण करने की कोशिश करने वालों के लिए आईवीएफ एक अच्छा रिज़ल्ट देनेवाला ऑप्शन होता है।

IVF के फायदे

  • आधुनिक फर्टिलिटी उपचार से स्वस्थ बच्चे की संभावना बढ़ती है।
  • IVF उपचार से पॉजिटिव्ह रिज़ल्ट की संभवना मिलती है। 
  • IVF प्रक्रिया में इनफर्टिलिटी का सटीक निदान और उपचार किया जाता है। 
  • सिंगल पैरेंट को भी गर्भधारण सम्भव है। 
  • मुश्किल से मुश्किल इनफर्टिलिटी समस्या का हल IVF उपचार से मिलता है। 
  • ना की वन्ध्यत्व समस्या में, बल्कि कुछअन्य स्थितियों में IVF का चयन किया जा सकता है।

अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न:

IVF उपचार क्या है?

जवाब : IVF एक फर्टिलिटी उपचार है जहां एक स्त्रीबीज को शरीर के बाहर प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है। सफल गर्भावस्था की उम्मीद के लिए इस निषेचित भ्रूण (Embryo) को फिर से गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।

IVF सक्सेस रेट क्या है?

जवाब : IVF सफलता दर अनेक घटको पर निर्भर करता है। जैसे की, आपकी आयु, मेडिकल कंडीशन, ट्रांसफर किए जानेवाले एम्ब्रियो की संख्या आदि। सक्सेसफुल IVF के लिए आपकी अपेक्षाएँ और फिजिकल-मेन्टल कंडीशन के बारे में डॉक्टर से परामर्श करे।

प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर में उपस्थित अनुभवी और तज्ञ डॉक्टर्स, एडवांस टेक्नोलॉजी, एक छत के निचे उपलब्ध सारी सुविधाओं के साथ हाय सक्सेस रेट देने में सक्षम है। प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर की मदत से आज तक हजारो कपल्स को पॉजिटिव्ह रिज़ल्ट मिले है। यहाँ ट्रीटमेंट लेनेवाले कपल्स यहाँ की पोजिटिव्हिटी महसूस करते है। साथ ही स्टाफ के अच्छे व्यवहार के बारे में बया करते है। 

Subscribe To Our Newsletter

Get updates and learn from the best

More To Explore

एनओव्यूलेशन (Anovulation) : पहचान, कारण और इलाज

एनओव्यूलेशन (Anovulation) एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिला के मासिक चक्र (period cycle) के दौरान ओव्यूलेशन नहीं होता है, यानी कोई अंडाणु (egg) रिलीज नहीं होता। इस स्थिति में गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि अंडाणु के बिना गर्भधारण संभव नहीं होता।

Essential Nutrients Your Body Needs When Pregnant

During pregnancy, you provide all of the nutrition your baby requires. As a result, you may need more nutrients in your body while you’re pregnant. Taking prenatal vitamins and eating healthy foods will help you get all the nutrients you and your baby require throughout your pregnancy.