आपके लिए सही फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कैसे चुने?

आपके लिए सही फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कैसे चुने
‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ में एक ही छत के निचे सारी सुविधाए उपलब्ध है। एडवांस टेक्नोलॉजी, अनुभवी एवं विशेषज्ञ डॉक्टर की टीम मौजूद है। जो आपको सक्सेस देने के लिए सक्षम टीम के रूप में जानी जाती है। ‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ में मौजूद ट्रीटमेंट को जानने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़े।

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‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ में एक ही छत के निचे सारी सुविधाए उपलब्ध है। एडवांस टेक्नोलॉजी, अनुभवी एवं विशेषज्ञ डॉक्टर की टीम मौजूद है। जो आपको सक्सेस देने के लिए सक्षम टीम के रूप में जानी जाती है। ‘प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर’ में मौजूद ट्रीटमेंट को जानने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़े।

आपके वन्ध्यत्व समस्या में आपको मार्गदर्शन करने हेतु इस ब्लॉग में सर्जिकल ट्रीटमेंट, प्रायमरी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट, बेसिक और एडवांस फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की जानकारी दी गई है। ट्रीटमेंट्स की प्रक्रिया और कौनसी स्थिति में कौनसी ट्रीटमेंट आपको लाभ दे सकती है ऐसे और जानकारी के लिए अंत तक बने रहे।

फर्टिलिटी उपचार

स्वाभाविक रूप से गर्भधारण में कठिनाई होनेपर कपल्स फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बारे में सोचते है। वन्ध्यत्व एक ऐसी स्थिति है जिसका इलाज फर्टिलिटी उपचार से होता है। फर्टिलिटी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन की मदद से, ये उपचार प्रत्येक जोड़े के लिए अपना परिवार बनाने की संभावना सुनिश्चित करते हैं। लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि फर्टिलिटी उपचार काम करता है, पहले कुछ चरणों का पालन करना महत्वपूर्ण है।

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अपने फर्टिलिटी उपचार से पहले मुझे क्या कदम उठाने चाहिए?

ये वो कदम और परीक्षण हैं जो आपको किसी भी फर्टिलिटी उपचार को शुरू करने से पहले उठाने चाहिए

  1. किसी विशेषज्ञ से परामर्श : अपनी व्यक्तिगत प्रजनन क्षमता का आकलन करने के लिए क्षेत्र में अनुभवी फर्टिलिटी एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या फर्टिलिटी विशेषज्ञ से परामर्श लें
  2. अंतर्निहित समस्या का निदान : वे आपके केस का इन डेप्थ इवैल्यूएशन करेंगे, जिसमें केस हिस्टरी, पूर्व इतिहास जानेंगे। प्राथमिक तौर पर हार्मोन के स्तर को मापना और ओवरियन रिजर्व जैसे आवश्यक टेस्ट करना और संभवतः पुरुष भागीदारों के लिए सीमेन एनालिसिस करना शामिल है।
  3. लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन : सफलता की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए, पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार अपनाकर और नियमित व्यायाम करके स्वस्थ जीवन शैली अपनाए।
  4. क्लैमिडिया जैसे इन्फेक्शन्स का परिक्षण।
  5. अल्ट्रासाउंड परीक्षण : आपके फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय और अंडाशय की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड परीक्षण
  6. हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राम : आपके फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय का एक्स-रे
  7. रीप्रोडक्टीव्ह ऑर्गन का कार्य, स्थिति और क्षमता जानने के लिए लैप्रोस्कोपी।
  8. सीमेन एनालिसिस या सीमेन फ्रक्टोस टेस्ट

इन चरणों का पालन करने के बाद, आपके फर्टिलिटी विशेषज्ञ को यह स्पष्ट जानकारी मिल जाएगी कि कौन सी चीज़ आपको गर्भवती होने से रोक रही है। यह निम्नलिखित कारकों में से एक हो सकता है :

