पुरुष वन्ध्यत्व समस्या में क्या करे? Male Infertility in Hindi

पुरुष वंध्यत्व समस्या | Male infertility in Hindi
जब कोई पुरुष शुक्राणु के कम उत्पादन या खराब गुणवत्ता के कारण अपनी महिला साथी को गर्भवती करने में असमर्थ होता है, तो इसे पुरुष वंध्यत्व (male infertility) कहा जाता है। टोटल इनफर्टिलिटी केसेस में लगभग ३०% वंध्यत्व समस्याए पुरुषों में देखि गई है। इसलिए इनफर्टिलिटी की स्थिति में महिला के साथ पुरुषों की जाँच और इलाज होना जरुरी होता है।

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पुरुष वंध्यत्व क्या है और इसकी व्यापकता

Male Infertility in Hindi – जब कोई पुरुष शुक्राणु के कम उत्पादन या खराब गुणवत्ता के कारण अपनी महिला साथी को गर्भवती करने में असमर्थ होता है, तो इसे पुरुष वंध्यत्व (male infertility) कहा जाता है।

टोटल इनफर्टिलिटी केसेस में लगभग ३०% वंध्यत्व समस्याए पुरुषों में देखि गई है। इसलिए इनफर्टिलिटी की स्थिति में महिला के साथ पुरुषों की जाँच और इलाज होना जरुरी होता है।

Reference : https://www.news-medical.net/

पुरुष वंध्यत्व समस्या में क्या करे?

यह जान ले की पुरुष बांझपन वास्तव में एक आम समस्या है। जिसमे चिंता करने की कोई बात नहीं है। प्रयास के बावजूद जब आप गर्भधारण करने में असफल होते है, तब आपको फर्टिलिटी उपचार लेना जरुरी है। फर्टिलिटी क्लिनिक में आधुनिक टेक्नोलॉजी, एक्सपर्ट डॉक्टर्स, योग्य मार्गदर्शन, और उच्चतम सक्सेस रेट होना चाहिए। फर्टिलिटी क्लिनिक में महिला एवं पुरुष दोनों की जाँच होना जरुरी है।

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प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी क्लिनिक में होगा ऐसा इलाज :

  1. कंसल्टेशन एवं काउंसेलिंग : फर्टिलटी डॉक्टर के साथ कंसल्टेशन के साथ फायनांशियल एवं अन्य काउंसेलिंग किया जाता है।
  2. इन डेप्थ इवैल्यूएशन : वंध्यत्व समस्या के निदान हेतु कुछ परिक्षण करेंगे, जिसमे सीमेन एनालिसिस प्राथमिक तौर पर किया जाता है।
  3. पर्सनलाइज ट्रीटमेंट प्लान : आपके स्थितिअनुसार डॉक्टर पर्सनलाइज ट्रीटमेंट प्लान करेंगे।  जिसमे लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन और मेडिसिन से लेकर IUI, IVF, ICSI जैसे ART इलाज अंतर्भूत रहेंगे।

पुरुष वंध्यत्व के सामान्य कारक

पुरुष वंध्यत्व के अनेक कारणों में से कुछ कारन फिजिकल तो कुछ जीवनशैली से जुड़े होते है। 

  • वैरिकोसेले, हार्मोनल असंतुलन, संक्रमण, आनुवंशिक विकार जैसे कई मेडिकल कंडीशंस शुक्राणु के प्रोडक्शन एवं क्वालिटी पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
  • अत्यधिक मद्यपान, धूम्रपान, अंमली पदार्थों का सेवन, मोटापा, उच्च ताणतणाव, व्यायाम की कमी इस तरह की जीवनशैली भी प्रजनन क्षमता पर प्रभाव डालती है।
  • अधिक आयु : बढ़ती उम्र के साथ शुक्राणु की गुणवत्ता कम होने लगती है।
  • स्टरिलिटी : ट्यूबल लिगेशन सर्जरी के बाद कोई पुरुष पिता बनने की ख्वाहिश रखता है तो, ट्यूबल लिगेशन रिव्हर्सल सर्जरी या IVF से इलाज होता है।
  • मोटापा
  • ओवरहीटिंग
  • पूर्व सर्जरी : वासेक्टॉमी, स्क्रोटल, प्रोस्टेट, टेस्टिक्युलर या पेट की बड़ी सर्जरी, रेडिएशन सर्जरी, कीमो थेरपी का इतिहास
  • सेक्स्युअल डिस्फंक्शन समस्या

