‘गर्भाशय के अंदर की परत’ को मेडिकल भाषा में ‘एन्डोमेट्रियम’ कहा जाता है। Embryo implantation के लिए और भ्रूण के विकास के लिए एंडोमेट्रियम जरुरी होता है। इससे यह समझ आता है, की गर्भधारण और गर्भावस्था के लिए अच्छे एंडोमेट्रियम की जरुरत होती है।
हालाँकि, कुछ महिलाओं को गर्भाशय की पतली परत का अनुभव हो सकता है, जिसका गर्भधारण और स्वस्थ गर्भावस्था बनाए रखने की क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।
गर्भधारण में Thin Uterian Lining की स्थिति जानना जरुरी है। गर्भधारण में एंडोमेट्रियम का महत्त्व, कारन, लक्षण, इलाज जैसी अधिक जानकारी के लिए अंत तक बने रहे।
युटेरियन लायनिंग क्या है?
गर्भाशय की परत, जिसे एंडोमेट्रियम भी कहा जाता है, रीप्रोडक्टीव्ह सिस्टिम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गर्भाशय में एंडोमेट्रियम, मायोमेट्रियम और परिमेट्रियम ऐसे ३ स्तर होते है। सबसे अंदर का स्तर एंडोमेट्रियम होता है।
हर महीने मासिक धर्म चक्र के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन से एंडोमेट्रियम बनता है। यानि गर्भधारण के लिए पूरक वातावण बनाया जाता है। यह सृष्टि की एक अनौखी घटना है, जो स्त्री को माँ बनने में सहायता करती है। लेकिन अगर कोई फर्टिलाइज़ेशन नहीं होता है, तो मासिक धर्म शुरू होता है और इसके दौरान एंडोमेट्रियम रक्तस्त्राव के साथ बहार निकल जाता है।
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Free consultationथिन युटेरिअन लायनिंग क्या है?
थिन यूटेरियन लायनिंग को मेडिकल भाषा में endometrial atrophy भी कहा जाता है। ८mm से लेकर १४mm तक की यूटेरियन लायनिंग नार्मल होती है। एंडोमेट्रियम थिकनेस ८mm से कम होनेपर इसे थिन यूटेरियन लायनिंग कहा जाता है।
गर्भाशय की परत भ्रूण के आरोपण में सहायता करने और एक स्वस्थ गर्भावस्था सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि अस्तर बहुत पतली है, तो एम्ब्रियो इम्प्लांटेशन होना और भ्रूण ठीक से विकसित होना मुश्किल हो सकता है, जिससे गर्भपात या अन्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
हार्मोनल इम्बैलेंस, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), अधिक आयु जैसे कई कारक थिन यूटेरियन लायनिंग में योगदान कर सकते है।
अब, अभी घबराओ मत! गर्भाशय की परत की मोटाई में सुधार करने के लिए अनेक उपचार उपलब्ध हैं, जिनमें estrogen supplementation, platelet-rich plasma (PRP) तकनीक शामिल है। साथ ही, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार के साथ स्वस्थ जीवन शैली अपनाना भी फायदेमंद होता है।
गर्भधारण में यूटेरियन लायनिंग का महत्त्व
गर्भाशय की यह भीतरी परत अंदर पल रहे उस छोटे से जिव के लिए एक आरामदायक और पौष्टिक वातावरण बनाने के लिए जिम्मेदार है। एम्ब्रियो इम्प्लांटेशन की तयारी में यह एंडोमेट्रियम हर महीने मोटा हो जाता है। यदि कंसेप्शन होता है, तो भ्रूण खुद को इस एंडोमेट्रियम में प्रत्यारोपित (implant) कर लेता है; जहां वह माँ से सभी आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन प्राप्त कर सकता है।
और अगर सब कुछ ठीक से चलता है, तो यह गर्भाशय की परत गर्भावस्था के दौरान विकासशील भ्रूण को सहारा देने के लिए चिपकी रहती है। लेकिन यहाँ मुख्य बात यह है – यदि कोई प्रत्यारोपण नहीं होता है या यदि निषेचन भी नहीं होता है, तो यह अस्तर मासिक धर्म के माध्यम से निकल जाता है, जिससे अगले महीने एक नई शुरुआत के लिए जगह बन जाती है।
यूटेरियन लायनिंग कैसे बनती है ?