स्त्री कारकपुरुष कारक
अनुपचारित STDसेक्स्युअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STD)
ओवुलेशन नहीं होनाकम शुक्राणु संख्या
फैलोपियन ट्यूब अवरुद्ध होनाशुक्राणु का प्रभावी ढंग से तैरने में असमर्थता
स्त्रीबीजों की गुणवत्ता कम होनागलत आकार का शुक्राणु
भारी गर्भाशय होना (Bulky Uterus)गाढ़ा शुक्राणु जो वीर्य में तैर नहीं सकता
एंडोमेट्रिओसिसआपके वीर्य में कोई शुक्राणु नहीं है
गर्भाशय के ट्यूमर / पोलिप्स / फाइब्रॉइड्सऑब्स्ट्रक्शन के कारण स्खलन में समस्या
एब्नार्मल यूटेरियन लायनिंग
जीवनशैली कारकवातावरणीय कारक
इटिंग डिसॉर्डरसीस और कीटनाशकों जैसे पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना
अनहेल्थी खान-पान की आदतेंविकिरण के संपर्क में आना
अत्यधिक तनाव, चिंता और डिप्रेशनबार-बार गर्मी के संपर्क में आना
अधिक वजन या कम वजन होना
ठीक से नींद न आना
अत्यधिक वर्कआउट
धूम्रपान या मद्यपान

अपने फर्टिलिटी उपचार विकल्पों को समझना

फर्टिलिटी विशेषज्ञ आपकी स्थिति के आधार पर गर्भधारण के इन तीन तरीकों में से एक का सुझाव देंगे

  1. प्राकृतिक गर्भावस्था : फर्टिलिटी विशेषज्ञ आपको मासिक धर्म के 11-18 दिन बाद इंटरकोर्स करके प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने का सुझाव देगा। यह ओव्यूलेशन का समय है जब एक महिला की ओवुलेशन विंडो खुली होती है। गर्भवती होने की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए आपको कुछ ओव्यूलेशन प्रेरित करने वाली दवाएं या आपके हार्मोन के लिए कुछ दवाएं दी जा सकती हैं। आवश्यकता होनेपर डॉक्टर अच्छी जीवनशैली अपनाने की सलाह देगा और कुछ वजन कम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।  आपको ऐसे मामलों में प्राकृतिक गर्भधारण का सुझाव दिया जाएगा
    • आपका स्त्रीबीज स्वस्थ है।
    • आपका शुक्राणु अच्छी क्वालिटी का है।
    • आपकी नलियों में कोई रुकावट नहीं है।
  2. IUI : इंट्रा यूटेरियन इन्सीमीनेशन (IUI) एक उपचार है जिसमे ओव्यूलेशन के दौरान शुक्राणु को सीधे आपके गर्भाशय में फैलोपियन ट्यूब के नजदीक रखा जाता है।  जिससे स्वस्थ शुक्राणु आपके स्त्रीबीज के करीब पहुंच पाता है और गर्भधारण की सम्भावना बढ़ जाती है। IUI का उपयोग करने की सलाह दी जा सकती है यदि,
    • आपके साथी का शुक्राणु जीवित रहने के लिए पर्याप्त स्वस्थ नहीं है।
    • आपका ग्रीवा बलगम गाढ़ा होनेपर शुक्राणु तैरकर गर्भाशय में प्रवेश नहीं कर पाता है।
    • आपका बांझपन का कारण अज्ञात है (अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी)
    • आपको एंडोमेट्रियोसिस का निदान किया गया है।
    • आप दाताओं से प्राप्त शुक्राणु का उपयोग करना चाहते हैं।
  3. IVF : इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) यानि अंडाशय से बीज निकालने और उन्हें निषेचन के लिए प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ मिलाने की प्रक्रिया है। निषेचित बीजों को भ्रूण कहा जाता है। इस भ्रूण को ३ से ५ दिन बाद महिला गर्भाशय के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। जहा गर्भ स्वाभाविक रूप से प्रत्यारोपित (implant) होता है।

आमतौर पर उन लोगों को सलाह दी जाती है जिन्हे

  • गंभीर वन्ध्यत्व समस्या है
  • वन्ध्यत्व का निदान नहीं हो रहा है।
  • दोनों फैलोपियन ट्यूब में रुकावट है
  • IUI फेल्युअर हो रहा है।
  • आनुवंशिक विकार है।
  • मेनोपॉज है
  • शुक्राणु असामान्यता है।
  • अधिक आयु है।

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आईवीएफ तीन प्रकार के हो सकते है

