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कैंसर के बाद IVF से गर्भधारण – क्या यह संभव है?

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IVF यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (जिसे आम भाषा में "टेस्ट ट्यूब बेबी" तकनीक कहा जाता हैं) ने कैंसर से ठीक होने वाली महिलाओं के लिए मां बनने की उम्मीद को जिंदा रखा है।

यह ब्लॉग उन सभी महिलाओं और उनके परिवारों के लिए है जो कैंसर के बाद मां बनने का सपना देख रहे हैं। हम इस ब्लॉग में IVF के बारे में विस्तार से बात करेंगे, यह समझेंगे कि कैंसर के बाद प्रेग्नेंसी कैसे संभव है, और इस प्रक्रिया में क्या-क्या चुनौतियां और समाधान हैं। हम यह भी देखेंगे कि इस सफर में भावनात्मक और मानसिक तैयारी कितनी जरूरी है। तो आइए, इस उम्मीद भरे सफर को शुरू करते हैं!

1.  कैंसर और फर्टिलिटी

कैंसर का इलाज, जैसे कीमोथेरेपी, रेडिएशन, या सर्जरी, कई बार शरीर की फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मां बनने का सपना खत्म हो जाता है। आइए समझते हैं कि कैंसर फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है और IVF इसमें कैसे मदद करता है।

1.1  कैंसर का इलाज फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है?

- कीमोथेरेपी: यह दवाइयां कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए दी जाती हैं, लेकिन ये हेल्दी सेल्स, खासकर अंडाशय (ovaries) में मौजूद स्त्रीबीजों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इससे स्त्रीबीजों की संख्या या क्वालिटी कम हो सकती है।

- रेडिएशन: अगर रेडिएशन पेट या श्रोणि (pelvis) क्षेत्र में दी जाती है, तो यह अंडाशय या गर्भाशय को प्रभावित कर सकता है। इससे गर्भधारण मुश्किल हो सकता है।

- सर्जरी: अगर कैं��र के इलाज में अंडाशय, गर्भाशय, या अन्य रिप्रोडक्टिव ऑर्गेन्स (प्रजनन अंगों) को हटाना पड़े, तो नैचुरल तरीके से गर्भधारण असंभव हो सकता है।

- हार्मोनल बदलाव: कुछ कैंसर, जैसे ब्रेस्ट कैंसर, हार्मोनल दवाइयों से इलाज किए जाते हैं, जो मासिक धर्म (periods) को अनियमित कर सकते हैं।

1.2  क्या हर कैंसर पेशेंट की फर्टिलिटी प्रभावित होती है?

हर महिला का शरीर अलग होता है, और कैंसर का प्रभाव भी हर व्यक्ति पर अलग-अलग होता है। कुछ कारक जो फर्टिलिटी पर असर डालते हैं:

- कैंसर का प्रकार: ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, या ओवेरियन कैंसर का इलाज फर्टिलिटी को ज्यादा प्रभावित कर सकता है।

- उम्र: अगर महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा है, तो स्त्रीबीजों की संख्या और गुणवत्ता पहले से ही कम हो सकती है।

- इलाज की तीव्रता: कीमोथेरेपी या रेडिएशन की डोज और समय भी फर्टिलिटी पर असर डालते हैं।

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2. IVF क्या है और यह कैसे काम करता है?

IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक ऐसी तकनीक है जिसमें स्त्रीबीज और शुक्राणु (sperm) को शरीर के बाहर, लैब में मिलाकर भ्रूण (embryo) बनाया जाता है। फिर इस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि गर्भधारण हो सके। आइए इसे और आसानी से समझते हैं।

2.1  IVF की प्रक्रिया

IVF की प्रक्रिया को कई चरणों में बांटा जाता है:

1. अंडाशय को उत्तेजित करना (Ovarian Stimulation): डॉक्टर दवाइयां देते हैं ताकि अंडाशय में एक से ज्यादा स्त्रीबीज बनें। यह दवाइयां इंजेक्शन के रूप में दी जाती हैं।

