गर्भावस्था के लिए प्रायमरी फर्टिलिटी इलाज : ‘ओव्यूलेशन इंडक्शन ट्रीटमेंट’

‘इनफर्टिलिटी' जो की दुनियाभर के लाखो जोड़ों की समस्या बन गई है। जिनमें से ओवुलेशन समस्या इनफर्टिलिटी एक मुख्य कारन है। फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में सबसे पहला और प्राथमिक इलाज है 'ओव्यूलेशन इंडक्शन'। लेकिन इस उपचार के लिए जोड़े की उम्र, इनफर्टिलिटी का अवधि, इनफर्टिलिटी की समस्याएं, मेडिकल हिस्टरी को ध्यान में रखा जाता है। तो ओव्यूलेशन इंडक्शन क्या है,और किसे करना चाहिए, सक्सेस रेट ऐसी और जानकारी के लिए ब्लॉग अंत तक पढ़ें।

Share This Post

ओव्यूलेशन क्या है?

जब ओवरीज में फॉलिकल्स बढ़ते है, विकसित होते है, और बाद में फुटकर इनमे से स्त्रीबीज निकलता है और अंडाशय से बहार निकलता है। अंडाशय से स्त्रीबीज निकलने की इस प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते है।

‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ क्या है?

‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ एक प्रायमरी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है; जो उन महिलाओं को गर्भधारण करने में मददगार है जिनमें ओव्यूलेशन की समस्या मौजूद है। ओव्यूलेशन इंडक्शन ट्रीटमेंट में दवाइया या इंजेक्शन की मदत से ओवुलेशन को बढ़ावा दिया जाता है। जिस माध्यम से स्त्रीबीजों का अच्छे से और पूरी तरह विकास होता है। इसे मेडिकल भाषा में ‘ओवरियन स्टिम्युलेशन’ कहा जाता है।

गर्भावस्था में ‘ओवुलेशन इंडक्शन’ का महत्त्व :

‘ओवुलेशन इंडक्शन ट्रीटमेंट’ में क्लोमीफीन साइट्रेट या लेट्रोज़ोल जैसी दवाए या इंजेक्शन का इस्तेमाल कर के ‘ओवरियन स्टिम्युलेशन’ किया जाता है। स्टिम्युलेशन की इस प्रक्रिया में एक से अधिक स्त्रीबीजों का एकसाथ विकास होता है और स्त्रीबीज पूर्ण रूप से विकसित होते है। इस तरह फर्टिलाइज़ेशन के लिए अधिक स्त्रीबीज उपलब्ध किए जाते है। अधिक स्त्रीबीज यानि गर्भधारण की सम्भावना भी अधिक होती है।

‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ प्रक्रिया

‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ उपचार की औसत अवधि 12 से 16 दिन है।

  1. कन्सल्टेशन : ‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ में किसी भी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का सुझाव देने से पहले आपके केस का ‘डिटेल स्टडी’ किया जाता है।  इन डेप्थ इव्हाल्युएशन’ किया जाता है। आपकी उम्र, शारीरिक स्थिति, इनफर्टिलिटी की समस्या, इनफर्टिलिटी का अवधि जैसी अन्य जानकारी के अनुसार आपको प्रभावी इलाज सुझाया जाता है। कंसल्टेशन के बाद आप ओवुलेशन इंडक्शन के लिए फिट है या नहीं इसका अंदाजा डॉक्टर लगाते है। यदि आपकी आयु कम है, आप युवा है, और आपको सौम्य तरीके की वन्ध्यत्व समस्या है, या फिर आपके इनफर्टिलिटी का कारन नहीं समझ रहा है (अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी), PCOS जैसी ओवुलेशन में दिक्कत करनेवाली बीमारी है तब ‘ओवुलेशन इंडक्शन’ का सुझाव दिया जाता है।
  2. मेडिसिन : मासिक धर्म शुरू होनेपर ‘ओवुलेशन इंडक्शन ट्रीटमेंट’ शुरू होती है। मासिक धर्म के पहले दिन से गिना जाए तो, पहले पांच दिन में दवाइयां शुरू करते है। प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता के अनुसार डोसेज और दवाएं भिन्न हो सकती हैं। दवाओं में क्लोमिड या लेट्रोज़ोल जैसी दवाएं, या गोनैडोट्रॉफ़िन जैसे इंजेक्शन शामिल हो सकते हैं। ये दवाएं अंडाशय को उत्तेजित करती हैं और एक समय में कई फॉलिकल्स को बढ़ने के लिए बढ़ावा देती है। 10 वें दिन से लेकर 20-22 वें दिन तक कभी भी ओवुलेशन हो सकता है।
  3. हार्मोन के स्तर की निगरानी (मॉनिटरिंग) : स्टिम्युलेशन की दी गई दवाए अपना काम कर रही है की नहीं, यह जानने के लिए डॉक्टर कुछ ब्लड टेस्ट करेंगे। जिससे हार्मोन के स्तर का पता चलेगा।
  4. फॉलिक्युलर स्टडी किंवा अल्ट्रासाउंड मॉनिटरिंग : ये एक ही प्रक्रिया के दो अलग-अलग नाम हैं। ‘ओवरीयन स्टिम्युलेशन’ के माध्यम से अंडाशय विकसित होते हैं, डॉक्टर समय-समय पर अल्ट्रासाउंड की मदद से निगरानी करते हैं। फॉलिक्युलर स्टडी के लिए आपको कई बार क्लिनिक जाना पड़ता है। फॉलिक्युलर स्टडी की मदत से ‘फॉलिक्युलर फूटने का समय’ और ‘ओवुलेशन’ का समय ट्रैक किया जाता है।

‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ आणि प्लॅन्ड सेक्श्युअल रिलेशनशिप’ उपचार

इस उपचार में, डॉक्टर आपके ओवुलेशन को बढ़ावा देकर ओवुलेशन पीरियड को अल्ट्रासाउंड के जरिए ट्रैक करते है। ओवुलेशन के २ दिन पहले और ओवुलेशन के दिन ऐसे ३ दिनों में एक महिला गर्भधारण कर सकती है। अल्ट्रासाउंड की मदत से डॉक्टर आपको ओवुलेशन पीरिएड के दौरान सेक्श्युअल रिलेशन रखने की सलाह देते है। इस तरीके से आप प्राकृतिक तरीके से गर्भाधारण कर सकते है।

‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ उपचार किसे करना चाहिए?

