स्पर्म काउंट क्या है?
स्पर्म काउंट का मतलब है कि वीर्य (Semen) में मौजूद स्पर्म की संख्या। यह पुरुष की फर्टिलिटी का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। स्पर्म काउंट को मेडिकल भाषा में स्पर्म कॉन्संट्रेशन भी कहा जाता है। इसे मापने के लिए एक सैंपल लिया जाता है और मिलियन पर मिलीलीटर (Million per milliliter) के रूप में नापा जाता है।
नॉर्मल स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए?
नॉर्मल स्पर्म काउंट 15 मिलियन/ml या इससे अधिक होता है। जब स्पर्म काउंट इससे कम हो, तो इसे लो स्पर्म काउंट कहते हैं, जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो सकती है।
नॉर्मल स्पर्म काउंट: 15 मिलियन/ml या उससे अधिक।
लो स्पर्म काउंट: 15 मिलियन/ml से कम।
स्पर्म की संख्या के साथ-साथ उसकी क्वालिटी भी गर्भधारण के लिए महत्वपूर्ण होती है।
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स्पर्म काउंट कम होने के कारण
स्पर्म काउंट कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जो लाइफस्टाइल, शारीरिक स्वास्थ्य, और पर्यावरणीय प्रभावों से जुड़े होते हैं। इसके प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं –
1. लाइफस्टाइल फैक्टर्स (जीवनशैली से जुड़े कारण)
आपकी जीवनशैली का सीधा असर आपके स्पर्म काउंट पर पड़ता है:
धूम्रपान (Smoking):
तंबाकू में मौजूद केमिकल्स स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं।
शराब और ड्रग्स का सेवन:
अत्यधिक शराब और नशीली दवाओं का सेवन टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम कर सकता है।
जंक फूड और खराब डाइट:
चरबी या फैटयुक्त और प्रोसेस्ड फूड से पोषण की कमी हो सकती है, जिससे फर्टिलिटी प्रभावित होती है।
स्ट्रेस और तनाव:
मानसिक तनाव से शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो स्पर्म काउंट को कम करता है।
नींद की कमी:
नींद की कमी या खराब स्लीपिंग पैटर्न से हॉर्मोनल प्रोडक्शन पर नकारात्मक असर पड़ता है।
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2. शारीरिक कारण (Physical Factors)
कुछ शारीरिक स्थितियां भी स्पर्म काउंट को प्रभावित कर सकती हैं:
हॉर्मोनल असंतुलन:
स्पर्म उत्पादन के लिए टेस्टोस्टेरोन जैसे हॉर्मोन्स का सही स्तर आवश्यक है। इस हॉर्मोन में गड़बड़ी के कारण स्पर्म काउंट कम हो सकता है।
वैरिकोसील:
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें टेस्टिस की नसों में सूजन हो जाती है, जिससे स्पर्म का निर्माण और गुणवत्ता प्रभावित होती है।
संक्रमण (Infections):
यौन संचारित रोग (Sexually Transmitted Diseases) या प्रजनन अंगों में इंफेक्शन से स्पर्म उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
टेस्टिस इंजरी या सर्जरी:
टेस्टिस पर चोट या किसी प्रकार की सर्जरी से फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है।
जेनेटिक डिसऑर्डर्स:
कुछ पुरुषों में जन्मजात समस्याएं, जैसे Klinefelter Syndrome, स्पर्म उत्पादन को बाधित करती हैं।
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3. पर्यावरणीय कारण (Environmental Factors)
बाहरी पर्यावरण का असर भी फर्टिलिटी पर पड़ता है:
प्रदुषण (Pollution):
हवा, पानी, और मिट्टी में मौजूद हानिकारक केमिकल्स (जैसे कीटनाशक और धातुएं) स्पर्म उत्पादन को कम कर सकते हैं।
टॉक्सिक एक्सपोजर (Toxic Exposure):
फैक्ट्री, पेंट्स, और अन्य औद्योगिक वातावरण में काम करने वाले पुरुषों को टॉक्सिक पदार्थों से खतरा होता है।