  1. इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI)) : जब शुक्राणु स्त्रीबीज को फर्टिलाइज करने में असमर्थ रहता है, शुक्राणु में गंभीर असामान्यता होती है, तब अच्छे स्पर्म को सिलेक्ट करकर स्त्रीबीज में डाला जाता है। यह IVF की एडवांस तकनीक है।
  2. उसाइट डोनेशन (OD) : दाता की आयु, जो आदर्श रूप से 35 वर्ष से कम होनी चाहिए, अंडाणु दान की सफलता को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है।
  3. एम्ब्रियो डोनेशन (ED) : डोनर स्पर्म और डोनर एग का उपयोग करके IVF तकनीक से एम्ब्रियो बनाना और एम्ब्रियो ट्रांसफर किया जाता है।

एडवांस IVF उपचार

  1. PGS \ PGD : प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग (PGS) और प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (PGD)। ऐसी बीमारिया जो जेनेटिकली अगली पीढ़ी में ट्रांसफर होने की संभावना होती है, या फिर आपके वन्ध्यत्व के पीछे अनुवांशिक कारन होनेपर PGT टेस्ट किया जाता है। जिसमे भ्रूण की बायोप्सी सेल्स का परिक्षण किया जाता है।
  2. LH (Laser Assisted Hatching) : आपके गर्भाशय में भ्रूण को प्रत्यारोपित करने से पहले, लेजर का उपयोग करके भ्रूण की बाहरी परत पतली की जाती है, जिससे भ्रूण आसानीसे इम्प्लांट हो सकता है।
  3. ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर : आम तौर पर लैब में स्त्रीबीज और शुक्राणु के निषेचन के बाद ३ दिन तक गर्भ बढ़ाया जाता है जिसे एम्ब्रियो ट्रांसफर कहा जाता है। कुछ केसेस में यह एम्ब्रियो ५ से ६ दिन तक बढ़ाया जाता है जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहा जाता है। इससे १ से अधिक अधिक गर्भधारण की सम्भावना कम होती है और यशस्वी गर्भधारण की सम्भावना बढ़ जाती है।
  4. PRP : पीआरपी का उपयोग भ्रूण स्थानांतरण से पहले गर्भाशय अस्तर की एंडोमेट्रियल रिसेप्टिव्हिटी में सुधार के लिए किया जा सकता है। यह आमतौर पर प्रत्याशित समय से 48 घंटे पहले किया जाता है
  5. सिक्वेंशिअल एम्ब्रियो ट्रांसफर (SET) : यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें गर्भधारण की संभावना बढ़ाने के लिए मासिक धर्म चक्र के विभिन्न दिनों में एक महिला के गर्भ में भ्रूण के दो सेट स्थानांतरित करना शामिल है।
  6. IMSI : यानि इंट्रा-सायटोप्लाज्मिक मॉर्फोलॉजिकल-सिलेक्टेड स्पर्म इंजेक्शन। ICSI की तरह IMSI में भी शुक्राणु को स्त्रीबीज में इंजेक्ट किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में अच्छी गुणवत्ता वाले शुक्राणु का चयन सावधानीपूर्वक किया जाता है। माइक्रोस्कोप के जरिए अच्छे सिर, गर्दन, पूंछ वाले शुक्राणु का चयन किया जाता है। साथ ही डीएनए फ्रेगमेंटेशन रेट भी देखा जाता है।
  7. PICSI (फिजिओलॉजिकल इंट्रा सायटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन) : फर्टिलाइज़ेशन के लिए शुक्राणु का स्त्रीबीज को चिपकना जरुरी होता है। PICSI में यह जांचा जाता है कि शुक्राणु, स्त्रीबीज की सतह पर मौजूद पदार्थ से चिपक पा रहा है या नहीं। इस समय शुक्राणु की परिपक्वता, सक्रियता और ताकत का पता चलता है। PICSI में शुक्राणु का रासायनिक और जैविक अध्ययन करके चयन किया जाता है और गर्भधारण की सम्भावना बढ़ाई जाती है।
  8. TESA, MESA, PESA,TESE, MICRO-TESE : यदि ऑब्सट्रक्टिव एज़ोस्पर्मिया या रेट्रोग्रेड स्खलन की समस्या है, मूत्राशय में शुक्राणु जमा हो रहे हैं, तो TESA, MESA, PESA,TESE, MICRO-TESE जैसे आधुनिक उपचारों का उपयोग करके शुक्राणु कलेक्ट किए जाते हैं।

निदान अनुसार सर्जिकल उपचार

वंध्यत्व समस्या का समाधान होने के बाद, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट सक्सेस होने के लिए जरुरत अनुसार सर्जिकल उपचार किया जाता है।