हर महीने, गर्भावस्था की तैयारी में, महिला के गर्भाशय की परत में बदलाव होता है। जब कोई महिला ओवुलेट करती है यानि महिला की ओव्हरीज से मच्यूअर एग्ज रिलीज होते है, तो उस समय इस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है। एंडोमेट्रियम थिकनेस बढ़ने लगता है। जो इम्प्लांटेशन और भ्रूण के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।
जब फर्टिलाइज़ेशन नहीं होता है तब इस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में गिरावट आने लगती है। मासिक धर्म शुरू होता है। इसके दौरान यह परत टुकड़ो के स्वरुप में निकाल दिया जाता है।
मासिक धर्म के बाद फिरसे यह यूटेरियन लायनिंग बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
यूटेरियन लायनिंग नार्मल रेंज
मासिक धर्म के दौरान | १-४ mm |
मासिक धर्म बाद ५ से १४ दिन तक | ८-१२ mm |
ओवुलेशन काल | १२-१३ mm |
मासिक धर्म के बाद १५ से २८ दिन तक | १६-१८ mm |
इसके आलावा ८mm से कम थिकनेस को थिन यूटेरियन लायनिंग कहा जाता है। जिससे गर्भाधान और गाधारण करने में कठिनाई होती है।
थीन यूटेरियन लायनिंग के साथ गर्भधारण कैसे करे?
गर्भधारण में कठिनाई है, मिसकैरेज का अनुभव है या फिर गर्भ इम्प्लांट होने में दिक्क्त है तो थिन यूटेरियन लायनिंग एक कारन हो सकता है। ऐसी स्थिति में फर्टिलिटी डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है। सही समय पर सही निदान और सही इलाज लेने से आप जल्दी माँ बन सकती है।
पर्याप्त मात्रा में एस्ट्रोजन न होने का परिणाम है ‘थिन यूटेरियन लायनिंग’। ब्लड टेस्ट से एस्ट्रोजेन का स्तर मापा जा सकता है। जिससे यूटेरियन लायनिंग के थिकनेस का अंदाजा होता है।
थिन यूटेरस लायनिंग के केस में कई सारे उपचार पर्याय उपलब्ध है जिसकी मदत से गर्भधारण करना आसान है।
- मेडिकेशन : थिन यूटेरियन लायनिंग होनेपर दवाइयां देते है। जिससे एंडोमेट्रियम में बढ़ोतरी होती है।
- सर्जरी : कुछ केसेस में एस्ट्रोजेन स्तर नार्मल होता है लेकिन डैमेज यूटेरियन लायनिंग होनेपर एंडोमेट्रियम थिन हो सकता है। जैसे की, इन्फेक्शन्स, पिछली सर्जरी की वजह से कैविटी होनेपर यूटेरियन लायनिंग थिन हो सकती है। ऐसी कैविटी निकलने के लिए डॉक्टर सर्जरी का सुझाव दे सकते है।
- हार्मोन थेरपी : एक सामान्य दृष्टिकोण हार्मोन थेरेपी है, जहां गर्भाशय की परत को मोटा करने के लिए एस्ट्रोजन युक्त दवाओं का उपयोग किया जाता है।
- एस्ट्रोजन पैच
- एस्ट्रोजन इंजेक्शन
- योनि मार्ग से एस्ट्रोजेन देना (vaginal estrogen administering)
- यूटेरियन लायनिंग को ब्लड फ्लो नहीं होनेपर भी एंडोमेट्रियम थिन होता है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड की मदत से डॉक्टर यूटेरियन ब्लड फ्लो मापते है। दवाइयों से इलाज संभव है।
मिसकैरेज, इम्प्लांटेशन, भ्रूण विकास में समस्या के लिए फर्टिलिटी डॉक्टर की सलाह ले।
Free consultationथिन एंडोमेट्रियम के लक्षण
- इर्रेगुलर पीरियड्स
- इनफर्टिलिटी
- स्कैन्टी पीरियड्स
- दर्दनाक पीरियड्स
थिन यूटेरियन लायनिंग के कारन
- लो इस्ट्रोजेन लेव्हल
- यूटेरस को ब्लड सप्लाय कम होना
- एंडोमेट्रियल टिश्यूस की लो क्वालिटी
- बैक्टेरियल इंफेक्शन
- गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन
- डायलेशन या क्यूरेटिंग जैसी सर्जरी (D & C Surgery) का इतिहास।
- सर्जरी में कैवेटी होना
- सर्जरी में बेसालिस निकाल दिया जानेपर लायनिंग ग्रो नहीं करती और थिन रह जाती है। बेसालिस एंडोमेट्रियम बनानेवाली फंक्शनल लेयर होती है।
- हार्मोनल इम्बैलेंस : लो इस्ट्रोजेन लेव्हल और लो प्रोजेस्टेरोन लेव्हल.
