फाइब्रॉइड्स क्या हैं?
फाइब्रॉइड्स (Fibroids), जिन्हें यूटेराइन फाइब्रॉइड्स (Uterine Fibroids) या लियोमायोमा (Leiomyoma) भी कहा जाता है, ये गर्भाशय (Uterus) में विकसित होने वाली गैर-कैंसरजन्य (Non-Cancerous) गांठें होती हैं। ये फाइब्रोस (Fibrous) और मांसपेशियों के ऊतकों (tissues) से बनी होती हैं और आकार में छोटे से बड़े तक हो सकती हैं।
फाइब्रॉइड्स का आकार और संख्या हर महिला में अलग-अलग हो सकते है। कुछ महिलाओं में ये छोटे होते हैं और कोई लक्षण नहीं देते, जबकि कुछ मामलों में ये इतने बड़े हो जाते हैं कि गर्भाशय का आकार बढ़ सकता है और इससे अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
फाइब्रॉइड्स के कारण
फाइब्रॉइड्स बनने के पीछे सटीक कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन ये कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं –
(A) हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
गर्भाशय में एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हार्मोन का संतुलन बिगड़ने से फाइब्रॉइड्स बनने की संभावना बढ़ सकती है। ये दोनों हार्मोन गर्भाशय की परत को नियंत्रित करते हैं और जब इनका स्तर ज्यादा बढ़ जाता है, तो फाइब्रॉइड्स तेजी से विकसित हो सकते हैं।
(B) अनुवांशिक कारण (Genetic Factors)
अगर परिवार में किसी महिला को फाइब्रॉइड्स की समस्या रही है, तो अगली पीढ़ी में इसकी संभावना बढ़ सकती है।
(C) मोटापा (Obesity)
अत्यधिक वजन या मोटापा शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है, जिससे फाइब्रॉइड्स होने की संभावना बढ़ जाती है।
(D) जीवनशैली और खान-पान (Lifestyle & Diet)
अत्यधिक जंक फूड, ज्यादा फैट और रेड मीट खाने से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।
ज्यादा शराब और कैफीन (Caffeine) का सेवन भी हार्मोनल गड़बड़ी का कारण बन सकता है।
फल और सब्जियों की कमी से भी फाइब्रॉइड्स का खतरा बढ़ सकता है।
(E) गर्भधारण का इतिहास (Pregnancy History)
जिन महिलाओं की कोई संतान नहीं हुई है या जिनका पहला गर्भधारण देर से हुआ है, उनमें भी फाइब्रॉइड्स का खतरा बढ़ सकता है।
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फाइब्रॉइड्स के लक्षण (Symptoms of Fibroids)
फाइब्रॉइड्स के लक्षण महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को कोई लक्षण महसूस नहीं होते, जबकि कुछ को गंभीर परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि फाइब्रॉइड्स का आकार कितना बड़ा है, उनकी संख्या कितनी है और वे कहां स्थित हैं।
1. अनियमित और ज्यादा ब्लीडिंग (Heavy or Irregular Bleeding)
फाइब्रॉइड्स का सबसे सामान्य लक्षण मासिक धर्म (पीरियड्स) में असामान्य बदलाव है। कई महिलाओं को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग (Menorrhagia) होती है, जिससे कमजोरी और एनीमिया (Anemia) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सामान्य 4-5 दिनों की बजाय पीरियड्स 7-10 दिनों तक चल सकते हैं और ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots) बनने लगते हैं। कई बार पीरियड्स के बीच में भी ब्लीडिंग (Spotting) हो सकती है, जिससे महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से असहज महसूस करती हैं।
2. पेट और पेल्विक एरिया में दर्द (Pain & Discomfort in Pelvic Region)
फाइब्रॉइड्स की वजह से पेट के निचले हिस्से में हल्का से लेकर तेज दर्द हो सकता है। यह दर्द लगातार बना रह सकता है या पीरियड्स के दौरान अधिक हो सकता है। कुछ महिलाओं को पेट में भारीपन या दबाव महसूस होता है, खासकर अगर फाइब्रॉइड्स का आकार बड़ा हो। लंबे समय तक खड़े रहने या ज्यादा चलने-फिरने से यह दर्द और बढ़ सकता है।
