अधिक वजन प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है ? जानिए प्रभाव और उपाय 

obesity and decreased fertility | मोटापा और घटती प्रजनन क्षमता
बांझपन के कई कारण हो सकते है, जैसे आपकी बढ़ती उम्र, कुछ मेडिकल या बायोलॉजिकल कंडीशंस और बदलती जीवनशैली। बदलती जीवनशैली के कारण कई कपल्स में गलत खान-पान के वजह से मुख्यता मोटापे की समस्या देखी जाती है। मोटापा (obesity) न सिर्फ आपके हृदय, स्वास्थ, या हड्डियों पर जोर देता है बल्कि आपकी फर्टिलिटी हेल्थ को भी प्रभावित करता है।

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मोटापा और घटती प्रजनन क्षमता

बांझपन के कई कारण हो सकते है, जैसे आपकी बढ़ती उम्र, कुछ मेडिकल या बायोलॉजिकल कंडीशंस और बदलती जीवनशैली। बदलती जीवनशैली के कारण कई कपल्स में गलत खान-पान के वजह से मुख्यता मोटापे की समस्या देखी जाती है। मोटापा (obesity) न सिर्फ आपके हृदय, स्वास्थ, या हड्डियों पर जोर देता है बल्कि आपकी फर्टिलिटी हेल्थ को भी प्रभावित करता है। 

इसमें ये प्रश्न उत्पन्न होना स्वाभाविक है के केवल शरीर पर एक्स्ट्रा फैट होने से प्रजनन क्षमता पर कैसे असर पड़ सकता है? 

डॉक्टर सोनाली मालगांवकर, प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर की सीनियर फर्टिलिटी कंसल्टेंट कहती है, के “मोटापा और आपकी प्रजनन क्षमता में एक अजीब सा कनेक्शन है। ये कहना मुश्किल है के इन में से कोनसी घटना दूसरी समस्या को ट्रिगर करती है। 

मोटापा शरीर में अलग-अलग प्रकार के बदलाव लाता है जो जनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता हैं। इससे महिलाओ में  इन्फ्लेमेशन और मिस्कैरेज का खतरा बढ़ता है, साथ ही हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से अन्य समस्याएं जैसे PCOD/ PCOS का खतरा रहता है। इसी तरह पुरुषो में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप के साथ हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की गिरावट, शुक्राणुओं की संख्या और क्षमता में कमी होने के साथ इरेक्शन सम्बंधित समस्याएं भी देखी जाती है।” 

आपको मोटा कब माना जाता है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO के अनुसार, BMI (बॉडी मास इंडेक्स) यदि 25 kg/m2 से अधिक है तो आप अधिक वजन की श्रेणी में आते हैं। जबकि यही आकड़ा यदि 30 kg/m2  से अधिक हो तो इसे मोटापा (obesity definition) कहा जाता है।

BMI का पता लगाने के लिए व्यक्ति के वजन को किलोग्राम में और ऊंचाई को मीटर में मापा जाता है। फिर BMI फार्मूले के अनुसार वजन को ऊंचाई से विभाजित किया जाता है। 

बीएमआई टेबल (BMI chart)

यदि आपकी उम्र 20 या 20  से अधिक है तो आप इस बीएमआई (obesity bmi) मूल्यों के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुझाये गए टेबल का उपयोग कर सकते है।

वर्गीकरण बीएमआई रेंज kg/m2
गंभीर पतलापन <16
मध्यम पतलापन16 – 17
हल्का पतलापन 17 – 18.5
सामान्य18.5 – 25
अधिक वजन 25 – 30
मोटापा स्टेज I30 – 35
मोटापा स्टेज II35 – 40
मोटापा स्टेज III> 40

क्या मोटे होने से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है? (obesity and infertility)

जी हाँ, मोटे होने से प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। मोटापा आपकी बढ़ती उम्र के साथ अधिक खतरनाक हो सकता है। वजन बढ़ते समय शरीर में उत्पन्न होने वाले विभिन्न हार्मोन के स्तर में बदलाव होते हैं, जो प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।

अधिक वजन से शरीर पर अधिक अशुद्ध फैट जमा होता है, जो रक्त संचार को प्रभावित कर सकता है। इससे अंडाशयों और शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करने वाली रक्त वाहिनिया भी प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, उच्च वजन से टेस्टोस्टेरोन (पुरुष स्त्रोत हार्मोन) के स्तर में भी कमी हो जाती है, जो पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। 

अधिक वजन होने से प्रजनन क्षमता क्यों प्रभावित होती है?