2. स्त्रीबीजों को निकालना (egg retrieval): जब स्त्रीबीज तैयार हो जाते हैं, तो एक छोटी सर्जरी के जरिए स्त्रीबीजों को निकाला जाता है। यह प्रक्रिया बेहोशी में की जाती है, इसलिए दर्द नहीं होता।

3. शुक्राणु के साथ मिलाना (Fertilization): लैब में स्त्रीबीजों को पुरुष के शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है। अगर शुक्राणु कमजोर हैं, तो ICSI (Intracytoplasmic Sperm Injection) तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिसमें एक शुक्राणु को सीधे स्त्रीबीज में डाला जाता है।

4. भ्रूण बनाना: स्त्रीबीज और शुक्राणु के मिलने से भ्रूण बनता है, जिसे 3-5 दिन तक लैब में रखा जाता है।

5. भ्रूण हस्तांतरण (Embryo Transfer): स्वस्थ भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। यह एक आसान प्रक्रिया है और इसमें ज्यादा समय नहीं लगता।

6. गर्भावस्था की जांच: 10-14 दिन बाद खून की जांच से पता चलता है कि गर्भधारण हुआ या नहीं।

2.2  कैंसर पेशेंट्स के लिए IVF में क्या खास है?

कैंसर पेशेंट्स के लिए IVF की प्रक्रिया में कुछ खास बातें ध्यान में रखी जाती हैं:

- समय का महत्व: कैंसर के इलाज से पहले स्त्रीबीज (Egg) या भ्रूण (Embryo) को फ्रीज करना जरूरी हो सकता है। इसे "फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन" कहते हैं।

- कम जोखिम वाली दवाइयां: कैंसर पेशेंट्स को ऐसी दवाइयां दी जाती हैं जो उनके शरीर को नुकसान न पहुंचाएं, खासकर अगर कैंसर हार्मोन से जुड़ा हो, जैसे ब्रेस्ट कैंसर।

- एक्सपर्ट की सलाह: कैंसर डॉक्टर (oncologist) और फर्टिलिटी एक्सपर्ट मिलकर ट्रीटमेंट प्लान बनाते हैं ताकि इलाज और IVF दोनों सही तरीके से हो सकें।

2.3  IVF की सफलता दर

IVF की सफलता कई बातों पर निर्भर करती है:

- महिला की उम्र

- स्त्रीबीज और शुक्राणु की गुणवत्ता

- गर्भाशय की स्थिति

- डॉक्टर की विशेषज्ञता और क्लिनिक की तकनीक

आमतौर पर, 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में IVF की सफलता दर 40-50% हो सकती है, लेकिन कैंसर पेशेंट्स में यह थोड़ा कम हो सकता है। फिर भी, सही देखभाल और तकनीक से यह संभव है।

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3. कैंसर के बाद IVF: क्या यह सुरक्षित है?

कैंसर से ठीक होने के बाद IVF करवाना सुरक्षित हो सकता है, लेकिन इसमें कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

3.1 कब शुरू करें IVF?

- डॉक्टर की सलाह: कैंसर के इलाज के बाद डॉक्टर यह तय करते हैं कि IVF कब शुरू करना सुरक्षित है। यह समय कैंसर के प्रकार और इलाज की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, ब्रेस्ट कैंसर पेशेंट्स को हार्मोनल दवाइयों का इलाज पूरा होने के बाद 2-5 साल तक इंतजार करना पड़ सकता है।

- शारीरिक स्थिति: IVF शुरू करने से पहले महिला की शारीरिक स्थिति की जांच की जाती है। अगर अंडाशय या गर्भाशय स्वस्थ नहीं हैं, तो दूसरी तकनीकों जैसे सरोगेसी (surrogacy) पर विचार किया जा सकता है।

- मानसिक तैयारी: कैंसर का इलाज भावनात्मक रूप से थकाने वाला होता है। इसलिए IVF शुरू करने से पहले मानसिक रूप से तैयार होना जरूरी है।

3.2 क्या जोखिम हैं?