3. यूरिनरी और डाइजेस्टिव समस्याएं (Urinary & Digestive Issues)
अगर फाइब्रॉइड्स का आकार बड़ा है और यह मूत्राशय (Bladder) के पास स्थित है, तो पेशाब बार-बार आने की समस्या हो सकती है। मूत्राशय पर दबाव पड़ने की वजह से पेशाब करने के बाद भी ऐसा महसूस हो सकता है कि अभी पूरी तरह से पेशाब नहीं हुआ है। कुछ महिलाओं को कब्ज (Constipation) की शिकायत होती है, खासकर जब फाइब्रॉइड्स आंतों (Intestine) पर दबाव डालते हैं। ब्लोटिंग (Bloating) और गैस की समस्या भी हो सकती है, जिससे पेट फूला हुआ लगता है।
4. फर्टिलिटी संबंधी समस्याएं (Fertility Issues & Pregnancy Complications)
कुछ मामलों में, फाइब्रॉइड्स गर्भधारण (Conception) में बाधा डाल सकते हैं। जब फाइब्रॉइड्स गर्भाशय की अंदरूनी परत (Endometrium) को प्रभावित करते हैं, तो निषेचन (Fertilization) में मुश्किलें आ सकती हैं। इसके अलावा, अगर कोई महिला गर्भवती हो जाती है, तो बड़े फाइब्रॉइड्स प्रेग्नेंसी के दौरान समस्याएं पैदा कर सकते हैं, जैसे कि बार-बार मिसकैरेज होना, समय से पहले डिलीवरी (Preterm Labor) या डिलीवरी के दौरान जटिलताएं।
5. अन्य लक्षण (Other Symptoms)
फाइब्रॉइड्स की वजह से कमर और पैरों में भी दर्द हो सकता है, खासकर जब यह नसों पर दबाव डालते हैं। कुछ महिलाओं को पेट में गांठ महसूस होती है, खासकर अगर फाइब्रॉइड्स बड़े हो जाते हैं। कई बार इससे थकान और कमजोरी भी महसूस हो सकती है, खासकर जब अत्यधिक ब्लीडिंग के कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है।
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फाइब्रॉइड्स के प्रकार
फाइब्रॉइड्स को उनके स्थान के आधार पर चार मुख्य प्रकारों में बांटा जाता है –
(A) इंट्राम्यूरल फाइब्रॉइड्स (Intramural Fibroids)
ये गर्भाशय की मांसपेशियों के अंदर विकसित होते हैं और सबसे आम प्रकार के फाइब्रॉइड्स हैं। इनकी वजह से पेट में भारीपन और अनियमित पीरियड्स हो सकते हैं।
(B) सबम्युकॉसल फाइब्रॉइड्स (Submucosal Fibroids)
ये गर्भाशय की अंदरूनी परत (Endometrium) के नीचे विकसित होते हैं। ये पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग और फर्टिलिटी संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
(C) सबसेरॉसल फाइब्रॉइड्स (Subserosal Fibroids)
ये गर्भाशय की बाहरी परत पर बढ़ते हैं और पेट में गांठ या भारीपन महसूस हो सकता है।
(D) पेडुंकुलेटेड फाइब्रॉइड्स (Pedunculated Fibroids)
ये गर्भाशय से जुड़ी पतली स्टेम (Stem) के जरिए बाहर की तरफ बढ़ते हैं। इनके कारण तेज दर्द और ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है।
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फाइब्रॉइड्स का इलाज (Treatment Options for Fibroids)
फाइब्रॉइड्स के इलाज के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं। सही इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि फाइब्रॉइड्स कितने बड़े हैं, कितने लक्षण हो रहे हैं और महिला की भविष्य में गर्भधारण की योजना क्या है।
1. दवाइयों से इलाज (Medication for Fibroids)
अगर फाइब्रॉइड्स छोटे हैं और ज्यादा समस्या नहीं पैदा कर रहे हैं, तो डॉक्टर दवाइयों के जरिए उनका इलाज कर सकते हैं। कुछ हार्मोनल दवाइयां, जैसे कि गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन (GnRH) एगोनिस्ट्स, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर को कम करके फाइब्रॉइड्स को सिकोड़ने में मदद करती हैं। इसके अलावा, आयरन सप्लीमेंट्स (Iron Supplements) दिए जाते हैं ताकि अत्यधिक ब्लीडिंग के कारण होने वाली एनीमिया को रोका जा सके।
2. मिनिमली इनवेसिव ट्रीटमेंट (Minimally Invasive Procedures)