अधिक वजन प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता हैं। जैसे:

  • हार्मोन अस्तिरता:  मोटापे के वजह से कई केसेस में हार्मोन स्तर की बढ़त होती है, जो अधिक अंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) के स्तर को उत्पन्न करती है। इसके अलावा, अधिक वजन वाले लोगों में इंसुलिन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के स्तर में भी वृद्धि होती है जो उनके प्रजनन संबंधी समस्याओं को बढ़ाती है।
  • पोलिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम: अधिक वजन के साथ ही महिलाओं में पोलिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) का खतरा बढ़ता है, जो प्रजनन संबंधी समस्याओं का मुख्य कारण है।
  • इंसुलिन रेजिस्टेंस  की समस्या: अधिक वजन के साथ एक और समस्या जुड़ी हुई है, जो है इंसुलिन रेजिस्टेंस। इस स्थिति में, शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं करता है और यह डायबिटीज का आधार बनता है जो पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर महिलाओ में गर्भधारण की समस्याएं और प्रेग्नेंसी में बाधाएं ला सकता है। 

मोटापा महिला प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है? (obesity and pregnancy)

  • इन्फ्लेमेशन का खतरा: मोटापा स्त्री के शरीर में अधिक तेल जमा करता है, जिससे उन्हें इन्फ्लेमेशन होने लगता है। यह इन्फ्लेमेशन उनके गर्भाशय और अंडाशय की जगह तक पहुंचता है जो उनके अंडों के विकास और उत्पादन में अस्थिरता उत्पन्न करता है।
  • अंडाशय के रोग: मोटापा अंडाशय संबंधी रोगों जैसे पोलिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (PCOS) को बढ़ावा देता है जिसमें अंडाशय में घने ऊतक (tissues)  का अधिक संचय होता है, जिससे अंडों के निर्माण और विकास में देरी होती है।
  • गर्भाशय में सूजन: मोटापा गर्भाशय संबंधी समस्याओं जैसे गर्भाशय के अंगों में सूजन हो जाती है, जिससे  गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है और गर्भाशय में गर्भ नहीं पल पता।इससे कई कपल्स को   मिस्कैरेज का सामना करना पड़ता है।
  • हार्मोनल विकृतियां: मोटापा महिलाओं में अतिरिक्त वजन के कारण अधिक विषमता उत्पन्न करता है जो अंडाशय व गर्भाशय से संबंधित हार्मोन विकृतियों को बढ़ावा देता है।

साथ ही अन्य समस्याएं जैसे: 

  • अण्डाशय में सूजन या पोलिप्स की समस्या।
  • विवेक धीमा होना जिससे अंडों का उत्पादन धीमा हो जाता है।
  • अंडों की गति धीमी हो जाती है जिससे उन्हें उत्पादन करने में देरी होती है।
  • अण्डाशय के आकार में बदलाव जो उनके अंडों की विकास और उत्पादन में अस्थिरता उत्पन्न करता है।

मोटापा पुरुष प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है?

  • शुक्राणु की संख्या में कमी: वजन का अधिक होना पुरुषों में शुक्राणुओं के उत्पादन में रूकावट डाल सकता है जिससे शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। जो पुरुष प्रजनन क्षमता को कम कर सकता है।
  • शुक्राणु की गति में कमी: मोटापा पुरुषो में शुक्राणुओं की गति को प्रभावित करता है। अगर शुक्राणु ठीक से तैर नहीं पाएंगे तो उनके अंडे तक जाने और उसे फलित करने की  क्षमता प्रभावित हो सकती है। जिससे गर्भधारण की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • हार्मोनल इम्बैलेंस : मोटापा पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन के स्तर को कम कर सकता है। जिससे पुरुष प्रजनन क्षमता में गिरावट देखी जाती है। 
  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED): मोटापे से पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इरेक्शन सम्बंधित समस्याएं मोटापे के कारन पुरुषो में होने वाली बढ़ती समस्या है।

साथ ही अन्य समस्याएं जैसे: 

  • बढ़ी हुई चर्म रोगों के जोखिम। 
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप। 
  • पुरुषों में अपने स्तंभन शक्ति का नुकसान। 
  • बढ़े हुए दिल के रोग।  

मोटापे के प्रजनन क्षमता पर होने वाले नुकसान (complications of obesity)

  • ओवुलेशन या अंडाशय की गतिविधियों पर प्रभाव। 
  • टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन में गिरावट।
  • शुक्राणुओं की संख्या, उत्पादन, और गतिविधि पर नकरत्मक्त परिणाम। 
  • पीरियड्स का अनियमित होना। 
  • फर्टिलाइजेशन की समस्याएं।  
  • भ्रूण के विकास में परेशानी।  
  • मिस्कैरेज का खतरा।  
  • गर्भावस्था दौरान कॉम्प्लीकेशन्स।  
  • गर्भावस्था दौरान डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, प्री-एक्लैंपसिया की समस्याएं होना।   
  • प्रसव के दौरान सीजेरियन की संभावना। 

 मोटापे से उत्पन होने वाली अन्य समस्याएं (obesity health risks)

  • उच्च रक्तचाप।
  • हृदयरोग
  • डायबिटीज।
  • अर्थराइटिस।
  • अस्थमा।
  • श्मश्रु रोग।
  • श्वसन संबंधी रोग
  • शारीरिक अस्थमा

मोटापे से कैसे निपटा जा सकता है?

