बढ़ती उम्र का फर्टिलिटी हेल्थ पर असर

बढ़ती उम्र का रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर असर
'उम्र' और 'प्रजनन क्षमता' परस्पर जुड़े हुए कारक हैं जो परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रजनन क्षमता को पुरुष एवं महिला की आयु कैसे प्रभावित करती है? उम्र से संबंधित प्रजनन चुनौतियों के संदर्भ में परिवार नियोजन के लिए कौनसे विकल्प मौजूद है और गर्भधारण की सम्भावना क्या है? प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले जैविक कारक कौनसे है? ऐसेही और जानकारी के लिए अंत तक बने रहे।

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‘उम्र’ और ‘प्रजनन क्षमता’ परस्पर जुड़े हुए कारक हैं जो परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रजनन क्षमता को पुरुष एवं महिला की आयु कैसे प्रभावित करती है? उम्र से संबंधित प्रजनन चुनौतियों के संदर्भ में परिवार नियोजन के लिए कौनसे विकल्प मौजूद है और गर्भधारण की सम्भावना क्या है? प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले जैविक कारक कौनसे है? ऐसेही और जानकारी के लिए अंत तक बने रहे।

आज-कल देखा जाए तो वन्ध्यत्व समस्या से जुंज रहे जोड़ों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका कारन ज्यादातर ‘बढ़ती उम्र’ ही है। करियर के सपने, शिक्षा लेने के सपने, देरी से शादी और देरी से बच्चों की प्लानिंग का ट्रेंड दिखाई देता है। ऐसी स्थिति में उम्र बढ़ती जाती है और उम्र के साथ प्रजनन क्षमता घटती जाती है।

ऐसा क्यों होता है? आइए जानते है।

फर्टिलिटी क्या है?

इनफर्टिलिटी की समस्या को जानने के लिए फर्टिलिटी क्या है ये जानना जरुरी है। फर्टिलटी यानि प्रजनन क्षमता। प्रजनन क्षमता मनुष्य की संतान पैदा करने की क्षमता होती है, जो उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कारकों पर निर्भर करती है।

आयु और फर्टिलिटी का सम्बन्ध

यह जानना जरुरी है की, जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपके अंडाशय और उनके अंदर मौजूद एग्ज की उम्र भी बढ़ती है।

एक महिला २० से ३० तक की उम्र में सबसे अधिक फर्टाइल होती है। 30 साल की उम्र में प्रजनन क्षमता (गर्भवती होने की क्षमता) कम होने लगती है। एक बार जब आप 30 वर्ष की आयु के मध्य तक पहुँच जाते हैं तो यह गिरावट तेजी से घटित होती है। 45 की उम्र तक, प्रजनन क्षमता इतनी कम हो जाती है कि स्वाभाविक रूप से गर्भवती होना असंभव हो जाता है। इस वक्त आपको फर्टिलिटी उपचारो की जरुरत पड सकती है।

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बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में जैविक बदल

  • हार्मोनल इम्बैलेंस : बढ़ती उम्र के साथ प्रोजेस्टेरोन और इस्ट्रोजन जैसे रीप्रोडक्टीव्ह हार्मोन के स्तर में गिरावट होने लगती है। परिणामस्वरूप अनियमित ओवुलेशन या ओवुलेशन प्रेडिक्ट करने में परेशानी हो सकती है। हार्मोन के कम उत्पादन से ‘एब्नार्मल यूटेरियन लायनिंग’ की समस्या होती है।
  • ओवरियन रिज़र्व और एग क्वालिटी : जन्म के समय एक महिला के अंडाशय में ३ से ५ लांख स्त्रीबीज मौजूद होते है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है बीजों की संख्या और क्वालिटी घटती जाती है। बढ़ती उम्र के साथ बीजों में एब्नार्मल क्रोमोज़ोम होने की संभावना अधिक होती है। साथ ही बढ़ती उम्र के साथ रीप्रोडक्टीव्ह हेल्थ पर असर पड सकता है। जैसे की फाइब्रॉइड, एंडोमेट्रिओसिस, इंफेक्शन, ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब आदि।
  • यूटेरियन चेंजेस : उम्र बढ़ने का असर गर्भाशय पर भी पड़ सकता है। गर्भाशय में संरचनात्मक परिवर्तन होते हैं जो गर्भावस्था की क्षमता को कम कर सकते हैं। गर्भाशय को रक्तप्रवाह की कमी, गर्भाशय की पतली परत, सर्विकल म्यूकस का उत्पादन कम होना ऐसे कई बदलाव होते है जो एम्ब्रियो इम्प्लांटेशन में बाधा उत्पन्न करते है।
  • अनियमित मासिक धर्म : बढ़ती उम्र के साथ रजोनिवृत्ति या रजोनिवृत्ति पूर्व स्थिति में मासिक धर्म अनियमित हो सकता है। मासिक धर्म का रक्तस्त्राव कम या ज्यादा हो सकता है। मासिक धर्म से जुडी कोई भी समस्या आपकी प्रजनन क्षमता अच्छी नहीं होने का सिग्नल देते है। इसका कारन रीप्रोडक्टीव्ह हेल्थ से जुडी कोई भी समस्या हो सकती है।
  • उम्र से संबंधित बीमारियाँ और प्रजनन क्षमता पर उनका प्रभाव : मधुमेह, उच्च रक्तचाप या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
  • जेनेटिक एब्नॉर्मलिटीज : बढ़ती उम्र में बच्चों में जेनेटिक एब्नॉर्मलिटीज होने का खतरा होता है। क्योंकि एग्ज की क्वालिटी कम होने के साथ डाउन सिंड्रोम जैसी क्रोमोसोमल असामान्यताओं का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण है की अधिक उम्र में गर्भधारण करनेवाले जोड़ो को डॉक्टर जेनेटिक टेस्टिंग की सलाह देते है।