अगर दवाइयों से राहत नहीं मिलती या फाइब्रॉइड्स बड़े हो जाते हैं, तो कुछ मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर्स किए जा सकते हैं:
यूटराइन आर्टरी एम्बोलाइज़ेशन (Uterine Artery Embolization – UAE): इसमें गर्भाशय को ब्लड सप्लाई करने वाली धमनियों को ब्लॉक कर दिया जाता है, जिससे फाइब्रॉइड्स सिकुड़ जाते हैं।
एमआरआई गाइडेड फोकस्ड अल्ट्रासाउंड (MRI-Guided Focused Ultrasound): इसमें हाई-इंटेंसिटी अल्ट्रासाउंड वेव्स की मदद से फाइब्रॉइड्स को नष्ट किया जाता है।
3. सर्जरी (Surgical Treatment)
अगर फाइब्रॉइड्स बहुत बड़े हो जाते हैं या महिला को बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही है, तो सर्जरी का विकल्प अपनाया जाता है।
मायोमेक्टॉमी (Myomectomy): इस प्रक्रिया में सिर्फ फाइब्रॉइड्स को निकाला जाता है, जिससे महिला का गर्भाशय सुरक्षित रहता है और भविष्य में गर्भधारण संभव होता है।
हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy): जब अन्य सभी विकल्प फेल हो जाते हैं और महिला को अत्यधिक तकलीफ होती है, तो गर्भाशय को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है। यह एक स्थायी समाधान होता है, लेकिन इसके बाद महिला मां नहीं बन सकती।
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निवारण (Prevention Tips for Fibroids)
फाइब्रॉइड्स को पूरी तरह से रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इसकी संभावना को कम किया जा सकता है।
1. हेल्दी डाइट अपनाएं (Follow a Healthy Diet)
फाइब्रॉइड्स को रोकने के लिए सही खान-पान बहुत जरूरी है। रोजाना हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और फाइबर युक्त आहार लें। रेड मीट और ज्यादा फैट वाले फूड्स से बचें, क्योंकि ये हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकते हैं। ग्रीन टी और विटामिन-डी से भरपूर चीजों का सेवन करें, क्योंकि ये फाइब्रॉइड्स के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं।
2. वजन को नियंत्रित रखें (Maintain a Healthy Weight)
अत्यधिक वजन और मोटापा हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकते हैं, जिससे फाइब्रॉइड्स बनने की संभावना बढ़ जाती है। नियमित एक्सरसाइज करें, जैसे कि योग, वॉकिंग, साइक्लिंग या स्विमिंग। इससे हार्मोनल बैलेंस ठीक रहता है और फाइब्रॉइड्स का खतरा कम होता है।
3. तनाव कम करें और अच्छी नींद लें (Manage Stress & Sleep Well)
अत्यधिक तनाव से शरीर में कॉर्टिसोल (Cortisol) हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो हार्मोनल असंतुलन को बढ़ावा देता है। मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग और म्यूजिक थेरेपी जैसी रिलैक्सेशन टेक्निक्स अपनाएं। अच्छी नींद लें, क्योंकि यह शरीर के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है।
4. शराब और कैफीन का सेवन सीमित करें (Limit Alcohol & Caffeine Intake)
अत्यधिक शराब और कैफीन का सेवन हार्मोनल बदलाव को बढ़ा सकता है, जिससे फाइब्रॉइड्स का खतरा बढ़ता है। इसलिए इनका सेवन कम करें और हेल्दी ड्रिंक्स जैसे कि हर्बल टी और ताजे फलों के जूस का सेवन करें।
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निष्कर्ष –
फाइब्रॉइड्स कई बार एक गंभीर समस्या हो सकती है। इसके लक्षणों को नजरअंदाज न करें और सही समय पर डॉक्टर से सलाह लें। अगर समय रहते फाइब्रॉइड्स की पहचान और इलाज किया जाए, तो यह कोई बड़ी समस्या नहीं बनती। सही लाइफस्टाइल अपनाकर और रेगुलर हेल्थ चेकअप कराकर इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
अगर आपको भी लंबे समय से कोई लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें!