पीरियड्स क्या है? जानिए मासिक धर्म चक्र से जुडी सभी जानकारी 

पीरियड्स क्या है | Periods in Hindi
प्यूबर्टी के दौरान लड़कियों में कई शारीरिक और भावनिक बदलाव होने लगते है, इन्ही बदलावों में से सबसे एहम बदलाव होता है पीरियड्स यानि माहवारी का शुरू होना। पीरियड्स हर लड़की के जीवन में एक विशिष्ट समय पर आते है। कुछ लड़कियों में जल्दी तो कुछ लड़कियों में देरी से, 11 वर्ष से 15 वर्ष की उम्र के बीच पीरियड्स का आना बीलकुल सामान्य बात है। 

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माहवारी की जानकरी होना हर लड़की के लिए जरुरी है. कईयों को पीरियड्स के बारे में पता तो है पर जानकारी और जागरूकता के आभाव के कारण कई बच्चियों में सम्भ्रम की स्तिथि देखि जाती है। आखिर पीरियड्स क्या है? क्यों आते है? पीरियड्स के दौरान क्या होता है? जैसे कई प्रश्नो के उत्तर जानना बेहद जरुरी है. इन्ही सभी प्रश्नो के उत्तर और आपका हर सम्भ्रम दूर करने के लिए प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर की सीनियर gynecologist और फर्टिलिटी कंसलटेंट डॉ. सोनाली मालगांवकर से आज हम पीरियड्स की जानकारी प्राप्त करेंगे।

पीरियड्स क्या है?

डॉ. सोनाली कहती है, “पीरियड्स यानि लड़कियों का योनावस्था में प्रवेश करना। इस दौरान लड़कियों में जनननांगो का विकास होना शुरू होता है और साथ ही उनका शरीर संभावित गर्भावस्था के लिए तैयार होने लगता है। इस दौरान ब्रैस्ट का विकास, अंदरुनी अंग और अंडरआर्म जैसी जगहों में बाल आना और ऊंचाई में बढ़ोतरी जैसे बदलाव देखे जाते है। पीरियड्स की अवस्था में लड़किया हर महीने करीबन ५ दिन तक ब्लीड करती है। आपकी योनि से लगातार करीबन ५ दिन तक ये रक्तस्त्राव जारी रहता है।”

अब आपको ये सवाल जरूर आया होगा के आखिर पीरियड्स आते क्यों है और ५ दिन तक लगतार ये रक्तस्त्राव क्यों होता है? आईये इसे समज़ते है। 

डॉ. सोनाली आगे बताती है, “पीरियड्स का योनावस्था में शुरू होना लड़कियों के शरीर में सही बदलाव और उनके स्वस्थ होने का संकेत है। इसीलिए इस बदलाव से घबराने की जरुरत नहीं।”

अब रहा सवाल, पीरियड्स क्यों होते है?

पीरियड्स क्यों होते है?

तो हम सब जानते है के लड़किया जन्म से ही एक विशिष्ठ अंडो की संख्या (egg reserve) लेकर पैदा होती है। योनावस्था यानि पीरियड्स के दौरान यही अंडे जिन्हे स्त्रीबीज भी कहा जाता है हर महीने एक-एक करके मच्योर होते है। हर महीने एक स्त्रीबीज आपके अंडाशय (ovaries) से निकलकर फॉलोपियन ट्यूब (fallopian tube) में फर्टिलाइज होने के लिए पोहोचता है, इसी दौरान आपका गर्भाशय (uterus) गर्भधारण के लिए खुदको तैयार करता है जिसमे गर्भाशय के लाइनिंग पर म्यूकस और खून से एक मोटी परत निर्माण होती है। जिससे यदि फर्टिलाइजेशन हो तो बना गर्भ आपके गर्भाशय से आसानी से जुड़ सके और स्वस्थ रित्या विकसित हो। 

परंतू यदि ये स्त्रीबीज या अंडा फर्टिलाइज नहीं हो पाया तो यही म्यूकस और खून के साथ महिला की योनि (vagina) से बाहर निकलता है जिससे महिला को ब्लीडिंग होती है। इसी ब्लीडिंग को पीरियड्स या माहवारी कहते है। 

पीएमएस क्या है?

