उच्च रक्तचाप, हाइपरटेंशन और इनफर्टिलिटी
ब्लड प्रेशर या हायपर टेंशन एक ब्लड वेन्स से जुडी बीमारी है और इससे फर्टिलिटी हेल्थ प्रभावित होती हैं। ब्लड प्रेशर महिला एवं पुरुष दोनों के फर्टिलिटी स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। यदि आप उच्च रक्तचाप के साथ परिवार शुरू करने की योजना बना रहे हैं, या आपको गर्भधारण करने में परेशानी है, तो इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अवश्य ब्लॉग पढ़े।
महिलाओं के रीप्रोडक्टीव्ह अंगों पर ब्लड प्रेशर या हायपरटेंशन का प्रभाव :
- रक्त वाहिका को नुकसान (Damage Blood Vessels) : हाई ब्लड प्रेशर, अंडाशय और गर्भाशय को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचाता है। जिस कारन फर्टिलिटी स्वास्थ्य में गिरावट के साथ साथ इनफर्टिलिटी का अनुभव हो सकता है।
- गर्भाशय संबंधी समस्याएं : गर्भाशय को होनेवाला ब्लड सप्लाय यदि डिस्टर्ब हो जाए तो गर्भाशय से जुडी समस्याए होती है। एंडोमेट्रियम ठीक से नहीं बनता है, एम्ब्रियो इम्प्लांटेशन फेल हो सकता है, या फिर इम्प्लांटेशन के बाद बच्चे को अच्छे से ब्लड सप्लाय नहीं होनेसे बच्चे का विकास ठीक से नहीं होता है।
- ओव्यूलेशन डिसऑर्डर : रक्तचाप महिलाओं में ओव्यूलेशन विकार पैदा कर सकता है। ओवुलेशन यानि अंडाशय से स्त्रीबीज निकलने की प्रक्रिया। गर्भावस्था और नियमित मासिक धर्म में ओव्यूलेशन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- PCOS : हाई ब्लड प्रेशर वाली महिलाओं में PCOS या अन्य ओवुलेशन समस्या होने की सम्भावना अधिक होती है। ओवुलेशन समस्या में स्त्रीबीज बढ़ने, फूटने या ओवुलेट होने की प्रक्रिया में बाधा होती है। इस कारन गर्भावस्था में परेशानी होती है, क्यों की ओवुलेशन गर्भधारण के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया होती है।
पुरुषों के रीप्रोडक्टीव्ह अंगों पर ब्लड प्रेशर या हायपरटेंशन का प्रभाव :
- शुक्राणु संबंधी समस्याएं : उच्च रक्तचाप वाले पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता प्रभावित होती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि, हाई ब्लड प्रेशर शुक्राणु उत्पादन को कम कर सकता है। शुक्राणु की क्वालिटी (मोटिलिटी और मॉर्फोलॉजी) ख़राब हो सकती है। इस कारन शुक्राणु की स्त्रीबीज में प्रवेश करने की और निषेचन करने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। और इनफर्टिलिटी समस्या का सामना करना पड़ता है।
- इरेक्शन की समस्या : हाई ब्लड प्रेशर पुरुषों में इरेक्शन की समस्या (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) का कारण बन सकता है। रक्त वाहिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से इरेक्शन संबंधी समस्याएं होती हैं।
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन और डैमेज रक्त वाहिका : हाई ब्लड प्रेशर रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और रीप्रोडक्टीव्ह अंगो में रक्त के प्रवाह को कम या प्रतिबंधित कर सकता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण स्खलन की समस्या होती है और प्राकृतिक गर्भधारण में कठिनाई होती है।
हायपरटेन्शन और ब्लड प्रेशर के रिस्क फैक्टर :
- ह्रदय या अन्य रीप्रोडक्टीव्ह अंगो को रक्त की आपूर्ति करनेवाली ‘ब्लड सप्लाय सिस्टिम’ प्रभावित होती है।
- रक्तवाहिकाओं पर तनाव बढ़ने के कारन माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरा बढ़ सकता है।
- फर्टिलिटी क्षमता कम होती है।
- गर्भधारण में परेशानी या इनफर्टिलिटी की समस्या होती है।
- यदि आप गर्भधारण कर लेते है तब भी गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म तक का समय माँ और बच्चे के लिए जोखिम भरा होता है।
- इसका असर शिशु के विकास पर भी पड़ सकता है।
- पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान ‘प्रीक्लेम्पसिया’ विकसित हो सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्तचाप अधिक बढ़ जाता है और किडनी, लिवर के साथ अन्य अंगों पर प्रभाव डालता है। ]
- उच्च रक्तचाप में गर्भपात (miscarriage) का भी खतरा होता है।
- सेक्श्युअल डिसफंक्शन : नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, उच्च रक्तचाप वाले पुरुषों में सामान्य पुरुषों की तुलना में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की संभावना अधिक होती है। इसी तरह, उच्च रक्तचाप वाली महिलाओं में व्हजायनल ल्युब्रिकेशन कम होना या यौनइच्छा में कमी होना ऐसे लक्षण दिखाई देते है।
हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन की स्थिति में गर्भावस्था संभव है?