IVF एक सुरक्षित प्रक्रिया है, लेकिन कुछ जोखिम हो सकते हैं:

- हार्मोनल दवाइयों का असर: IVF में दी जाने वाली दवाइयां कुछ कैंसर मरीजों में हार्मोनल बदलाव ला सकती हैं। इसलिए डॉक्टर विशेष दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं जो जोखिम को कम करें।

- शारीरिक कमजोरी: कैंसर के इलाज के बाद शरीर कमजोर हो सकता है, जिससे IVF की प्रक्रिया थोड़ी थकान भरी हो सकती है।

- गर्भावस्था की जटिलताएं: कैंसर के बाद गर्भावस्था में कुछ जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे समय से पहले डिलीवरी या कम वजन का बच्चा। लेकिन डॉक्टर की देखरेख में ये जोखिम कम किए जा सकते हैं।

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4. फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन: पैरेंटहुड की उम्मीद

कैंसर के इलाज से पहले फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन एक ऐसा कदम है जो भविष्य में मां बनने का मौका देता है। यह उन महिलाओं के लिए खासतौर पर जरूरी है जिनका इलाज उनकी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है।

4.1 फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन के तरीके

- एग फ्रीजिंग: इसमें स्त्रीबीजों को निकालकर फ्रीज किया जाता है। ये स्त्रीबीज भविष्य में IVF के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

- एम्ब्रियो फ्रीजिंग: अगर महिला की शादी हो चुकी है, तो स्त्रीबीजों को शुक्राणु के साथ मिलाकर भ्रूण बनाया जाता है और उसे फ्रीज किया जाता है।

- ओवेरियन टिश्यू फ्रीजिंग: अगर अंडाशय को नुकसान होने का खतरा हो, तो अंडाशय के कुछ हिस्से को फ्रीज किया जा सकता है। यह तकनीक अभी नई है और हर जगह उपलब्ध नहीं है।

- हार्मोनल दवाइयां: कुछ दवाइयां अंडाशय को कीमोथेरेपी के प्रभाव से बचाने में मदद करती हैं।

4.2  कब और कैसे करें फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन?

- सही समय: कैंसर का इलाज शुरू होने से पहले फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन करना सबसे अच्छा होता है। इसके लिए कैंसर डॉक्टर और फर्टिलिटी एक्सपर्ट से जल्दी बात करनी चाहिए।

- प्रक्रिया का समय: एग फ्रीजिंग में 2-3 हफ्ते लग सकते हैं। अगर कैंसर का इलाज जल्दी शुरू करना हो, तो डॉक्टर तेजी से प्रक्रिया पूरी करने की योजना बनाते हैं।

- खर्च: फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन और IVF की लागत ज्यादा हो सकती है, लेकिन कई हॉस्पिटल और संस्थाएं कैंसर पेशेंट्स के लिए रियायती योजनाएं चलाते हैं।

4.3 फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन के फायदे

• यह भविष्य में मां बनने की उम्मीद देता है।

• कैंसर के इलाज के दौरान मानसिक तनाव कम करता है।

• यह प्रक्रिया सुरक्षित और प्रभावी है।

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5. भावनात्मक और मानसिक तैयारी

कैंसर और IVF दोनों ही शारीरिक और भावनात्मक रूप से थकाने वाले हो सकते हैं। इसलिए इस सफर में मानसिक तैयारी बहुत जरूरी है।

5.1 भावनात्मक चुनौतियां

- डर और अनिश्चितता: कैंसर के बाद मां बनने की प्रक्रिया में कई सवाल मन में आते हैं – "क्या मैं हेल्दी बेबी को जन्म दे पाऊंगी?" या "क्या IVF सच में काम करेगा?"

- परिवार का दबाव: कई बार परिवार या समाज के सवाल भावनात्मक तनाव बढ़ा सकते हैं।

- आर्थिक चिंता: IVF और फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन की लागत तनाव का कारण बन सकती है।

5.2 इन चुनौतियों से कैसे निपटें?