तो डॉ. सोनाली मालगांवकर बताती है, ” PMS मतलब प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम। ये एक शारीरिक, भावनिक और व्यावहारिक लक्षणों की वो स्तिथि है जो मेंस्ट्रुअल साइकिल शुरू होने से पहले महिलाओ को महसूस होती है। मासिक धर्म से पहले 4 दिनों के दौरान महिलाओ में देखा जाता है और मासिक धर्म शुरू होने के 2 से 3 दिन बाद चला जाता है।” 

पीएमएस लक्षण की बात करे तो चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसे मानसिक लक्षणों के साथ स्तन दर्द या सूजन जैसे शारीरिक लक्षण मेहसूस हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी का सही समय, जानिए ओवुलेशन पीरियड क्या है?

पीरियड आने के लक्षण  (Periods ke Lakshan)

  • पीएमएस के लक्षण दिखना – 
  • मुहासे आना 
  • ब्लोटिंग या गैसेस होना 
  • सर दर होना 
  • पेट दर्द होना 

पीरियड्स शुरू होने के क्या संकेत हो सकते हैं?

जब किसी लड़की को पहली बार पीरियड्स आने वाले होते हैं, तो उसके शरीर में कुछ बदलाव दिखाई देने लगते हैं। सबसे पहले, ब्रेस्ट का विकास शुरू हो जाता है और उसके बाद शरीर में हल्की फुलावट और वजन में बदलाव महसूस हो सकता है। त्वचा पर मुहांसे आना, मूड स्विंग्स, बार-बार चिड़चिड़ापन या उदासी महसूस होना भी इसके संकेत हो सकते हैं। साथ ही, वाइट डिस्चार्ज (सफेद पानी) आना पीरियड्स शुरू होने का एक सामान्य संकेत माना जाता है। कुछ लड़कियों को पेट के निचले हिस्से में हल्का खिंचाव या दर्द भी महसूस हो सकता है। ये सभी बदलाव इस बात के संकेत होते हैं कि लड़की का शरीर मासिक धर्म के लिए तैयार हो रहा है।

पीरियड्स में क्या होता है?

Periods me kya hota hai? : मासिक धर्म या माहवारी के दौरान आपका शरीर आपके गर्भाशय (गर्भ) के बने अस्तर के मासिक निर्माण को योनि के मार्ग से शरीर से बहार रक्तस्त्राव के रूप में निकलता है। ये रक्तस्त्राव शुरवाती दिनों में अधिक तो अंतिम दिनों में कम होता है। 

साथ ही इस दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नामक हॉर्मोन  में कई उतार-चढाव आते है। ये वही हार्मोन्स है जो अंडाशय से स्त्रीबीज (एग) निकलने की प्रक्रिया की शुरवात करते है और महिलाओ की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते है। 

इसके अलावा इस स्तिथि में लड़कियों और महिलाओ को अन्य पीरियड्स प्रॉब्लम से गुजरना पड़ता है। जैसे:

  • दर्दभरे क्रैम्प्स। 
  • मूड स्विंग्स (भावनाएं तेजी से बदलना या उदास, क्रोधित या चिंतित महसूस करना)।
  • ऐंठन (आपके निचले पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द)।
  • ब्लोटिंग (जब आपका पेट फूला हुआ महसूस होता है)।
  • ब्रेकआउट्स (पिंपल्स होना)।
  • थकान महसूस होना।

पीरियड दर्द कैसे कम करें?

जैसे जैसे दिन गुजरते है पीरियड दर्द कम जरूर होता है पर यदि ये दर्द नियंत्रण से बाहर हो जाये और आपके रोजमरहा के कामो में रूकावट आये तो आप ये  कर सकती है।

  • गर्म पानी के बैग का इस्तेमाल करे।
  • गुनगुना पानी पीएं।
  • हो सके तो हलके व्यायाम करे।
  • डाइट में स्प्राउट्स, बिन्स, हरी पत्तेदार सब्जिओं और ताजे फलों को शामिल करे।  
  • डॉक्टर की सलाह से पेनकिलर भी ले सकती है। 

(यदि पेनकिलर से भी राहत न मिले तो अपने डॉक्टर से जल्द से जल्द सलाह ले।) 

यह भी पढ़ें: इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और प्रेग्नेंसी: हर महिला को जानना जरूरी!

पीरियड्स में क्या नहीं करें?

