अगर बार-बार IUI फेल हो जाए तो गर्भधारण करने के लिए क्या करें?

IUI यानि इंट्रा यूटेरियन इन्सीमीनेशन। आइयूआई में फॉलिकल्स दवाइयों से बढ़ाए जाते है। जैसे ही ओवरीज एग रिलीज करती है उस वक्त शुक्राणुओं को कैथेटर की मदत से महिला साथी के गर्भाशय में फैलोपियन ट्यूब के नजदीक ट्रांसफर किया जाता है। आगे की फर्टिलाइज़ेशन और इम्प्लांटेशन की प्रक्रिया नैचरल तरीकेसे होती है।

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आईयूआई क्या है?

IUI यानि इंट्रा यूटेरियन इन्सीमीनेशन। आइयूआई में फॉलिकल्स दवाइयों से बढ़ाए जाते है। जैसे ही ओवरीज एग रिलीज करती है उस वक्त शुक्राणुओं को कैथेटर की मदत से महिला साथी के गर्भाशय में फैलोपियन ट्यूब के नजदीक ट्रांसफर किया जाता है। आगे की फर्टिलाइज़ेशन और इम्प्लांटेशन की प्रक्रिया नैचरल तरीकेसे होती है।

आईयूआई कब किया जाता है?

  • शुक्राणु की समस्या
  • अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी
  • इरेक्टाइल डिस्फंक्शन
  • स्पर्म फ्रीज किए होनेपर
  • डोनर स्पर्म की जरुरत होनेपर

एक या दो बार IUI फेल होनेपर ऐसे खबरदारी लेना फायदेमंद होगा।

एक या दो बार IUI फेल होनेपर तीसरा सायकल किया जा सकता है। अगले सायकल के वक्त पहली गलतियां दोहराए नहीं इसका खास ध्यान रखे। जैसे की दवाइया वक्त पर लेना, वजन नियंत्रित रखना, संक्रमण से बचना, अच्छी जीवनशैली बनाए रखना, व्यसन न करना, स्ट्रेस न लेना, इन चीजों का ध्यान रखे। डॉक्टर पहले सायकल अयशस्वी होने का कारन ढूंढेंगे। यदि फाइब्रॉइड, पोलिप्स, अडेजंस, संक्रमण, इन्फ्लेमेशन होनेपर इसका इलाज पहले किया जाएगा। साथ ही डॉक्टर अस्तर की मोटाई, आइयूआई का सही समय, आइयूआई के वक्त माँ का स्वास्थ्य, स्वस्थ शुक्राणु  का चयन इन बातों का विशेष ध्यान रखेंगे। पूरी खबरदारी लेने के बाद आईयूआई किया जाएगा।

३ या अधिक बार IUI फेल होनेपर IVF की मदत लेना जरुरी होता है।

IUI फर्टिलिटी के एक स्टेप आगे जाता है। तो IVF कठिन से कठिन इनफर्टिलिटी समस्या को पार करता है। IVF से गर्भधारण की संभवना कई गुना बढ़ जाती है। इसके विपरीत IUI का सक्सेस रेट लिमिटेड होता है। कुछ प्रॉपर्ली सिलेक्टेड केसेस में IUI पोजिटिव्ह रिज़ल्ट दे सकता है। ३ से ४ बार IUI फेल होनेपर IUI से ज्यादा अपेक्षा रखना फायदेमंद नहीं है। क्योंकि इससे उम्र बढ़ती जाती है, वन्ध्यत्व का काल बढ़ता है, और वन्ध्यत्व समस्या अधिक गहरी होती जाती है, खर्चा भी बढ़ता है। ऐसे में समय पर IVF का निर्णय लेनेपर गर्भधारण होगा।

शुक्राणु की कमी या निल शुक्राणु की स्थिति है तब ‘डबल IUI’ की मदत ले सकते है।

एक ही IUI सयकल में लगातार २ दिन मतलब ओवुलेशन के १ दिन पहले और ओवुलेशन कन्फर्म होने के बाद IUI किया जाता है, इसे ‘डबल IUI’ कहते है। डबल IUI से फर्टिलाइज़ेशन के लिए उपलब्ध शुक्राणुओं की मात्रा बढ़ती है। और गर्भधारण की सम्भावना भी बढ़ती है। शुक्राणु की कमी, शुक्राणु का नहीं होना, या कुछ सिवहियर मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी में ‘डबल IUI’ फायदेमंद होता है।