अत्यधिक गर्मी:
गर्म वातावरण में काम करना (जैसे भट्टियों के पास) या लैपटॉप को लंबे समय तक गोद में रखना टेस्टिस को ओवरहीट कर सकता है, जिससे स्पर्म काउंट कम होता है।
4. मेडिकल स्थितियां और उपचार (Medical Conditions and Treatments)
कुछ मेडिकल स्थितियां और उपचार स्पर्म काउंट को प्रभावित कर सकते हैं:
कैंसर और कीमोथैरेपी:
कैंसर और उसके इलाज के दौरान उपयोग किए जाने वाले रेडिएशन और दवाएं स्पर्म उत्पादन को रोक सकती हैं।
दवाइयों का साइड इफेक्ट:
कुछ दवाइयां, जैसे स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक्स, और एंटी-डिप्रेसेंट्स, स्पर्म काउंट को कम कर सकती हैं।
डायबिटीज और अन्य क्रॉनिक बीमारियां:
लंबे समय तक डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्थितियां फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
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5. उम्र का प्रभाव (Age Factor)
हालांकि उम्र का असर महिलाओं की फर्टिलिटी पर ज्यादा होता है, लेकिन पुरुषों में भी उम्र बढ़ने के साथ स्पर्म काउंट और क्वालिटी में गिरावट हो सकती है।
40 की उम्र के बाद, टेस्टोस्टेरोन का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है, जो स्पर्म उत्पादन पर असर डालता है।
6. मोटापा (Obesity)
मोटापा पुरुषों में हॉर्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है। इसके अलावा, मोटापे के कारण ब्लड फ्लो कम हो सकता है, जो स्पर्म की क्वालिटी और संख्या को प्रभावित करता है।
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स्पर्म काउंट कम होने के लक्षण
स्पर्म काउंट कम होने का कोई स्पष्ट बाहरी संकेत नहीं होता, क्योंकि यह समस्या अक्सर शरीर के अंदर ही विकसित होती है। हालांकि, कुछ शारीरिक और यौन संबंधी लक्षण संकेत दे सकते हैं कि आपका स्पर्म काउंट सामान्य से कम है। यदि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो किसी एक्सपर्ट डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
1. प्रजनन संबंधी समस्याएं (Reproductive Issues)
गर्भधारण में कठिनाई:
जब आप और आपका पार्टनर एक साल तक नियमित रूप से कोशिश करने के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाते हैं। तो हो सकता हैं कि आपका स्पर्म काउंट कम हो।
बार-बार गर्भपात:
यदि आपकी पार्टनर को बार-बार मिसकैरिज हो रहा है, तो यह स्पर्म की गुणवत्ता या डीएनए फ्रेगमेंटेशन से जुड़ी समस्या हो सकती है।
2. यौन स्वास्थ्य (Sexual Health) से जुड़े लक्षण
इरेक्शन में समस्या (Erectile Dysfunction):
अगर आपको इरेक्शन बनाए रखने या हासिल करने में कठिनाई हो रही है, तो यह हॉर्मोनल असंतुलन और फर्टिलिटी से जुड़ा हो सकता है।
यौन इच्छा में कमी (Low Libido):
यदि आपकी यौन इच्छा कम हो रही है, तो यह टेस्टोस्टेरोन की कमी और स्पर्म उत्पादन में बाधा का संकेत हो सकता है।
वीर्य की मात्रा कम होना (Low Semen Volume):
वीर्य की मात्रा कम होना अक्सर स्पर्म उत्पादन में कमी का संकेत देता है।
3. टेस्टिस से जुड़े लक्षण
टेस्टिस का आकार छोटा होना:
सामान्य से छोटे टेस्टिस का होना, स्पर्म उत्पादन में कमी का एक संकेत हो सकता है।
दर्द या सूजन (Pain or Swelling):
टेस्टिस में दर्द, सूजन, या भारीपन वैरिकोसील, संक्रमण, या अन्य समस्याओं का कारण हो सकता है।
4. हॉर्मोनल असंतुलन से जुड़े लक्षण
शारीरिक बदलाव:
- शरीर के बाल कम होना या धीरे-धीरे गिरना।
- मांसपेशियों की कमजोरी या शरीर में फैट या चरबी बढ़ना।