पुरुष वंध्यत्व के वैद्यकीय कारक

  • विविध शुक्राणु असमान्यताए : ओलिगोस्पर्मिया, एज़ूस्पर्मिया, ओलिगोज़ूस्पर्मिया, टेराटोजोस्पर्मिया, अस्थेनोझूस्पर्मिया, हाइपोस्पर्मिया, ऑलिगो अस्थेनो टेराटोझोस्पर्मिया, ल्यूकोसाइटोस्पर्मिया  जैसी शुक्राणु असामान्यताए (sperm abnormality) इनफर्टिलिटी का कारण होते है।
  • शुक्रणु की कम संख्या (low sperm count)
  • DNA डैमेज
  • मोटिलिटी यानि शुक्राणु की गति कम होना।
  • प्रोग्रेसिव्ह मोटिलिटी कम होना : शुक्राणु का एक जगह गोल-गोल घूमना।
  • मॉर्फोलॉजी कम होना : हेड डिफेक्ट, मिड डिफेक्ट, टेल डिफेक्ट
  • Sperm Agglutination : शुक्राणु का एक दूसरे से जुड़ा होना
  • अचल शुक्राणु (immotile sperm)
  • शुक्राणु में इंफेक्शन/पस होना
  • ऑब्स्ट्रक्शंस : शुक्राणुवाहिनी ब्लॉकेज अथवा सिस्टिक फाइब्रॉइड
  • ड्राई एज्यक्युलेशन (Aspermia)
  • वीर्य में शुक्राणु नहीं होना (Azoospermia)
  • शुक्राणु का कम होना
  • वैरीकोसेल : नसों को सूजन
  • रेट्रोग्रेड एज्यक्युलेशन : शुक्राणु का ब्लैडर में जमा होना।

मेल इनफर्टिलिटी को कैसे पहचाने?

पुरुष वंध्यत्व को पहचानना पहली बार में मुश्किल लग सकता है, लेकिन ऐसे कई संकेत हैं जिन पर ध्यान दिया जा सकता है। जैसे की –

  1. इरेक्शन समस्या
  2. वंध्यत्व यानि महिला पार्टनर को गर्भाधारण में कठिनाई होना।
  3. वीर्य पतला होना

ऐसे लक्षण दिखाई देनेपर फर्टिलिटी डॉक्टर का इलाज जरुरी है। ट्रीटमेंट के दौरान आपके केस का डिटेल स्टडी डॉक्टर करेंगे और इनफर्टिलिटी निदान करेंगे।

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पुरुष वंध्यत्व का निदान कैसे किया जाता है?

इन डेप्थ इवैल्यूएशन में मेडिकल हिस्टरी, फिजिकल एक्ज़ामिनेशन, हार्मोनल ब्लड टेस्ट, सीमेन एनालिसिस (वीर्य परिक्षण) किया जाता है।

  1. मेडिकल हिस्टरी : पूर्व वैद्यकीय इतिहास, इस्तेमाल की गई दवा, पूर्व सर्जरी, फॅमिली हिस्टरी, अनुवांशिक विकार, जन्मजात दोष, लाइफस्टाइल आदि का समावेश होता है।
  2. प्रारंभिक फिजिकल एक्ज़ामिनेशन
    • अल्ट्रासाउंड, MRI : पेनीज, स्क्रोटम, प्रोस्टेट, टेस्टिकल यह पुरुषों के रीप्रोडक्टीव्ह ऑर्गन होते है। प्रजनन अंगों के स्थिति जानने के लिए अल्ट्रासाउंड, MRI का इस्तेमाल किया जाता है।
    • यूरिन एनालिसिस : यूरिन में इंफेक्शन का पता लगाया जाता है।
    • सीमेन एनालिसिस : इसमें शुक्राणु की गति (motility), रचना (morfology), संख्या, परिपक्वता, सीमेन वॉल्यूम, सीमेन कॉन्सन्ट्रेशन ऐसी शुक्राणुओं से जुडी जाँच माइक्रोस्कोपी के जरिए की जाती है।
    • हार्मोनल टेस्ट : टेस्टोस्टेरोन, फॉलिक्युलर स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH), सीरम एलएच और प्रोलैक्टिन जैसे रीप्रोडक्टीव्ह हार्मोन का परिक्षण किया जाता है। यह सारी ब्लड टेस्ट होती है।
  3. डिटेल फिजिकल एक्ज़ामिनेशन: कुछ केसेस में प्रायमरी टेस्ट से निदान नहीं होता है; ऐसे केसेस में डिटेल परिक्षण किया जाता है।
    • Seminal fructose test : सेमिनल वेसीकल वीर्य से जुडी है की नहीं यह जानने के लिए सेमिनल फ्रुक्टोज टेस्ट करते है।
    • पोस्ट एज्यक्युलेट यूरिन एनालिसिस : जब वीर्य में शुक्राणु कम या ज़ीरो होते है तब, एज्यक्युलेशन के बाद यूरिन टेस्ट करते है। 
    • सीमेन ल्यूकोसाइट अनालिसिस : वीर्य में व्हाइट ब्लड सेल को पहचानने के लिए सीमेन ल्यूकोसाइट एनालिसिस करते है।
    • एंटी स्पर्म-एंटीबॉडी टेस्ट : शुक्राणुओंको नुकसान करनेवाली एंटीबॉडीज जो मौजूदगी देखते है। 
    • स्पर्म पेनेट्रेशन ऐसे (SPA) : शुक्रणुओंकी निषेचन क्षमता की जाँच करते है।
    • अल्ट्रासाउंड : प्रोस्टेट, स्क्रोटम, सेमिनल वेसीकल, एज्यक्युलेटरी डक्ट की स्थिति कैसी है या फिर इनमे किसी अवरोध का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है।
    • टेस्टिक्युलर बायोप्सी : शुक्राणु का प्रोडक्शन नहीं हो रहा है या फिर किसी तरीके की रूकावट मौजूद है इसका पता लगाने के लिए टेस्टिक्युलर बायोप्सी की जाती है। 
    • वासोग्राफी : डक्ट सिस्टिम यानि नलिकाओंकी रचना और ऑब्स्ट्रक्शन की जाँच की जाती है। 
    • जेनेटिक टेस्टिंग : अनुवांशिक विकार, सिस्टिक फाइब्रोसिस, वास डिफ़रेंस का नहीं होना ऐसी स्थिति की जाँच की जाती है। 