- अधिक आयु : बढ़ती उम्र के साथ रीप्रोडक्टीव्ह हार्मोन का स्तर स्वाभाविक रूप से कम होता है।
- मेनोपॉज की स्थिति में यूटेरियन लायनिंग नहीं बनती।
- रीप्रोडक्टीव्ह डिसीज : पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), एशरमैन सिंड्रोम, एमेनोरिया, फाइब्रॉइड, adesion, एंडोमेट्रिओसिस आदि।
- कीमोथेरेपी जैसे कुछ कैंसर उपचार एंडोमेट्रियम को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
थिन यूटेरियन लायनिंग का निदान
- अल्ट्रासाउंड
- हिस्टेरोस्कोपी
- हार्मोनल ब्लड टेस्ट : प्रोजेस्टेरोन और इंस्ट्रोजेन
थिन एंडोमेट्रियम रिस्क फैक्टर्स
- मिसकैरेज
- एक्टोपिक गर्भधारणा
- वन्ध्यत्व
- प्रीमैच्यूअर डिलिव्हरी
- लो बर्थ वेट
थिन यूटेरियन लायनिंग का इलाज
- फर्टिलिटी मेडिसिन और हार्मोनल दवाइयाँ
- स्वस्थ जीवनशैली, सकस आहार और नियमित एक्सरसाइज
- एक्यूपंक्चर या फर्टिलिटी मसाज जैसी ट्रीटमेंट से ब्लड फ्लो इम्प्रोव्ह होता है।
- एंडोमेट्रियल रिसेक्शन : हिस्टेरोस्कोप की मदत से एंडोमेट्रियम को हटा दिया जाता है।
- एंडोमेट्रियल स्क्रैचिंग : गर्भाशय की परत को धीरे से खुरचने के लिए एक छोटे उपकरण का उपयोग किया जाता है। यह तकनीक कोशिका विभाजन (cell devision) को शुरू करने में मदद करती है।
- PRP का मतलब प्लेटलेट-रिच प्लाज़्मा है। ब्लड सैंपल से प्लाज़्मा और प्लेटलेट को अलग किया जाता है और जरुरत की जगह इंजेक्ट किया जाता है। जिससे कोलेजन प्रोडक्शन स्टिम्युलेट होता है और टिश्यूज निर्माण होते है। इस तकनीक की मदत से यूटेरियन लायनिंग बढ़ने में मदत होती है।
FAQs
गर्भधारण के लिए एंडोमेट्रियल थिकनेस कितना होना चाहिए?
जवाब : आम तौर पर एंडोमेट्रियल थिकनेस ७ से १६ mm के बिच होनी चाहिए। एंडोमेट्रियल लायनिंग एकजैसी नहीं रहती। मासिक धर्म चक्र में पीरिएड तक बढ़ती जाती है।
एंडोमेट्रियम पतला क्यों होता है?
जवाब : हार्मोनल इम्बैलेंस, इन्फेक्शन्स, PID, एंडोमेट्रिओसिस, फाइब्रॉइड की वजह से यूटेरस को लो ब्लड सप्लाय, जैसे कई कारकों से एंडोमेट्रियम पतला होता है।
मासिक धर्म के साथ एंडोमेट्रियम थिकनेस कैसे बदलता है?
मासिक धर्म समाप्त होने के बाद, एंडोमेट्रियल मोटाई आमतौर पर पतली होती है। जैसे ही एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है, यह एंडोमेट्रियम को ट्रिगर करता है, जिससे यह धीरे-धीरे गाढ़ा हो जाता है।
क्या पतली एंडोमेट्रियम के साथ गर्भवती होना संभव है?
जवाब : हाँ! पतली एंडोमेट्रियम के साथ गर्भधारण करना संभव है। लेकिन डॉक्टर गर्भावस्था से पहले या भ्रूण स्थानांतरण से पहले गर्भाशय की परत को मोटा करने के लिए उपचार का सुझाव देते हैं।