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ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) क्या है? कारण और इलाज

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हमारा मकसद है कि आपको इस विषय की पूरी जानकारी आसान भाषा में मिले, ताकि आप इस स्थिति को समझ सकें और इसका सही समय पर इलाज करा सकें।

ओलिगोस्पर्मिया क्या है?

ओलिगोस्पर्मिया एक मेडिकल स्थिति है जिसमें पुरुष के वीर्य (semen) में शुक्राणुओं (sperm) की संख्या सामान्य से कम होती है। सामान्य तौर पर, एक स्वस्थ पुरुष के वीर्य में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से 200 मिलियन शुक्राणु होते हैं। अगर यह संख्या 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर से कम हो, तो इसे ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है। इसका मतलब यह नहीं कि पुरुष पूरी तरह से गर्भधारण कराने में असमर्थ है, लेकिन गर्भधारण (pregnancy) की संभावना कम हो जाती है, क्योंकि कम शुक्राणु होने से स्त्रीबीज (egg) तक पहुंचने और उसे निषेचित (fertilize) करने की प्रक्रिया मुश्किल हो जाती है।

ओलिगोस्पर्मिया के प्रकार

ओलिगोस्पर्मिया को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है, जो शुक्राणुओं की संख्या पर आधारित हैं:

हल्का (Mild): प्रति मिलीलीटर 10-15 मिलियन शुक्राणु।

मध्यम (Moderate): प्रति मिलीलीटर 5-10 मिलियन शुक्राणु।

गंभीर (Severe): प्रति मिलीलीटर 5 मिलियन से कम शुक्राणु।

हल्के और मध्यम ओलिगोस्पर्मिया में गर्भधारण की संभावना रहती है, लेकिन गंभीर स्थिति में यह बहुत मुश्किल हो सकता है। हालांकि, आधुनिक चिकित्सा और सही उपचार से इस समस्या को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: शुक्राणु की संख्या कैसे बढ़ाये?

ओलिगोस्पर्मिया का प्रभाव

यह स्थिति पुरुषों के आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती है। कई पुरुषों को इस समस्या के बारे में बात करने में झिझक होती है, क्योंकि समाज में फर्टिलिटी से जुड़े मुद्दों को अक्सर गलत समझा जाता है। लेकिन यह समझना जरूरी है कि ओलिगोस्पर्मिया एक मेडिकल समस्या है, और इसका इलाज संभव है।

क्यों है यह महत्वपूर्ण?

ओलिगोस्पर्मिया का समय पर पता लगना और इलाज करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह न केवल शारीरिक, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर भी प्रभाव डालता है। सही जानकारी और उपचार से पुरुष अपनी फर्टिलिटी को बेहतर कर सकते हैं और अपने परिवार को बढ़ाने का सपना पूरा कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: पुरुष वन्ध्यत्व समस्या में क्या करे?

ओलिगोस्पर्मिया के लक्षण

ओलिगोस्पर्मिया का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि यह आमतौर पर बिना किसी स्पष्ट संकेत के होता है। ज्यादातर पुरुषों को इस समस्या का पता तब चलता है जब उनकी पत्नी गर्भवती (pregnant) नहीं हो पाती, और वे डॉक्टर के पास टेस्ट के लिए जाते हैं। फिर भी, कुछ मामलों में कुछ लक्षण दिख सकते हैं, जो इस स्थिति की ओर इशारा करते हैं।

संभावित लक्षण-

गर्भधारण में असफलता: अगर एक साल तक नियमित कोशिश के बाद भी गर्भधारण नहीं हो रहा, तो यह ओलिगोस्पर्मिया का संकेत हो सकता है।

शारीरिक बदलाव: अंडकोष (testicles) में सूजन, दर्द, या गांठ महसूस होना।

हॉर्मोन असंतुलन: हॉर्मोन में बदलाव के कारण चेहरे या शरीर पर बाल कम होना, वजन बढ़ना, या यौन इच्छा (libido) में कमी।

संक्रमण के लक्षण: बार-बार होने वाला पेशाब में जलन या वीर्य में खून आना।

यौन समस्याएं: इरेक्शन (erection) में दिक्कत या स्खलन (ejaculation) की समस्या।

अन्य संकेत -

थकान और कमजोरी: हॉर्मोन असंतुलन के कारण थकान या कमजोरी महसूस हो सकती है।

वजन में बदलाव: बिना कारण वजन बढ़ना या घटना।

मानसिक तनाव: गर्भधारण में असफलता के कारण तनाव या चिंता बढ़ सकती है।

कब करें डॉक्टर से संपर्क?