पीरियड्स के दौरान कुछ आदतें दर्द और असहजता को बढ़ा सकती हैं, इसलिए इन्हें करने से बचना चाहिए। 

• बहुत अधिक कैफीन या जंक फूड खाने से हार्मोनल असंतुलन और ब्लोटिंग की समस्या बढ़ सकती है। 

• एक्सरसाइज पूरी तरह से छोड़ना मांसपेशियों में जकड़न पैदा कर सकता है, इसलिए हल्का व्यायाम ज़रूरी है। 

• पर्याप्त पानी न पीने से शरीर में डिहाइड्रेशन और सिरदर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, बहुत अधिक स्ट्रेस लेने से पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं। 

• अंत में, अनहायजीनिक तरीके अपनाने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए पैड या टैम्पोन समय-समय पर बदलना बेहद ज़रूरी है।

पीरियड्स कितने दिन तक रहता है?

तो आखिर पीरियड कितने दिन तक रहते है? डॉ. सोनाली मालगांवकर कहती है, “सामान्य तोर पर पीरियड्स महिला को हर महीने ४-५ दिन तक रहते है. पर पीरियड सायकल (पीरियड के शुरू होने से लेकर अगले पीरियड के एक दिन पहले तक की अवधि)

हर महिला के लिए अलग होती है। सामान्यता ये सायकल २८ दिनों की होती है, पर कुछ महिलाओ में ये सायकल ३५ दिनों की भी हो सकती है।”  

यह भी पढ़ें: अनियमित ओवुलेशन की स्थिति में गर्भधारण कैसे करे?

मासिक धर्म चक्र के चरण

मासिक धर्म चक्र के चरण | menstruation cycle in Hindi

अनियमित पीरियड्स

चिंता की बात तब है जब आपके पीरियड्स अनियमित हो या आपको निचे बताये लक्षण महसूस हो। 

  • पीरियड सायकल २१ दिन से छोटी या ३५ दिनों से अधिक हो। 
  • ३ या अधिक महीनो में पीरियड्स न आना। 
  • मासिक चक्र का हर महीने बदल जाना।  
  • इर्रेगुलर ब्लीडिंग होना। 
  • पीरियड्स दौरान अत्यधिक या बहोत कम रक्तस्त्राव होना। 
  • पीरियड्स दौरान असहनीय दर्द होना। 

यदि ऊपर दिए गए लक्षणों में से एक भी लक्षण आप महसूस कर रही है तो जल्द से जल्द किसी अच्छे gynaecologist से संपर्क करे। वो आपकी स्तिथि नुसार सही ट्रीटमेंट देंगे। 

पर यदि आप अनियमित पीरियड्स के कारण गर्भधारण में कठिनाई महसूस कर रही है तो हम आपकी मदत कर सकते है ! PCOD और PCOS की कई कॉम्प्लिकेटेड केसेस में प्रोजेनेसिस ने सक्सेस पाया है।

अनियमित पीरियड्स के कारण 

अनियमित पीरियड्स की समस्या आज-कल आम बात हो चुकी है। आपकी माहवारी अनियमित होने के कई कारण हो सकते है। जैसे:

  • अचानक वजन के बढ़ने या घटने से।  
  • स्ट्रेस बढ़ना।  
  • अधिक जंक फ़ूड खाना।  
  • आहार में पोषण की कमी होना।  
  • थायरॉइड। 
  • बर्थ कंट्रोल पिल्स के कारण।  
  • PCOD / PCOS की समस्या होना।  

अनियमित पीरियड्स के उपाय

अनियमित पीरियड्स  होने पर आपके डॉक्टर ने सजेस्ट की हुई मेडिसिन्स के साथ लाइफस्टाइल में पॉजिटिव बदलाव लाने का सुझाव दिया जाता है। इसिके साथ हार्मोन थेरेपी का सुझाव भी दिया जाता है। अनियमित पीरियड्स अक्सर पेरीमेनोपॉज़ का संकेत हो सकते है तो हार्मोन थेरेपी यहाँ मददगार हो सकती है। हार्मोन थेरेपी से जुड़े साइड-इफ़ेक्ट भी हैं, इसलिए आगे बढ़ने से पहले अपने डॉक्टर के साथ चर्चा इस विषय पर चर्चा जरूर करें।

साथ ही 

  • अपने वजन का खास ध्यान रखे।   
  • मसाले वाली चीज़े कम खाये।   
  • रोज़ाना योगा और हल्का फुल्का व्यायाम करे।   
  • संतुलित आहार ले।   
  • एक अच्छी लाइफस्टाइल बनाये रखे।   

पीरियड्स के दौरान क्या करे और क्या न करे?