- काउंसलिंग: फर्टिलिटी काउंसलर या मनोवैज्ञानिक से बात करना मददगार हो सकता है। वे आपको भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने में मदद करते हैं।

- परिवार का सहयोग: अपने पार्टनर, माता-पिता, या दोस्तों से खुलकर बात करें। उनका साथ आपको हिम्मत देगा।

- ध्यान और योग: योग, मेडिटेशन, और गहरी सांस लेने की प्रक्रिया तनाव को कम करती है।

- पॉजिटिव सोच: उन महिलाओं की कहानियां पढ़ें जो कैंसर के बाद मां बनीं। यह आपको प्रेरणा देगा।

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6. IVF के बाद गर्भावस्था और देखभाल

IVF से गर्भधारण होने के बाद कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है, खासकर कैंसर मरीजों के लिए।

6.1  गर्भावस्था की निगरानी

- नियमित जांच: गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर नियमित अल्ट्रासाउंड और खून की जांच करते हैं ताकि मां और बच्चे की सेहत का ध्यान रखा जाए।

- कैंसर की निगरानी: अगर कैंसर का इलाज हाल ही में हुआ है, तो डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि कैंसर दोबारा न आए।

- स्वस्थ आहार: पौष्टिक खाना, जैसे हरी सब्जियां, फल, और प्रोटीन, मां और बच्चे के लिए जरूरी है।

6.2  जीवनशैली में बदलाव

- तनाव कम करें: गर्भावस्था में तनाव से बचने के लिए हल्की सैर, योग, या किताबें पढ़ना अच्छा है।

- पर्याप्त आराम: कैंसर के बाद शरीर को ज्यादा आराम की जरूरत होती है। पर्याप्त नींद और हल्का व्यायाम जरूरी है।

- डॉक्टर की सलाह: कोई भी दवा या सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से पूछें।

6.3  डिलीवरी और उसके बाद

- डिलीवरी का तरीका: कई बार कैंसर मरीजों में सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दी जाती है, लेकिन यह डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।

- बच्चे की देखभाल: बच्चे के जन्म के बाद मां को अपनी सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। परिवार का सहयोग इसमें बहुत मदद करता है।

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7.  IVF और कैंसर: कुछ जरूरी सवाल और जवाब

7.1 क्या IVF से कैंसर होने का खतरा बढ़ता है?

नहीं, IVF से कैंसर होने का कोई पक्का सबूत नहीं है। हालांकि, हार्मोनल दवाइयों का इस्तेमाल सावधानी से किया जाता है, खासकर उन पेशेंट्स में जिन्हें हार्मोन से जुड़ा कैंसर (जैसे ब्रेस्ट कैंसर) हुआ हो।

7.2 क्या कैंसर पेशेंट्स के लिए IVF महंगा है?

IVF की लागत अलग-अलग अस्पतालों में अलग हो सकती है। भारत में यह 1-2 लाख रुपये प्रति साइकिल हो सकता है। कुछ अस्पताल कैंसर पेशेंट्स के लिए रियायती योजनाएं देते हैं।

7.3 क्या IVF से पैदा होने वाला बच्चा स्वस्थ होता है?

हां, IVF से पैदा होने वाले बच्चे सामान्य बच्चों की तरह स्वस्थ होते हैं। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान सही देखभाल जरूरी है।

8. निष्कर्ष: 

कैंसर एक मुश्किल बीमारी है, लेकिन यह आपके मां बनने के सपने को खत्म नहीं कर सकती। IVF और फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन जैसी आधुनिक तकनीकों ने लाखों महिलाओं को मां बनने का मौका दिया है। इस सफर में कुछ चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन सही जानकारी, डॉक्टर की सलाह, और परिवार के सहयोग से आप अपने सपने को सच कर सकती हैं।

अगर आप या आपका कोई जानने वाला कैंसर से जूझ रहा है और मां बनने का सपना देख रहा है, तो आज ही एक फर्टिलिटी एक्सपर्ट से बात करें। याद रखें, हर मुश्किल के बाद एक नई शुरुआत होती है, और आपका सपना भी उस शुरुआत का हिस्सा हो सकता है।

~ Verified by Progenesis Fertility Center's Expert Doctors

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