यह ब्लॉग हिस्टेरोस्कोपी क्या होती है, यह क्यों की जाती है, कैसे की जाती है, किन स्थितियों में डॉक्टर इसे सलाह देते हैं और इससे जुड़ी संभावित जटिलताएं आदि को विस्तार से समझाएगा।
हिस्टेरोस्कोपी क्या होती है?
हिस्टेरोस्कोपी एक मिनिमली इनवेसिव (Minimally Invasive) तकनीक है, जिसमें एक पतली, लचीली ट्यूबनुमा डिवाइस, जिसे हिस्टेरोस्कोप (Hysteroscope) कहते हैं, को योनि (vagina) के जरिए गर्भाशय ग्रीवा (cervix) से होते हुए गर्भाशय के अंदर डाला जाता है। इस डिवाइस के आगे एक छोटा कैमरा और लाइट लगी होती है, जो गर्भाशय के अंदर की स्थिति को एक स्क्रीन पर दिखाती है।
हिस्टेरोस्कोपी के प्रकार
हिस्टेरोस्कोपी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:
(1) डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी (Diagnostic Hysteroscopy)
डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी एक जांच प्रक्रिया (Diagnostic Procedure) है, जिसका उपयोग गर्भाशय की अंदरूनी स्थिति का अवलोकन करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक पतली, लचीली ट्यूबनुमा डिवाइस (हिस्टेरोस्कोप) को योनि के जरिए गर्भाशय के अंदर डालते हैं। हिस्टेरोस्कोप में एक छोटा कैमरा और लाइट लगी होती है, जिससे डॉक्टर गर्भाशय की लाइनिंग और संरचना को साफ-साफ देख सकते हैं।
इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य किसी भी गर्भाशय संबंधी समस्या जैसे अनियमित पीरियड्स, अत्यधिक ब्लीडिंग, गर्भाशय की बनावट की असामान्यता, फाइब्रॉइड्स (Fibroids), पॉलीप्स (Polyps) या बांझपन (Infertility) के कारणों का पता लगाना होता है। आमतौर पर यह प्रक्रिया कम समय में पूरी हो जाती है और मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती।
(2) ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी (Operative Hysteroscopy)
ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी एक इलाज प्रक्रिया (Surgical Procedure) है, जिसमें हिस्टेरोस्कोप के माध्यम से गर्भाशय की किसी असामान्यता का इलाज किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान हिस्टेरोस्कोप के जरिए छोटे सर्जिकल उपकरण डाले जाते हैं, जिससे बिना किसी चीरे या टांके के ही गर्भाशय के अंदरूनी हिस्से की समस्याओं को ठीक किया जाता है।
इसका उपयोग फाइब्रॉइड्स, पॉलीप्स, गर्भाशय के सेप्टम (Septum), टिशू स्कार (Scar Tissue) को हटाने या एंडोमेट्रियल अबलेशन (Endometrial Ablation) करने के लिए किया जाता है। कई बार डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी के दौरान कोई समस्या मिलने पर डॉक्टर उसी समय ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी भी कर सकते हैं।
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हिस्टेरोस्कोपी क्यों की जाती है?
हिस्टेरोस्कोपी कई तरह की गर्भाशय संबंधी समस्याओं की पहचान और उपचार के लिए की जाती है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं:
(1) अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods) का कारण जानने के लिए
अगर किसी महिला के पीरियड्स बहुत अधिक, बहुत कम, लंबे समय तक या असामान्य तरीके से आ रहे हैं, तो इसका कारण जानने के लिए हिस्टेरोस्कोपी की जाती है। गर्भाशय की लाइनिंग (Endometrium) में किसी प्रकार की असामान्यता को देखने के लिए यह प्रक्रिया उपयोगी होती है।
(2) असामान्य यूटेराइन ब्लीडिंग (Abnormal Uterine Bleeding) के निदान के लिए
कुछ महिलाओं को अत्यधिक मासिक धर्म (Heavy Menstrual Bleeding) या पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग की समस्या होती है। यह स्थिति हार्मोनल असंतुलन, पॉलीप्स, फाइब्रॉइड्स या एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया के कारण हो सकती है। हिस्टेरोस्कोपी के माध्यम से डॉक्टर इसका सही कारण जानकर उचित उपचार कर सकते हैं।
(3) नि:संतानता (Infertility) की जांच के लिए
अगर कोई महिला बिना किसी स्पष्ट कारण के गर्भधारण करने में असमर्थ है, तो डॉक्टर हिस्टेरोस्कोपी की सलाह दे सकते हैं। यह प्रक्रिया गर्भाशय के अंदर किसी रुकावट, निशान या संरचनात्मक असमान्यता की जांच में मदद करती है, जो गर्भधारण में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