यदि आप गर्भधारण की कोशिश कर रही है और आपको प्रजनन संबंधी समस्याएं हो रही हैं तो आपको स्वस्थ वजन रखने की सलाह देते है। 

आप एक निदर्शित आहार प्लान अनुसरण कर सकते हैं, जिसमें ताजे फल और सब्जियां, अश्वत्थमा, दूध, दही, संतरा, अखरोट, बादाम, इत्यादि शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा रोजाना व्यायाम और योग भी आपकी मदत कर सकते है।  

इसी  के साथ-साथ, योगासनों के अभ्यास से आप अपनी श्वसन तंत्र को भी सुधार सकते हैं, जो आपके शरीर की संतुलितता को बढ़ाता है।

स्वस्थ वजन कैसे बनाये रखे?

  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • स्वस्थ खाने की आदतें अपनाएं। 
  • प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की मात्रा कम करें।
  • पर्याप्त नींद लें।
  • तंबाकू और शराब से दूर रहें। 
  • समय-समय पर अपना वजन चेक करें। 
  • स्ट्रेस कम करें।

मोटापा और स्वस्थ गर्भधारण 

ये सच है के मोटापे के कारण गर्भधारण में कई दिक्कते आ सकती है। पर गर्भधारण नामुमकिन नहीं। क्या आप जानते है यदि आप वजन नियंत्रित रखते है आपके गर्भधारण के चांसेस कई गुना बढ़ जाते है। वजन नियंत्रित कर अन्य समस्याओ का निवारण कर आपको एडवांस फर्टिलिटी तकनीकों और डॉक्टरों के योग्य मार्गदर्शन से गर्भधारण संभव है। ये प्रक्रिया लम्बी जरुर है, और गर्भधारण में अधिक समय भी लग सकता है। परंतु गर्भधारण संभव है। 

FAQs

क्या मोटापा बांझपन की ओर ले जाता है?

उत्तर: मोटापे से ग्रस्त दंपति की गर्भधारण की क्षमता प्रभावित हो सकती है। वास्तव में, अमेरिकन सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन (ASRM) का कहना है कि छह प्रतिशत महिलाओं में मोटापा प्रजनन संबंधी संघर्ष का कारण है, जो पहली बार गर्भधारण की कोशीश कर रही थी।

क्या मोटापे में प्रेग्नेंसी संभव है? 

उत्तर: BMI का ज्यादा होना आपकी प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है। यहां तक ​​कि उन महिलाओं में भी जिनमे नियमित रूप से ओवुलेशन होता है। बीएमआई जितना अधिक होगा, गर्भवती होने में उतना ही अधिक समय लग सकता है। यदि IVF की बात करे तो बिना वजन नियंत्रित करे IVF ट्रीटमेंट भी असफल होने के केसेस देखे गए है। 

प्रेग्नेंट होने के लिए मुझे कितना वेट होना सही है?

उत्तर: प्रेग्नेंट होने के लिए सही बीएमआई 18.5 और 24.9 के बीच है। इसे स्वस्थ श्रेणी के रूप में जाना जाता है। यदि आपका बीएमआई उच्च है, तो बच्चे के लिए प्रयास करने से पहले इसे स्वस्थ सीमा के करीब लाने से आपको गर्भधारण करने में मदद मिलेगी और साथ ही आपके भविष्य की गर्भावस्था और बच्चे के स्वास्थ्य को भी कोई खतरा नहीं रहेगा। 

प्रेगनेंसी से पहले कब वजन कम करना चाहिए?

उत्तर: प्रेगनेंसी से कम से कम 3 महीने पहले यदि आप वजन कम करने का प्रयास करती है तो आपके गर्भधारण की संभावना में सुधार हो सकता है। पुरुषो में शुक्राणुओं के विकास में लगभग 3 महीने लगते हैं और यदि आपका प्रयास ३ महीने से जारी है तो स्वस्थ शुक्राणु विकसित होने में मदद मिलती है। साथ ही आपकी स्तिथि के अनुसार डॉक्टर से परामर्श कर सही रूटीन फॉलो करना हमेशा फायदेमंद रहेगा। 

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