ओव्यूलेशन की समस्या और उनका समाधान

इस लेख में ओवुलेशन से जुडी समस्याए, ओवुलेशन न होने के कारन और इलाज के बारे में चर्चा की है। PCOS या हायपरप्रोलॅक्टिनेमिया जैसी ज्यादातर बढ़नेवाली बिमारियों के साथ जीवनशैली से जुडी समस्याए ओवुलेशन पर असर करती है।

Share This Post

सारांश : इस लेख में ओवुलेशन से जुडी समस्याए, ओवुलेशन न होने के कारन और इलाज के बारे में चर्चा की है। PCOS या हायपरप्रोलॅक्टिनेमिया जैसी ज्यादातर बढ़नेवाली बिमारियों के साथ जीवनशैली से जुडी समस्याए ओवुलेशन पर असर करती है। ओवुलेशन डिस्फंक्शन में फर्टिलिटी मेडिसिन से लेकर सर्जिकल ट्रीटमेंट और IUI, IVF कि मदत से गर्भधारण संभव है।

ओवुलेशन समस्या क्या है?

अंडाशय से एक विकसित एग निकलने की प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते है। यह एग फर्टिलाइज़ेशन के लिए तैयार होता है। जब अंडाशय एग रिलीज नहीं करता या अनियमित रूप से एग रिलीज करता है तो यह ओवुलेशन समस्या है। ओवुलेशन समस्या के अनेक कारक हो सकते है, जिससे फर्टिलाइज़ेशन समस्या होती है। और गर्भधारण में परेशानी होती है।

ओवुलेशन समस्या क्या है

ओवुलेशन से संबंधित बिमारीयाँ

  1. पोलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (PCOS) : PCOS हार्मोन असंतुलन का कारण बनता है, जो विशेष तौर पर ओवुलेशन को प्रभावित करता है। PCOS इंश्युलीन प्रतिरोध और मोटापे, चेहरे या शरीर पर असामान्य बालों का विकास और मुँहासे से जुड़ा हुआ है। यह महिला वन्ध्यत्व का सबसे आम कारण है।
  2. हाइपोथैलमिक डिस्फंक्शन : पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा उत्पादित ‘दो’ हार्मोन हर महीने ओवुलेशन को उत्तेजित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। फॉलिक्युलर स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH)। हायपोथेलेमस अपना काम ठीक से नहीं करता, तब हार्मोन असंतुलन होकर ओवुलेशन प्रभावित होता है।
  3. प्रायमरी ओवरियन इंसफिशिएंसी (POI) : ओवरी समय से पहले यानि कम आयु में अपना काम करना बंद कर देती है। अकाली ओवरी नाकाम होने के कई कारन हो सकते है। जैसे की, इंडोक्राइन डिसॉर्डर, स्त्रीबीजों का नष्ट होना, अनुवांशिक कारक या कीमोथेरपी जैसे उपचार से ओवरी प्रभावित होना। इसके आलावा ४० उम्र की महिलाओं में इस्ट्रोजन  उत्पादन घटने से ओवुलेशन समस्या होती है।
  4. अत्यधिक प्रोलैक्टिन (हायपरप्रोलैक्टोनेमिया) : पिट्यूटरी ग्रंथि प्रोलैक्टिन (हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया) का अधिक उत्पादन कर सकती है, जिससे एस्ट्रोजन का उत्पादन कम हो जाता है और वन्ध्यत्व का अनुभव होता है।
  5. प्रीमैच्यूअर ओवरियन फेल्युअर : अंडकोष ४० वर्ष की आयु में काम करना बंद करता है। एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन घटना, नियमित रूप से बीज नहीं निकलनेपर इसे प्रायमरी ओवेरियन फेल्युअर कहा जाता है।
  6. ट्विस्टेड ओवरी : ओवरी में सिस्ट, फाइब्रॉइड या गाठ होनेपर अंडाशय का वजन बढ़ता है और अंडाशय मुड़ जाता है। इसे ट्विस्टेड ओवरी कहते है। इस कारन ओवुलेशन प्रभावित होता है।

ओवुलेशन न होनेसे गर्भधारण समस्या? ओवुलेशन इंडक्शन, IUI या IVF से गर्भधारण संभव है।

Free consultation

ओवुलेशन डिस्फंक्शन के कारन:

  • डायबेटीस
  • अधिक आयु
  • मोटापा
  • क्रोनिक स्ट्रेस
  • थायरॉइड
  • अर्ली मेनोपॉज
  • कम वजन

