Pregnant kaise hote hai? प्रेग्नन्ट कैसे होते है?

Pregnant kaise hote hai | प्रेग्नन्ट कैसे होते है?
Pregnant kaise hote hai? जब आप गर्भधारण का प्रयास करते है, तब कई सारे शुक्राणु महिला के सर्विक्स से होकर यूटेरस में प्रवेश करते है। गर्भधारण के लिए केवल एक शुक्राणु की जरुरत होती है। अच्छी प्रोग्रेसिव्ह मोटिलिटी और मॉर्फोलॉजिकली अच्छे क्वालिटी के शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब में उपस्थित ओवम (स्त्रीबीज) तक का सफर पूरा करते है। और केवल एक शुक्राणु महिला के एग को फर्टिलाइज करता है। ये वो वक्त है जब आप कंसीव करते है। यानि गर्भाधान होता है।

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गर्भाधान के लिए ओवुलेशन काल में इंटरकोर्स होना जरुरी होता है। यह वो काल है जब ओव्हरीज निषेचन के लिए मॅच्यूअर एग्ज रिलीज करती है। फंब्रिया इन एग्ज को उठाकर फैलोपियन ट्यूब में लाते है। यही कंसेप्शन प्रक्रिया होती है।

प्रेगनेंसी के लिए सबसे महत्वपूर्ण

ओवरी क्या है?

हर महिला के शरीर में गर्भाशय के दोनों तरफ २ ओव्हरीज होती है। जिसे अंडाशय भी कहा जाता है। यह एक रीप्रोडक्टीव्ह ऑर्गन है। ओव्हरीज में लाखो स्त्रीबीज होते है। ओवरी उनमेसे एक-एक एग को परिपक्व कराकर छोड़ने का काम करती है। यानि की ओव्हरीज एग रिलीज करने का काम करती है। GnRh-गोनाडोट्रोपिन हार्मोन ओव्हरीज को एग्ज रिलीज करने हेतु ट्रिगर करता है। एग्ज रिलीज के वक्त एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का निर्माण होता है। जो गर्भावस्था में महत्वपूर्ण होते है।

फैलोपियन ट्यूब क्या है? 

फैलोपियन ट्यूब यानि गर्भनलिका। यह महिलाओंका एक रीप्रोडक्टीव्ह ऑर्गन है। गर्भधारण प्रक्रिया में फैलोपियन ट्यूब का विशेष महत्त्व है। स्पर्म से ओवुम फर्टिलाइज़ होकर गर्भ बनने की प्रक्रिया इन्ही फैलोपियन ट्यूब में होती है। गर्भाशय के दोनों बाजु में ओव्हरीज होते है। ऊपर की ओर दोनों तरफ गर्भाशय और ओव्हरीज को जोड़नेवाली नाजुक नलिकांए होती है, जिन्हे फैलोपियन ट्यूब के नाम से जाना जाता है। ट्यूब के आगे धागों की तरह दिखनेवाली कोशिकाएँ होती है जिन्ही ‘फंब्रिया’ कहा जाता है। यह फंब्रिया एग्ज निगलकर फैलोपियन ट्यूब में लाने का काम करते है।

गर्भाशय

गर्भाशय यानि यूटेरस। इसका आकार पेअर नाम के फल की तरह होता है। यूटेरस वो रीप्रोडक्टीव्ह ऑर्गन है जहाँ भ्रूण इम्प्लांटेशन और बच्चे का विकास होता है। फैलोपियन ट्यूब में बना हुआ भ्रूण लगभग ५ दिन बाद गर्भाशय में प्रवेश करता है; फिर गर्भाशय के अंदर की परत (एंडोमेट्रियम) में इम्प्लांट होनेके बाद ९ महीने तक यही पलता है। गर्भाशय के अंदर ३ लेयर होते है। जिनको एंडोमेट्रियम, मायोमेट्रियम और परिमेट्रियम कहा जाता है।

सर्विक्स

सर्विक्स को गर्भाशय ग्रीवा या गर्भाशय का मुख भी कहा जाता है। स्पर्म यूटेरस में जाने का यह एक मार्ग रहता है। जिसे जननमार्ग भी कहा जाता है।