IUI फेल हो रहा है और महंगे उपचार नहीं कर सकते है तब डोनर IUI से गर्भधारण कर सकते है।

सीवीआर मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी यानि शुक्रणुओं में गंभीर समस्या होनेपर शुक्राणु स्त्रीबीज फर्टिलाइज नहीं कर सकते। ऐसे में IVF-ICSI का सुझाव देते है। ICSI में शुक्राणु को सीधे स्त्रीबीज में इंजेक्ट कराकर भ्रूण बनाया जाता है। लेकिन हर कोई ICSI अफोर्ड नहीं कर सकता। ऐसे में डोनर बैंक से दाता के शुक्राणु लेकर IUI करनेपर गर्भधारण हो सकता है। इसे ‘डोनर IUI’ कहते है।

शुक्राणु से जुडी समस्या से IUI फेल हो रहा है तो IVF या एडवांस IVF आपके लिए सही विकल्प है।

शुक्राणु समस्या गंभीर होने के कारन यदि IUI फेल हो रहा है? तो आपको IVF या IVF-ICSI/IMSI/PICSI जैसे एडवांस उपचार की मदत से निश्चित रूप से गर्भधारण हो सकता है। साथ ही जेनेटिक टेस्टिंग, लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH), ब्लास्टोसिस्ट जैसे कई सरे आधुनिक फर्टिलिटी विकल्प आपका माता-पिता बनने का सपना पूरा कर सकते है।

आधुनिक IVF उपचार में शुक्राणु को स्त्रीबीज में इंजेक्ट करना (ICSI), अच्छे शरीर वाला स्वस्थ शुक्राणु सिलेक्ट करना (IMSI), केमिकली और बायोलॉजिकली अच्छे क्वालिटी का स्पर्म सिलेक्ट करना (PICSI), भ्रूण की बाहरी परत कम करना (LAH) जैसे उपचार शामिल है। प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर में यह सारी सुविधाए उपलब्ध है।

IUI फेल्युअर का कारण मोटापा या हार्मोनल इम्बॅलन्स है तो यह करे।

‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ में फर्टिलिटी उपचार के साथ जीवनशैली से जुड़े घटकों पर ध्यान दिया जाता है। डाइट, एक्सरसाइज, मेडिटेशन, कौन्सेलिंग के साथ कुछ और टिप्स देकर वजन और तनाव नियंत्रित किया जाता है। जिससे हार्मोनल संतुलन बनाया जा सकता है। आवश्यकता अनुरूप दवाइया और सही उपचार करनेपर उपचारों का परिणाम अच्छा मिलता है।

अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न

१) सक्सेसफुल IUI के लिए सीमेन पॅरामीटर्स क्या होने चाहिए?

फर्टिलिटी कन्सल्टन्ट कहते है कि,

  • IUI के लिए स्पर्म काउंट १२ से १५ मिलियन होना जरुरी है।
  • टोटल मोटाइल स्पर्म काउंट ५ मिलियन से अधिक होनी चाहिए।
  • शुक्राणुओं की आगे की दिशा में सफर करने की गति २५-३२ % होना जरुरी है।
  • मोटिलिटी और मॉर्फोलॉजी नार्मल रेंज से ऊपर होनी चाहिए।

2) IUI का सक्सेस रेट कितना होता है?

१०-१५ % IUI का एवरेज सक्सेस रेट होता है। प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर में खासकर IUI के लिए चुने गए सिलेक्टेड केसेस को ३ सायकल में रिज़ल्ट मिलता है।

3) IUI फेल क्यों होता है?

IUI फेलियर के कारन :

  • सीमेन के ट्रैवलिंग से स्पर्म क्वालिटी ख़राब होती है।
  • ओवुलेशन, फर्टिलाइज़ेशन, इम्प्लांटेशन इनमेसे किसी भी एक प्रक्रिया के चूक जानेपर IUI फेल होता है।
  • स्पर्म ट्रांसफर का समय गलत होनेपर
  • प्रोजेस्टेरोन सपोर्ट की दवाइयां टाइम पर नहीं लेना या बंद करनेपर
  • रीप्रोडक्टीव्ह अंगो की स्थिति ख़राब होनेपर
  • फॉलिकल का अधूरा बढ़ाना या फॉलिकल न फूटने के कारन
  • ट्रांसफर के समय अस्तर ठीक से नहीं बना होनेपर
  • ट्रांसफर के समय बुखार या कोई संक्रमण होनेपर
  • अधिक उम्र

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