(4) बार-बार मिसकैरेज (Repeated Miscarriages) की वजह जानने के लिए
अगर किसी महिला को बार-बार गर्भपात हो रहा है, तो इसका कारण गर्भाशय की संरचना में कोई समस्या हो सकती है। हिस्टेरोस्कोपी की मदद से डॉक्टर यह जांच सकते हैं कि गर्भाशय के अंदर कोई रुकावट, स्कार टिशू या असामान्यता तो नहीं है, जो बार-बार गर्भपात का कारण बन रही हो।
(5) फाइब्रॉइड्स (Fibroids) और पॉलीप्स (Polyps) को हटाने के लिए
गर्भाशय में छोटे या बड़े फाइब्रॉइड्स और पॉलीप्स हो सकते हैं, जो ब्लीडिंग, दर्द और प्रजनन क्षमता (Fertility) को प्रभावित कर सकते हैं। हिस्टेरोस्कोपी के जरिए इनको बिना किसी बड़े ऑपरेशन के हटाया जा सकता है।
(6) सेप्टम (Septum) या गर्भाशय की संरचनात्मक समस्याओं का निदान करने के लिए
कुछ महिलाओं में जन्म से ही गर्भाशय की संरचना असामान्य हो सकती है, जिसे सेप्टेट यूटेरस (Septate Uterus) कहते हैं। हिस्टेरोस्कोपी इस स्थिति को पहचानने और ठीक करने में मदद करती है।
(7) एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया (Endometrial Hyperplasia) की जांच के लिए
यह स्थिति तब होती है जब गर्भाशय की अंदरूनी परत बहुत मोटी हो जाती है, जिससे असामान्य ब्लीडिंग हो सकती है। हिस्टेरोस्कोपी द्वारा इसकी पुष्टि की जाती है।
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हिस्टेरोस्कोपी कैसे की जाती है?
हिस्टेरोस्कोपी को नीचे दिए कुछ स्टेप्स में किया जाता है:
(1) प्रक्रिया से पहले की तैयारी
डॉक्टर मरीज को हिस्टेरोस्कोपी से पहले कुछ दवाएं दे सकते हैं, जो गर्भाशय ग्रीवा (uterine cervix) को रिलैक्स करने में मदद करती हैं।
प्रक्रिया से पहले कुछ घंटे तक मरीज को खाली पेट रहने की सलाह दी जाती है।
अगर प्रक्रिया ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी की है, तो हल्की एनेस्थीसिया दी जा सकती है।
(2) प्रक्रिया के दौरान
1. मरीज को पीठ के बल लेटाया जाता है।
2. योनि में एक विशेष उपकरण (Speculum) डाला जाता है, जिससे गर्भाशय ग्रीवा (uterine cervix) को थोड़ा चौड़ा किया जा सके।
3. फिर हिस्टेरोस्कोप को धीरे-धीरे गर्भाशय के अंदर डाला जाता है।
4. डॉक्टर बेहतर व्यू के लिए गर्भाशय को गैस या लिक्विड से थोड़ा फैलाते हैं।
5. स्क्रीन पर गर्भाशय की स्थिति देखी जाती है और यदि जरूरत हो, तो छोटे सर्जिकल उपकरणों की मदद से इलाज किया जाता है।
(3) प्रक्रिया के बाद
- हल्की ऐंठन और ब्लीडिंग हो सकती है।
- मरीज को कुछ दिनों तक आराम करने की सलाह दी ���ाती है।
- अधिकतर महिलाएं कुछ घंटों में घर जा सकती हैं।
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हिस्टेरोस्कोपी से जुड़े संभावित रिस्क
(1) हल्का दर्द और ऐंठन
प्रक्रिया के बाद हल्की ऐंठन हो सकती है, जो कुछ घंटों में ठीक हो जाती है।
(2) संक्रमण (Infection)
संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है, लेकिन किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया के बाद यह संभावना बनी रहती है।
(3) अत्यधिक ब्लीडिंग (Heavy Bleeding)
कभी-कभी ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी के बाद अधिक ब्लीडिंग हो सकती है, लेकिन यह बहुत दुर्लभ होता है।
(4) गर्भाशय को हल्की चोट (Uterine Perforation)
बहुत कम मामलों में हिस्टेरोस्कोप गर्भाशय की दीवार में हल्की चोट कर सकता है, जिसे मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है।
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निष्कर्ष -
हिस्टेरोस्कोपी एक आधुनिक, सुरक्षित और प्रभावी तकनीक है, जिससे गर्भाशय की कई समस्याओं का निदान और उपचार किया जा सकता है। यह खासतौर पर उन महिलाओं के लिए फायदेमंद है, जिन्हें अनियमित पीरियड्स, अत्यधिक ब्लीडिंग, नि:संतानता, मिसकैरेज, या गर्भाशय में किसी प्रकार की असामान्यता की समस्या हो।
अगर डॉक्टर आपको हिस्टेरोस्कोपी कराने की सलाह दे रहे हैं, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह एक कम दर्द वाली और जल्दी रिकवरी वाली प्रक्रिया है, जिससे आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
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