प्रेग्नेंसी में मासिक धर्म और हार्मोनल कार्य

आम तोर पर मासिक धर्म चक्र २८ दिनों का होता है। इसमें ३ चरण होते है।

  1. फॉलिक्युलर फेज : मासिक धर्म के पहले दिनसे शुरू होता है। इस दौरान फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) रिलीज होते है, जो ओव्हरीज को ज्यादातर एग्ज रिलीज करने हेतु ट्रिगर करते है। साथ ही एस्ट्रोजेन हार्मोन की मात्रा बढ़ती है। इस दौरान एक फॉलिकल मच्यूअर होता है।
  2. ओवुलेटरी फेज : ल्यूटेनाइज़िंग हार्मोन की मात्रा और ज्यादा बढ़ती है। फिर ओव्हरीज एग रिलीज करती है। एग रिलीज होने की इस प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते है। ओवुलेटरी फेज मासिक धर्म के १४ वा दिन होती है। इस दौरान व्हाइट सर्विकल म्यूकस में वृद्धि होती है, जो शुक्राणु को तैरकर प्रवास करने और पोषण करने में सहायता करता है। ओवुलेटरी फेज गर्भधारण के लिए सुपीक काल रहता है।
  3. लुटियल फेज : ओवुलेशन के बाद अगला मासिक धर्म आने तक का काल यानि लुटियल फेज. एग रिलीज होने के बाद यह एक नयी संरचना में विकसित होता है , जिसे ‘कॉर्पस ल्यूटियम’ कहा जाता है। इस दौरान कॉर्पस ल्यूटियम प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का निर्माण करता है। यह हार्मोन भ्रूण प्रत्यारोपण और विकास के लिए यूटेरियन लायनिंग (एंडोमेट्रियम) बनाते है। यदि कंसेप्शन हुआ है तो प्रेग्नेंसी प्रक्रिया आरम्भ होती है। इसके विपरीत कंसेप्शन ना होनेपर मासिक धर्म शुरू होता है। एंडोमेट्रियम रक्तस्त्राव से साथ टुकड़ों के स्वरुप में निकल जाता है, और अगले चरण के लिए व्यवस्था बनाई जाती हो।

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IVF के द्वारा करे गर्भधारण

IVF यानि इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन। यह एक प्रकार की सहायक प्रजनन तकनीक है जिसे ‘ART-असिस्टेड रीप्रोडक्टीव्ह टेक्नोलॉजी’ भी कहा जाता है। इसका उपयोग कर ऐसे सभी दम्पति माँ-पापा बनने का सुख प्राप्त कर सकते है, जिन्हे गर्भधारण में परेशानी है। या फिर ऐसे दम्पति जिन्हे कंसीव करने में तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन गर्भ ठहरने में (इम्प्लांटेशन) समस्या है या फिर मिसकैरेज का अनुभव है।

IVF में फर्टिलिटी मेडिसिन्स का उपयोग कर ‘ओवरियन स्टिमुलेशन’ किया जाता है। सही समय पर ‘मच्यूअर फॉलिकल्स कलेक्ट’ किए जाते है। इसी वक्त मेल पार्टनर के ‘शुक्राणु कलेक्ट’ किए जाते है। लैब में ‘स्पर्म से ओवम फर्टिलाइज’ कर ‘एम्ब्रियो फॉर्मेशन’ किया जाता है। बनाया गया भ्रूण महिला के शरीर में ‘ट्रांसफर’ किया जाता है। इस प्रक्रिया को IVF या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहते है।

‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ IVF के लिए क्यों एक अच्छा विकल्प है

  • यदि आप IVF कि सोच रहे हैं, तो ‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ निश्चित रूप से एक अच्छा विकल्प है।
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  • IVF प्रक्रिया सक्सेसफुल, तथा तनावमुक्त बनाने का काम प्रोजेनेसिस करता है।

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अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न:

इन्फर्टिलिटी की समस्या में गर्भधारण के लिए सबसे अच्छा विकल्प क्या है?

जवाब : IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सबसे लोकप्रिय, व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली और सबसे आशाजनक तकनीक है।

प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर क्यों चुनें?

जवाब : प्रजनन क्षमता और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्यापक अनुभव के साथ, प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक ‘व्यक्तिगत उपचार योजना’ तैयार करते हैं, जो पॉजिटीव्ह रिझल्ट कि हमी देता है। माता-पिता बनने की यात्रा में ‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ सबसे अच्छा विकल्प है।

‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ का सफलता दर क्या है?

जवाब : प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर 80-85% की उच्चतम सफलता दर प्रदान करता है।

प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर कि शाखाएँ कहा है?

प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर की महाराष्ट्र में 3 शाखाएँ संचालित हैं। ठाणे, पुणे और नासिक में तीन जगह प्रोजेनेसिस केंद्र हैं। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: +91 942 397 1620 / +91 703 094 4041

प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर की रेटिंग क्या है?

प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर महाराष्ट्र का सबसे अधिक गूगल रेटिंग (4.9) फर्टिलिटी सेंटर है।

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