हाँ। कुछ खबरदारी लेनेपर, लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन और फर्टिलिटी डॉक्टर से सलाह लेनेपर गर्भावस्था संभव है।
गर्भावस्था के लिए इलाज :
१) मेडिकेशन और लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन : सामान्य मामलों में, दवा से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करके इनफर्टिलिटी का इलाज करना संभव है जीवनशैली में सुधार करके और दवा से रक्तचाप को नियंत्रित करके गर्भधारण किया जा सकता है। इस समय आपकी उम्र, वजन और जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए ‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ के डॉक्टर आपको उचित सुझाव देंगे और मार्गदर्शन करेंगे।
२) फर्टिलिटी ट्रीटमेंट : हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी के कारन आप गर्भधारण नहीं कर पा रहे है तो, IVF या ICSI, IMSI, PICSI, PGD, PGS, LAH जैसे आधुनिक IVF इलाज कराके गर्भधारण कर सकते है।
लेकिन हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में कंसेप्शन आपकी जित नहीं है। यह बात को ध्यान रखना जरुरी है की, उच्च रक्तचाप स्थिति में गर्भावस्था दौरान जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, रक्तचाप गंभीर रूप धरना कर सकता है। माता और बच्चे के स्वस्थ्य के लिए समय-समय पर मॉनिटरिंग करना, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखना और डॉक्टर की सलाह अनुसार इलाज शुरू रखना जरुरी है।
अच्छे और आधुनिक टर्शरी केअर सेंटर मध्ये फर्टिलिटी इलाज करनेपर आप निश्चित रूप से माता-पिता बन सकते है।
३) सरोगसी : अधिक गंभीर मामलों में सरोगेसी एक उपचार विकल्प है। सरोगसी में भी बच्चा आपका ही होता है। फर्क सिर्फ इतना है की, कमजोर शारीरिक स्थिति के कारण आप बच्चे को पालने के लिए दूसरी महिला की कोख उधार लेती हैं। इस उपचार प्रक्रिया में माता के स्त्रीबीज और पिता के शुक्राणु का उपयोग करके लैब में एक भ्रूण बनाया जाता है और इस भ्रूण को माँ के बजाय किसी अन्य महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है। जन्म के बाद आपका बच्चा कानूनी तौर पर आपको सौंप दिया जाता है।
हाइपरटेंशन के साथ गर्भधारण की सम्भावना ऐसे बढ़ाए :
१) स्ट्रेस रिडक्शन टेक्निक्स : तनाव कम करने की कई तकनीकें हैं, जिनका उपयोग गर्भावस्था के दौरान सकारात्मक परिणाम पाने के लिए किया जा सकता है। जैसे की, – योगा , मेडिटेशन, दीर्घ श्वसन, प्राणायाम, हायड्रोथेरेपी, म्यूजिक थेरपी, अरोमा थेरपी आदि। गंभीर तनाव के लिए ‘माइंड बॉडी इनफर्टिलिटी प्रोग्राम’ की मदद ले सकते हैं।
२) संतुलित आहार और व्यायाम : स्वस्थ और पौष्टिक भोजन करें। साथ ही नियमित और पर्याप्त व्यायाम करने से रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न :
हाई ब्लड प्रेशर के साथ माँ बनना सुरक्षित है?
हाई ब्लड प्रेशर के साथ माँ बनना जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन घबराए नहीं। उचित मेडिकल ट्रीटमेंट के साथ सुरक्षित और स्वस्थ गर्भावस्था संभव है। रक्तचाप की निगरानी, जीवनशैली में बदलाव और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करने से माँ और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर की दवा बंद कर देनी चाहिए?
यदि आपको दवा के बारे में कोई संदेह है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करना फायदेमंद रहेगा। डॉक्टर आपके लिए सुरक्षित दवाएं सुझाएंगे।