गाइनेकोमैस्टिया (Gynecomastia):
पुरुषों में छाती का फैट बढ़ना, जो हॉर्मोनल असंतुलन के कारण हो सकता है।
थकान और कमजोरी:
अत्यधिक थकान और एनर्जी की कमी भी हॉर्मोनल समस्याओं का परिणाम हो सकती है।
5. वीर्य की गुणवत्ता से जुड़े लक्षण
स्पर्म की गति (Motility) कम होना:
अगर स्पर्म पर्याप्त रूप से गतिशील नहीं है, तो यह अंडाणु तक पहुंचने में असमर्थ हो सकता है।
स्पर्म की बनावट में असमानता:
असामान्य आकार या बनावट के स्पर्म गर्भधारण को मुश्किल बना सकते हैं।
6. अन्य संभावित लक्षण
यौन अंगों में इंफेक्शन:
बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट या प्रजनन अंगों में संक्रमण होना स्पर्म काउंट और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
स्पर्म काउंट कम होने के इन लक्षणों को नजरअंदाज करना भविष्य में गंभीर फर्टिलिटी समस्याओं का कारण बन सकता है। समय रहते इन लक्षणों की पहचान करना और डॉक्टर से परामर्श लेना फर्टिलिटी सुधारने का पहला कदम है।
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स्पर्म काउंट बढ़ाने के उपाय
अब सवाल यह है कि स्पर्म काउंट कैसे बढ़ाया जाए। तो इसके लिए लाइफस्टाइल में कुछ ऐसे बदलाव करें –
1. सही खानपान अपनाएं
अच्छा डाइट आपकी फर्टिलिटी में सुधार कर सकता है। इसमें शामिल करें:
प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स: अंडे, मछली, नट्स और बीज।
फल और सब्जियां: टमाटर, पालक, और बेरीज।
जिंक और फोलिक एसिड: कद्दू के बीज, लहसुन और हरी सब्जियां।
जंक फूड, कैफीन और शराब का सेवन ना करें।
2. एक्सरसाइज और योग
रोजाना एक्सरसाइज करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और टेस्टोस्टेरोन लेवल बढ़ता है।
कार्डियो वर्कआउट्स: दौड़ना, साइकिल चलाना।
योगासन: प्राणायाम और भुजंगासन।
3. स्ट्रेस कम करें
स्ट्रेस से स्पर्म काउंट और क्वालिटी दोनों प्रभावित होती है।
मेडिटेशन और रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएं।
अपनी स्लीप क्वालिटी पर ध्यान दें। हर दिन 7-8 घंटे की नींद लें।
4. हानिकारक आदतें छोड़ें
स्मोकिंग और शराब का सेवन बंद करें।
ड्रग्स सेवन से दूर रहें।
5. गर्मी से बचें
लैपटॉप को गोद में रखने और टाइट अंडरगारमेंट्स पहनने से बचें।
लंबे समय तक गर्म पानी से मत नहाए।
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मेडिकल सहायता कब लें?
अगर आप ऊपर दिए गए उपायों को अपनाने के बाद भी सुधार महसूस नहीं कर रहे हैं, तो मेडिकल सलाह लेना जरूरी है। डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार सही निदान और ट्रीटमेंट प्लान तैयार करेंगे।
स्पर्म एनालिसिस टेस्ट: यह टेस्ट आपके स्पर्म की संख्या, क्वालिटी और गतिशीलता (Motility) का विश्लेषण करता है।
हॉर्मोनल टेस्ट: हॉर्मोनल असंतुलन की जांच के लिए यह किया जाता है।
उपचार विकल्प: अगर प्राकृतिक उपाय काम न करें, तो एडवान्स तकनीक जैसे IVF, ICSI, या IUI की मदद ली जा सकती है।
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निष्कर्ष –
स्पर्म काउंट कम होना आज एक आम समस्या बनती जा रही है, लेकिन सही जानकारी और उपायों से इसे मैनेज किया जा सकता है। हेल्दी लाइफस्टाइल, सही खानपान, और समय पर मेडिकल सहायता से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। यदि आपको अपनी स्थिति को लेकर कोई चिंता है, तो जल्द से जल्द विशेषज्ञ की सलाह लें।
याद रखें, स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ जीवन की शुरुआत होती है।