ओवुलेशन समस्या में गर्भधारण के लिए उपचार

  1. फर्टिलिटी मेडिकेशन : फर्टिलिटी दवाइयाँ अंडाशय को अधिक अंडे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है।
  2. हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी : हार्मोन थेरेपी में हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करने और ओवुलेशन को प्रोत्साहित करने के लिए दवाएं देना शामिल है। इसमें हार्मोन ‘प्रोजेस्टेरोन’ या ऐसी दवाओं का उपयोग करना शामिल हो सकता है।
  3. सर्जिकल ट्रीटमेंट : ओव्यूलेशन को रोकने वाली संरचनात्मक समस्याओं को ठीक करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। इसमें सिस्ट या स्कार टिश्यूज को हटाना, ओवरियन ड्रिलिंग या अन्य समस्याओं का इलाज शामिल हो सकता है।
  4. इंट्रा यूटेरियन इन्सेमीनेशन (IUI) : जब बुनियादी उपचार विफल हो जाता है, तो एक कदम आगे जाकर IUI उपचार देने का निर्णय लिया जाता है। IUI उपचार में, पुरुष के स्पर्म्स कलेक्शन किया जाता है, स्पर्म वॉशिंग किया जाता है और फिर महिला के यूटेरस में फैलोपियन ट्यूब के नजदीक छोड़ दिया जाता है। इससे प्राकृतिक गर्भाधान की तुलना में गर्भधारण की संभावना 10-15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
  5. इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) : बेसिक IVF ट्रीटमेंट में स्त्रीबीज और शुक्राणु को फर्टिलाइज किया जाता है। अच्छी क्वालिटी के शुक्राणु को सिलेक्ट करके निषेचन के लिए ट्रे में रखा जाता है। इस समय बीजों का नैसर्गिक तरीके से फर्टिलाइज़ेशन होता है। भ्रूण को माँ के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
  6. ओवरियन स्टिम्युलेशन : ओवरियन स्टिम्युलेशन प्रोटोकॉल में कई बीजों का विकास और एग रिलीजिंग को प्रोत्साहित करने के लिए दवाओं का उपयोग शामिल है। इससे सफल निषेचन और इम्प्लांटेशन की संभावना बढ़ सकती है।

‘टाइम पर ओवुलेट न होना’ आपके वन्ध्यत्व का कारन हो सकता है। आजही करे मोफत कंसल्टेशन।

Free consultation

अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न:

१) ओव्यूलेशन समस्याओं के सामान्य लक्षण क्या हैं?

– अनियमित मासिक चक्र
– मासिक धर्म की अनुपस्थिती
– सर्विकल म्यूकस में परिवर्तन
– हार्मोनल असंतुलन के कारन मुँहासे, बाल झड़ना या वजन बढ़ना।

२) क्या ओव्यूलेशन समस्याओं का इलाज प्राकृतिक रूप से किया जा सकता है?

हां, जीवनशैली में कुछ बदलाव ओव्यूलेशन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। स्वस्थ वजन और संतुलित आहार बनाए रखना, तनाव के स्तर को कम करना, विश्राम तकनीकों का अभ्यास करना, एक्यूपंक्चर जैसे वैकल्पिक उपचारों को आज़माना।

३) ओव्यूलेशन समस्याओं के लिए मुझे मेडिकल हेल्प कब लेनी चाहिए?

– यदि आप एक वर्ष से अधिक समय से गर्भधारण करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही है।
– यदि आपकी माहवारी अनियमित या अनुपस्थित है।
– यदि आप हार्मोनल असंतुलन या PCOS जैसी स्थितियों से परिचित हैं।

Subscribe To Our Newsletter

Get updates and learn from the best

More To Explore

how much does ivf cost in mumbai
Blog

How Much Does IVF Cost in Mumbai?

The costs of IVF in Mumbai are cheaper compared to other major cities such as Delhi or Chennai. Most clinics charge individuals differently depending on the fertility procedure they undergo based on their needs.

iui in marathi
Blog

IUI म्हणजे काय? प्रक्रिया, फायदे आणि यशाचे प्रमाण

आजकाल, वंध्यत्व (Infertility) ही समस्या अनेक जोडप्यांना भेडसावत आहे. बदलत्या जीवनशैलीमुळे, तणावामुळे, आणि इतर कारणांमुळे गर्भधारणा होण्यात अडचणी येतात. परंतु, आधुनिक वैद्यकीय शास्त्राने या समस्येवर अनेक उपाय उपलब्ध केले आहेत. त्यापैकी एक महत्त्वाचा आणि सोपा उपाय म्हणजे IUI (Intrauterine Insemination).