पुरुष प्रजनन क्षमता और आयु

  • शुक्राणु की गुणवत्ता एवं संख्या : जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है, उनके शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा में गिरावट आ सकती है। स्पर्म मोटिलिटी (तैरके जाने की क्षमता), स्पर्म मॉर्फोलॉजी (रचना और आकृतिविज्ञान) काम हो सकती है। जिससे स्पर्म को ओवम तक तैरके जाना और ओवम फर्टिलाइज करना मुश्किल बन सकता है।
  • स्तंभन दोष : पुरुषों की बढ़ती उम्र इरेक्शन हासिल करने और बनाये रखने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। जिसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कहा जाता है। ऐसे में प्राकृतिक गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है। इस स्थिति में फर्टिलिटी डॉक्टर आपकी मदत कर सकते है।
  • हर्मोनल इम्बैलेंस और सेक्स्युअल डिस्फंक्शन : रीप्रोडक्टीव्ह हार्मोन या सेक्स हार्मोन में गिरावट होने की वजह से यौन इच्छा में कमी, या अन्य सेक्स्युअल डिस्फंक्शन का सामना करना पड़ सकता है।
  • संबंधित स्वास्थ्य स्थितियाँ और पुरुष प्रजनन क्षमता : बढ़ती उम्र के साथ मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी शारीरिक स्थिति होनेपर इनफर्टिलिटी हो सकती है।
  • जेनेटिक एब्नॉर्मिलिटीज : महिलाओं की तरह पुरुषों में भी अधिक आयु बच्चों में अनुवांशिक विकार उत्पन्न कर सकती है। बच्चों में ऑटिजम, स्किजोफ्रेनिया जैसे विकार उत्पन्न कर सकती है।

रिस्क फैक्टर्स :

  • सन्तानो में अनुवांशिक विकारों का खतरा बढ़ना
  • मिसकैरेज का खतरा होना

फर्टिलिटी हेल्थ की सुरक्षा कैसे करे ?

Cryopreservation: अत्याधुनिक फर्टिलिटी क्लिनिक में क्रायोप्रिजर्वेशन नाम की प्रगत IVF तकनीक उपलब्ध होती है। जिसकी मदत कर आप स्त्रीबीज एवं शुक्राणु फ्रिज कर सकते है। यदि आप देरी से माता-पिता होना चाहते है तो यह विकल्प बेशक आपकी मदत करेगा।

उपलब्ध तकनीक :

  1. एग फ्रीजिंग
  2. स्पर्म फ्रीजिंग
  3. एम्ब्रियो फ्रीजिंग

अधिक उम्र में गर्भधारण के लिए फर्टिलिटी विकल्प

ART यानि सहाय्यक पुनरुत्पादक तकनीक की मदत से आप बढ़ती उम्र में भी माँ बनना संभव है। जिसमे स्पर्म ट्रांसफर, कृत्रिम तरीके से स्पर्म से ओवम फर्टिलाइज कराना, स्वस्थ भ्रूण के लिए जेनेटिक टेस्टिंग कराना, भविष्य में फर्टिलिटी की सुरक्षा हेतु एग फ्रीजिंग कराना, डोनर के एग की मदत से IVF करना ऐसे उपचार किए जाते है।

  1. IVF (In Vitro Fertilization)
  2. हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
  3. IUI (Intra Uterian Insemination)
  4. ICSI/IMSI/PICSI
  5. फर्टिलिटी मेडिसिन
  6. डोनर प्रोग्राम
  7. PGD (pre implantation genetic testing)

ज्यादा उम्र में बेशक हो सकती है आपकी अपनी संतान।

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अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न

१) क्या उम्र पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है?

जवाब : जी हाँ। अधिक उम्र पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है।

२) क्या अधिक उम्र में प्रजनन क्षमता को बरकरार रखा जा सकता है?

जवाब : शारीरिक एवं मानसिक सेहत का ध्यान रखना, अच्छा खान-पान बनाए रखें, वजन को बढ़ने न दे, स्ट्रेस न ले साथ ही फर्टिलिटी डॉक्टर की सलाह लेकर प्रजनन क्षमता बरकरार रख सकते है।

३) उम्र से संबंधित बांझपन के लिए उपचार के क्या विकल्प उपलब्ध हैं?

जवाब : फर्टिलिटी क्षेत्र में कई सारे अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध है जिसका उपयोग कर बढ़ती उम्र में माता-पिता बनना संभव है।

४) पुरुष सबसे ज्यादा फर्टाइल किस उम्र में होते है?

जवाब : 22 से 25 की उम्र के बीच पुरुष सबसे ज्यादा फर्टाइल होते हैं। 35 उम्र के बाद पुरुष की फर्टिलिटी कमजोर होने लगती है।

५) किस उम्र के बाद स्पर्म का प्रोडक्शन बंद हो जाता है?

जवाब : एक्सपर्ट्स का कहना है कि पुरुषों में स्पर्म का प्रोडक्शन कभी रुकता नहीं है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ स्पर्म का डीएनए डैमेज होने की संभावनाएं काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं। साथ ही स्पर्म काउंट और क्वालिटी कम होती है।

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