  1. एनोव्यूलेशन समस्या : इस स्थिति में ओव्यूलेशन अनुपस्थित होता है। स्त्रीबीज निकलने की प्रक्रिया अंडाशय बिलकुल भी नहीं करते। ऐसा कई कारणों से हो सकता है जैसे – हार्मोनल असंतुलन, तनाव, अत्यधिक व्यायाम, मोटापा या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)। ऐसे मामलों में ओव्यूलेशन इंडक्शन एक प्रभावी उपचार है।
  2. पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOD/PCOS) : पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जहां कई अंडाशय में कई सारे फॉलिकल्स आंशिक रूप से विकसित होते हैं। इसलिए, कोई भी स्त्रीबीज निषेचन के लिए तैयार नहीं है। ऐसे मामले में, ‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ के जरिए स्त्रीबीजों का पूर्ण विकास संभव है।
  3. प्रिमॅच्युअर ओवॅरियन इन्साफीशिअन्सी (POI) : यह एक ऐसी स्थिति है जहां एक महिला के अंडाशय 40 वर्ष की आयु से पहले काम करना बंद कर देते हैं। ओवुलेशन न होने के कारन माहवारी बंद हो जाती है। इसे समयपूर्व रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के रूप में भी जाना जाता है। आनुवंशिक विकार, ऑटोइम्यून विकार, कैंसर का इलाज POI के लिए जिम्मेदार होते है। इस स्थिति में हार्मोन रिप्लेसमेंट (HRT) और ‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ एक प्रभावी उपचार हैं। इससे असफल रहनेपर IVF से निश्चित रूप से गर्भधारण हो सकता है।
  4. एनएक्सप्लेन्ड इन्फर्टिलिटी : यह एक ऐसी स्थिति है जहां तमाम टेस्ट कराने के बावजूद इनफर्टिलिटी का कारण पता नहीं चलता। इनफर्टिलिटी समस्या अतिसूक्ष्म होने के कारन इसका पता नहीं चलता और निदान नहीं हो पता है, लेकिन समस्या मौजूद होती हो। ऐसे कपल्स को ‘ओवुलेशन इंडक्शन ट्रीटमेंट’ फायदेमंद होती है।
  5. ओव्यूलेटरी डिसफंक्शन : जब अंडाशय नियमित रूप से काम नहीं कर रहे हों, तो ओव्यूलेशन इंडक्शन उपचार से गर्भावस्था संभव है।
  6. अनियमित पीरियड्स वाली महिलाओं में गर्भधारण के लिए ‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ एक प्रभावी उपचार है।

अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न :

‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ की सक्सेस रेट कितनी है?

युवा जोड़ों में ‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ की सफलता दर सबसे अधिक है। यदि महिलाओं में ओवरियन रिझर्व्ह नॉर्मल है और पुरुषों में सीमेन पॅरामीटर्स नॉर्मल हैं और कोई अन्य गंभीर वन्ध्यत्व समस्या नहीं है, तो ‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ का सक्सेस रेट ज्यादा होता है। इस उपचार की कुल सफलता दर लगभग ८-१०% प्रति चक्र है।

‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ उपचार को सफल बनाने के लिए क्या करना चाहिए?

सफल ‘ओव्यूलेशन इंडक्शन’ के लिए :
– दवाइयां समय पर लें
– तनाव मुक्त रहें
– व्यसन से दूर रहे 
– पौष्टिक भोजन का सेवन करें
– भरपूर पानी का सेवन करे

क्या ‘ओव्यूलेशन इंडक्शन ट्रीटमेंट’ इनफर्टिलिटी का सामना कर रहे हर जोड़े के लिए उपयुक्त है?

नहीं। अनओव्यूलेशन, ओव्यूलेटरी डिसफंक्शन या अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी के केसेस में ‘ओवुलेशन इंडक्शन’ गर्भधारण का एक प्रभावी इलाज है। इसके विपरीत गंभीर इनफर्टिलिटी समस्याओं के लिए IUI, IVF या प्रगत IVF तंत्रो की आवश्यकता होती है।

Subscribe To Our Newsletter

Get updates and learn from the best

More To Explore

एनओव्यूलेशन (Anovulation) : पहचान, कारण और इलाज

एनओव्यूलेशन (Anovulation) एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिला के मासिक चक्र (period cycle) के दौरान ओव्यूलेशन नहीं होता है, यानी कोई अंडाणु (egg) रिलीज नहीं होता। इस स्थिति में गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि अंडाणु के बिना गर्भधारण संभव नहीं होता।

Essential Nutrients Your Body Needs When Pregnant

During pregnancy, you provide all of the nutrition your baby requires. As a result, you may need more nutrients in your body while you’re pregnant. Taking prenatal vitamins and eating healthy foods will help you get all the nutrients you and your baby require throughout your pregnancy.