पुरुष वंध्यत्व के कारन अनुसार इलाज

  1. दवाएँ: यदि हार्मोनल असंतुलन के कारण मेल इनफर्टिलिटी की समस्या है, तो हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने और शुक्राणु उत्पादन में सुधार के लिए क्लोमीफीन या ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) जैसी दवाएं दी जा सकती हैं। 
  2. सर्जरी : व्हेरिकोसेल यानि अंडकोश में बढ़ी हुई नसें हटाकर प्रजनन क्षमता बढ़ाना, पिट्युटरी ग्लॅन्ड या वासेक्टोमी की केसेस में सर्जरी का सुझाव डॉक्टर देते है। 
  3. इंट्रा यूटेरियन इन्सीमीनेशन (IUI) : जिन केसेस में शुक्राणु की मोटिलिटी ख़राब है, शुक्राणु सही दिशा में तैरके नहीं जा रहे है, प्रोग्रेसिव मोटिलिटी कम है तो ऐसे केसेस में IUI की सलाह दी जाती है। कभी कभी शुक्राणु की संख्या कम होनेपर गर्भधारण के चांसेस बढ़ाने हेतु IUI का सुझाव दिया जाता है। IUI में शुक्राणु संकलित करकर वॉश किया जाता है। इसी समय पोषक तत्त्वों के साथ शुक्राणुओं की ताकद बधाई जाती है। साथ ही महिला के यूटेरस में फैलोपियन ट्यूब के नजदीक तक स्पर्म ट्रांसफर किए जाते है। जिसमे इनका सफर आधा किया जाता है। और गर्भधारण की सम्भावना बढ़ती है। 
  4. इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन IVF : यह एक प्रचलित ART तकनीक है। जिसमे स्पर्म और ओवम को लैब में निषेचित कराकर बनाए गए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। 
  5. TESE/PESA/MESA : पुरुषों में रेट्रोग्रेड एज्यक्युलेशन, सिस्टिक फाइब्रोसिस, शुक्रवाहिनी ब्लॉकेज जैसी स्थिति होनेपर माइक्रो TESE जैसे आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर स्पर्म कलेक्ट किए जाते है। 
  6. ICSI : यह IVF की आधुनिक तकनीक है। जब स्पर्म इमोटाइल होते है, तब वह मुव्हमेंट नहीं कर पाते। ऐसे में बेसिक IVF प्रक्रिया में स्पर्म ओवम फर्टिलाइज नहीं कर पाते। ऐसे स्थिति में ICSI यानि इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इन्जेक्शन की मदत से ओवम में स्पर्म को इंजेक्ट किया जाता है और बनाए गए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।

अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न

पुरुष वंध्यत्व का इलाज कोनसे डॉक्टर से करवाना चाहिए ?

वंध्यत्व समस्या के लिए फर्टिलिटी डॉक्टर सही पसंद है। क्योंकि फर्टिलिटी डॉक्टर प्रजनन औषधि एवं उपचार के अनुभवी होते है। वह महिला एवं पुरुषों के वंध्यत्व समस्या का समाधान और इलाज कर गर्भधारण में मदत कर सकते है।‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ सही पसंद है जो आपको खुशियां दिलवा सकता है।

क्या पुरुषों में बांझपन ठीक हो सकता है?

इंफेक्शन और इन्फ्लेमेशन कम करनेकेलिए, स्पर्म काउंट बढ़ने के लिए और हार्मोनल इम्बैलेंस के लिए दवाइयां देते है। साथ ही आपकी स्थिति अनुसार सर्जरी, IUI, IVF, ICSI, IMSI, TESE, PGD, LAH जैसे कई ट्रीटमेंट ऑप्शन मौजूद है, जिसके जरिए गर्भधारण की सम्भावना बढ़ती है।

पुरुष वन्ध्यत्व के लक्षण क्या होते हैं?

– इरेक्शन प्राप्त करने या बनाए रखने में कठिनाई
– यौन इच्छा की कमी (low libido)
– अंडकोष में दर्द या सूजन होना 
– वन्ध्यत्व समस्या

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