पीरियड्स में क्या करना चाहिएपीरियड्स में क्या नहीं करना चाहिए
पौष्टिक आहार लें। बहुत सारी हरी सब्जियां फल और डॉयफ्रुइट्स खाएं।तेज और मसालेदार पदार्थो से दूर रहे और जंकफुड, कोल्ड ड्रिंक्स न पिए।  
खुद को हाइड्रेटेड रखें। कैफीन, शराब या धूम्रपान न करे।
हल्का-फुल्का व्यायाम करे। अपनी नींद और भोजन स्किप न करे। 
अपने सैनिटरी पैड को नियमित रूप से बदलें।किसी भी वैजाइनल वॉश का इस्तेमाल न करें।
पीरियड्स के दौरान क्या करे और क्या न करे?

महिलाओं में पीरियड्स रुक क्यों जाते हैं?

जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है आपके अंडाशय से अंडो की संख्या कम हो जाती है। ४० की उम्र के बाद आपके मासिक धर्म लंबे या छोटे, भारी या हल्के, और कम हो जाते है. औसतन, 51 वर्ष की उम्र में आपके अंडाशय अंडे जारी करना बंद कर देते हैं, जिससे  पीरियड्स रुक जाते है। 

पीरियड के बंद होने की स्तिथि को मेनोपॉज/ रजोनिवृत्ति कहते है। 

पेरिमेनोपॉज क्या है?

पेरिमेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो तब होती है जब आपके अंडाशय धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। ओव्यूलेशन अनियमित हो सकता है और फिर रुक सकता है। पेरिमेनोपॉज की स्तिथि उन महिलाओ में देखी जाती है जो मेनोपॉज के करीब हो, जिनका एग रिज़र्व कम हो, या जिनमे PCOD/ PCOS जैसी  ओवुलेशन डिसऑर्डर हो। पेरिमनोपोज की औसत लंबाई लगभग चार साल है। कुछ लोग केवल कुछ महीनों के लिए इस चरण में हो सकते हैं, जबकि अन्य इस  में चार साल से अधिक समय लग सकता है। 

पीरियड बंद होने के लक्षण

  • अनियमित पीरियड्स।
  • एस्ट्रोजन की लेवल असमान रूप से घटना।
  • अचानक से शरीर में गर्मी महसूस होना (हॉट फ्लैश)।
  • नींद न आना। 
  • वजाइना में सूखापन महसूस होना। 
  • मूड स्विंग्स।
  • फर्टिलिटी का स्तर कम होना।

एमेनोरिया क्या है?

डॉ. सोनाली मालगांवकर कहती है, “एक महिला के मासिक धर्म की अनुपस्थिति को एमेनोरिया कहा जाता है। प्राथमिक एमेनोरिया तब होता है जब किसी लड़की को प्यूबर्टी के बाद भी पीरियड न आये पर वो प्यूबर्टी के दौरान होने वाले अन्य सामान्य परिवर्तनों से गुज़री है। माध्यमिक एमेनोरिया यानि सेकण्डरी एमेनोरिया इससे थोड़ा अलग है, सेकेंडरी एमेनोरिया की स्तिथि लगातार तीन या अधिक पीरियड्स की अनुपस्थिति को संदर्भित करती है। इन महिलाओं में पहले पीरियड्स आ चुके होते है पर बादमे पीरियड्स अचानक काम या बंद हो जाते है। 

ये स्तिथि मुख्यता महिलाओं की प्रजनन क्षमता को कम से ना के बराबर बना देती है, और इस स्तिथि में यदि आप माँ बनना चाहती है तो आपके लिए कई कॉम्प्लीकेशन्स उत्पन्न हो सकते है। मुश्किलें जरूर है पर नामुमकिन नहीं। 

पीरियड्स के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी होती है?

डॉ. सोनाली मालगांवकर कहती है, “आप यदि कोशिश करेंगे तो पीरियड के तुरंत बाद भी गर्भ ठहर सकता है। हालांकि, इसकी संभावना काफी कम है, पर ओवुलेशन के दिनों में मलतब पीरियड्स के १४ दिन बाद यदि आप कोशिश करेंगी तो आपके कंसीव करने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती है।”

पीरियड्स, ओवुलेशन और फर्टाइल समय 

पीरियड सायकल ओवुलेशनफर्टाइल समय 
35 दिन 21 वें दिन19, 20, 21 वें दिन
32 दिन 18 वें दिन16, 17, 18 वें दिन
28 दिन 14 वें दिन12, 13, 14 वें दिन
24 दिन 10 वें दिन8,9, 10 वें दिन
21 दिन7 वें दिन5, 6,7 वें दिन
पीरियड्स, ओवुलेशन और फर्टाइल समय 

FAQs

पीरियड्स में दर्द क्यों होता है?