अगर आप और आपकी पार्टनर एक साल से गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं और सफलता नहीं मिल रही, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा, अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी दिखे, तो तुरंत टेस्ट करवाएं। जल्दी पता लगने से इलाज आसान हो जाता है।

यह भी पढ़ें: गर्भपात (Miscarriage) क्या है? कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

ओलिगोस्पर्मिया के कारण

ओलिगोस्पर्मिया के कई कारण हो सकते हैं, जो शारीरिक, पर्यावरणीय, और जीवनशैली से जुड़े हो सकते हैं। इन कारणों को समझना इलाज के लिए बहुत जरूरी है।

शारीरिक कारण- 

हॉर्मोन असंतुलन: टेस्टोस्टेरोन (testosterone) और अन्य हॉर्मोन्स का असंतुलन शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करता है।

वेरिकोसील (Varicocele): अंडकोष की नसों में सूजन, जो शुक्राणु उत्पादन को कम कर सकती है। यह ओलिगोस्पर्मिया का सबसे आम कारण है।

संक्रमण: कुछ संक्रमण, जैसे यौन संचारित रोग (STDs) या प्रोस्टेट ग्लैंड ��ा इन्फेक्शन, शुक्राणु की संख्या को कम कर सकते हैं।

जेनेटिक समस्याएं: कुछ पुरुषों में जन्मजात (genetic) समस्याएं, जैसे क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करती हैं।

अंडकोष की चोट: किसी दुर्घटना या चोट के कारण अंडकोष को नुकसान होने से शुक्राणु उत्पादन रुक सकता है।

रुकावट: वीर्य नलिकाओं (tubes) में रुकावट के कारण शुक्राणु बाहर नहीं आ पाते।

पर्यावरणीय कारण-

गर्मी का प्रभाव: अंडकोष को अधिक गर्मी (जैसे गर्म पानी से नहाना, टाइट कपड़े, या लैपटॉप को गोद में रखना) शुक्राणु उत्पादन को कम कर सकती है।

केमिकल्स का संपर्क: कीटनाशक (pesticides), पेंट, या भारी धातुओं (heavy metals) के संपर्क में आने से शुक्राणु की संख्या प्रभावित हो सकती है।

रेडिएशन: बार-बार एक्स-रे या रेडिएशन के संपर्क में आने से भी यह समस्या हो सकती है।

जीवनशैली से जुड़े कारण-

धूम्रपान और शराब: सिगरेट और शराब का अधिक सेवन शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को कम करता है।

मोटापा: अधिक वजन हॉर्मोन असंतुलन का कारण बन सकता है, जो शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करता है।

तनाव: मानसिक तनाव हॉर्मोन्स को बिगाड़ सकता है, जिससे शुक्राणु कम बनते हैं।

गलत खानपान: पौष्टिक भोजन की कमी, जैसे जिंक और विटामिन सी की कमी, शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करती है।

अधिक व्यायाम या स्टेरॉयड: बहुत ज्यादा व्यायाम या स्टेरॉयड का उपयोग भी हॉर्मोन असंतुलन का कारण बन सकता है।

दवाइयों का प्रभाव - 

कुछ दवाइयां, जैसे कैंसर की दवाएं (chemotherapy), स्टेरॉयड, या हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं, शुक्राणु उत्पादन को कम कर सकती हैं।

अन्य कारण - 

उम्र: उम्र बढ़ने के साथ शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में कमी आ सकती है।

पुरानी बीमारियां: डायबिटीज, थायरॉयड, या किडनी की समस्याएं भी शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकती हैं।

यह भी पढ़ें: एजुस्पर्मिया क्या होता है?

ओलिगोस्पर्मिया का निदान

ओलिगोस्पर्मिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करते हैं। निदान (diagnosis) का पहला कदम है सही जानकारी इकट्ठा करना और फिर टेस्ट के जरिए समस्या की गहराई को समझना।

1. मेडिकल हिस्ट्री

डॉक्टर सबसे पहले आपकी मेडिकल हिस्ट्री लेंगे। इसमें नीचे दिए कुछ सवाल शामिल हो सकते हैं:

क्या आपको कोई पुरानी बीमारी (जैसे डायबिटीज या थायरॉयड) है?