  • महिलाओं में फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, क्षतिग्रस्त ट्यूब या अन्य अंगों को हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, हिस्टेरोस्कोपिक सर्जरी या ट्यूबल सर्जरी का उपयोग किया जाता है।
  • यूटेरियन लायनिंग मोटी होनेपर सर्जरी से काम की जाती है।
  • हायड्रोसलपिंक्स की स्थिति में ट्यूब में से पानी गर्भाशय में आता है और इम्प्लांटेशन समस्या उत्पन्न होती है, ऐसे में लैप्रोस्कोपी के मदत से ट्यूब डीलिंक की जाती है।
  • ओवरियन सिस्ट होनेपर या ओवरी ट्विस्ट होनेपर इसे सर्जरी से ठीक किया जाता है।
  • वैरिकोसेलेक्टोमी : वैरिकोसेले का इलाज वैरिकोसेलेक्टोमी सर्जरी से किया जाता है। यह पुरुष प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता है और वृषण दर्द को कम कर सकता है।
  • वासोवासोस्टॉमी : जो पुरुष ट्यूबल लिगेशन के बाद पिता बनने की ख्वाहिश रखते है इनमे वासोवासोस्टॉमी सर्जरी से शुक्राणु नलिका को खोल दिया जाता है।
  • ट्यूबल लिगेशन रिवर्सल : जो महिलाए गर्भनिरोधक सर्जरी के बाद माँ बनना चाहती है उनकी फैलोपियन ट्यूब पूर्ववत गर्भाशय से जोड़ दी जाती हो। बंधी हुई ट्यूब को खोला जाता है।

इंटरकोर्स से जुड़ी समस्याओं का इलाज :

स्तंभन दोष (Erectile Dysfunction) या शीघ्रपतन (Early Ejaculation) की समस्या का इलाज परामर्श, मनोचिकित्सा, दवा से किया जाता है।

फर्टिलिटी उपचार के लाभ

  • गर्भावस्था की सफलता दर अधिक है।
  • पुरुषों और महिलाओं दोनों को वन्ध्यत्व से उबरने में मदद करता है।
  • गर्भपात का खतरा कम होता है।
  • कोई भी व्यक्ति उपचार का लाभ उठा सकता है।
  • डोनर एग या डोनर स्पर्म का उपयोग किया जा सकता है।
  • स्वस्थ बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • आप अपने बच्चे के जन्म के लिए उपयुक्त समय चुन सकती हैं।

अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न:

१) गर्भधारण के लिए सबसे अच्छा फर्टिलिटी उपचार क्या है?

जवाब : असिस्टेड रीप्रोडक्टीव्ह टेक्नोलॉजी। इसमें मैच्यूअर एग को पुनः प्राप्त करना, उन्हें प्रयोगशाला में एक डिश में शुक्राणु के साथ निषेचित करना, फिर निषेचन के बाद भ्रूण को गर्भाशय में ट्रांसफर करना शामिल है। IVF सबसे प्रभावी सहायक फर्टिलिटी तकनीक है।

२) प्राथमिक फर्टिलिटी उपचार कौनसा है ?

जवाब : उन्नत फर्टिलिटी मेडिसिन और लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर भी गर्भधारण हो सकता है। इसके आगे ओवुलेशन मॉनिटरिंग या IUI किया जाता है। या आपके स्थिति अनुसार IVF या एडवांस IVF तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। 

३) फर्टिलिटी उपचार लम्बे चलते है?

जवाब : आपके स्थिति अनुसार फर्टिलिटी उपचार का समय कम-अधिक हो सकता है। प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर में आपके केस का अच्छेसे डिटेल स्टडी करकर पूरक उपचार का सुझाव दिया जाता है। जब डॉक्टर रिज़ल्ट के बारे में कॉन्फिडेंट रहते है तभी आपका सायकल और ट्रांसफर किया जाता है। यही कारन है की प्रोजेनेसिस का सक्सेस रेट ज्यादा है। 

४) फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए एडमिट होने की जरुरत होती है?

जवाब : नहीं। फर्टिलिटी उपचार आउटपेशन्ट प्रक्रिया है। ओवम पिक अप के वक्त एनेस्थेशिया दिया जाता है, लेकिन होश आने के बाद आप घर जा सकते है।  इसके अतिरिक्त लैप्रोस्कोपी जैसे एडवांस सर्जिकल उपचार होनेपर आप २४ घंटे के अंदर घर जा सकते है।

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