आपके गर्भ के ऊतक ऐसे रसायन छोड़ते हैं जो दर्द को ट्रिगर करते हैं। जबकि आपका शरीर इन दर्द पैदा करने वाले रसायनों को छोड़ रहा है, यह प्रोस्टाग्लैंडीन नामक अन्य रसायनों का भी उत्पादन कर रहा है। ये गर्भ की मांसपेशियों को और अधिक सिकुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे पीरियड्स के दौरान दर्द का स्तर और बढ़ जाता है।

डिलीवरी के बाद पीरियड्स कब आते है?

यह सभी के लिए अलग-अलग होगा, लेकिन अधिकांश महिलाओं को डिलीवरी के लगभग 5-6 सप्ताह बाद फिर से पीरियड्स आना शुरू हो जाते है।

क्या पीरियड्स के दौरान प्रेग्नेंट हो सकते है?

आप यदि कोशिश करेंगे तो पीरियड के तुरंत बाद भी गर्भ ठहर सकता है। हालांकि, इसकी संभावना काफी कम है, लेकिन ये संभावनाएं पूरी तरह ख़त्म नहीं होती। आसान भाषा में कहे तो, ‘यदि आप पीरियड्स के दौरान अनप्रोटेक्टेड सेक्स करती है तो प्रेगनेंसी का खतरा रहता है।’ 

पीरियड्स में ब्लीडिंग कितने दिन तक होती है?

सामान्य पीरियड्स के दौरान आपको ३-५ दिन तक नॉर्मल ब्लीडिंग हो सकती है।

पीरियड आने की सही उम्र क्या है?

पीरियड्स कुछ लड़कियों में जल्दी तो कुछ लड़कियों में देरी से, 11 वर्ष से 15 वर्ष की उम्र के बीच पीरियड्स का आना बीलकुल सामान्य बात है। 

पीरियड साइकिल कैसे गिनी जाती है? 

पीरियड साइकिल को पीरियड के पहले दिन से अगले पीरियड के पहले दिन तक गिना जाता है। ये पीरियड हर महिला के लिए अलग होता है,  किसी के लिए २१ दिन की सायकल तो किसी के लिए ये सायकल ३५ दिनों की होती है।  

पीरियड मिस होने से पहले प्रेग्नेंसी के लक्षण क्या है?

– मूड स्विंग्स। 
– ब्लोटिंग। 
– लाइट स्पॉटिंग।
– ऐंठन। 
– कब्ज़।
– ब्रेस्ट में दर्द या भारीपन।

अनियमित पीरियड्स के लिए क्या करें?

संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें, और अधिक तनाव से बचें। अगर समस्या बनी रहती है तो डॉक्टर से संपर्क करें।

पीरियड्स लेट क्यों होते हैं?

हार्मोनल असंतुलन, स्ट्रेस, वजन में बदलाव, और PCOS जैसी स्थितियां पीरियड्स लेट होने का कारण हो सकती हैं।

पीरियड्स में क्रैम्प्स क्यों होते हैं?

गर्भाशय की मांसपेशियों के संकुचन और प्रोस्टाग्लैंडिन नामक हार्मोन के कारण पीरियड्स में ऐंठन होती है।

गर्भपात के बाद पीरियड्स कब आते हैं?

गर्भपात के 4 से 6 सप्ताह के भीतर पीरियड्स आ सकते हैं, लेकिन यह महिला के शरीर और हार्मोनल बैलेंस पर निर्भर करता है।

पीरियड्स कितने दिनों में आते हैं?

सामान्य पीरियड साइकिल 21 से 35 दिनों की होती है, लेकिन यह हर महिला के लिए अलग-अलग हो सकती है।

पीरियड्स से पहले स्तनों में दर्द क्यों होता है?

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में बदलाव के कारण स्तनों में सूजन और दर्द महसूस हो सकता है।

प्राकृतिक रूप से पीरियड्स को कैसे देर से लाएं?

पीरियड्स को देर से लाने के लिए कुछ महिलाएं हल्दी, पपीता या अधिक व्यायाम करने जैसे प्राकृतिक उपाय अपनाती हैं, लेकिन इसके प्रभाव व्यक्ति पर निर्भर करते हैं।

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