क्या आप कोई दवाई ले रहे हैं?

क्या आप धूम्रपान, शराब, या ड्रग्स का सेवन करते हैं?

क्या आपको पहले कोई इन्फेक्शन या चोट हुई है?

आपकी जीवनशैली और खानपान कैसा है?

2. शारीरिक जांच

डॉक्टर आपके अंडकोष और गर्भधारण से जुड़े अंगों की जांच करेंगे ताकि किसी सूजन, गांठ, या अन्य समस्या का पता लगाया जा सके।

3. टेस्ट

सीमेन एनालिसिस (Semen Analysis): यह सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट है, जिसमें वीर्य के सैंपल की जांच की जाती है। इस टेस्ट से शुक्राणुओं की संख्या, उनकी गति (motility), और आकार (shape) का पता चलता है।

हॉर्मोन टेस्ट: खून की जांच से टेस्टोस्टेरोन और अन्य हॉर्मोन्स के स्तर का पता लगाया जाता है।

अल्ट्रासाउंड: अंडकोष और गर्भधारण से जुड़े अंगों की अल्ट्रासाउंड जांच से वेरिकोसील या रुकावट का पता चल सकता है।

जेनेटिक टेस्ट: अगर जेनेटिक समस्या का शक हो, तो खून की जांच से इसका पता लगाया जाता है।

बायोप्सी: कुछ मामलों में अंडकोष से छोटा सा सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है।

4. निदान की प्रक्रिया

इन टेस्टों के आधार पर डॉक्टर यह तय करते हैं कि ओलिगोस्पर्मिया कितना गंभीर है और इसका कारण क्या है। इसके बाद ही सही इलाज का प्लान बनाया जाता है। निदान के दौरान धैर्य रखना जरूरी है, क्योंकि सही कारण का पता लगने में समय लग सकता है।

यह भ��� पढ़ें: वेरिकोसील क्या है? (Varicocele in Hindi)

ओलिगोस्पर्मिया का उपचार

ओलिगोस्पर्मिया का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में दवाइयां और जीवनशैली में बदलाव काफी होते हैं, जबकि कुछ में सर्जरी या अन्य उपचार की जरूरत पड़ती है।

1. दवाइयों से इलाज

हॉर्मोन थेरेपी: अगर हॉर्मोन असंतुलन की वजह से शुक्राणु कम हैं, तो हॉर्मोन दवाइयां दी जा सकती हैं।

एंटीबायोटिक्स: अगर इन्फेक्शन की वजह से समस्या है, तो एंटीबायोटिक्स से इलाज किया जाता है।

विटामिन और सप्लीमेंट्स: जिंक, विटामिन सी, विटामिन ई, और फोलिक एसिड जैसे सप्लीमेंट्स शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को बेहतर कर सकते हैं।

2. सर्जरी

वेरिकोसील सर्जरी: अगर वेरिकोसील की वजह से शुक्राणु कम हैं, तो सर्जरी से नसों की सूजन को ठीक किया जा सकता है।

रुकावट हटाने की सर्जरी: अगर नलिकाओं में रुकावट है, तो सर्जरी से इसे ठीक किया जा सकता है।

3. असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART)

अगर दवाइयां या सर्जरी से समस्या ठीक नहीं होती, तो डॉक्टर ART की सलाह दे सकते हैं:

IUI (Intrauterine Insemination): इसमें स्वस्थ शुक्राणुओं को सीधे गर्भाशय (uterus) में डाला जाता है।

IVF (In Vitro Fertilization): इसमें स्त्रीबीज और शुक्राणु को लैब में मिलाया जाता है, और फिर भ्रूण (embryo) को गर्भाशय में डाला जाता है।

ICSI (Intracytoplasmic Sperm Injection): यह IVF का एक प्रकार है, जिसमें एक स्वस्थ शुक्राणु को सीधे स्त्रीबीज में इंजेक्ट किया जाता है।

4. मानसिक सहायता

ओलिगोस्पर्मिया का इलाज लंबा हो सकता है, और इससे तनाव हो सकता है। ऐसे में काउंसलिंग या सपोर्ट ग्रुप की मदद लेना फायदेमंद हो सकता है। यह न केवल पुरुष को, बल्कि उनके पार्टनर को भी भावनात्मक सहारा देता है।


5. वैकल्पिक उपचार

कुछ लोग आयुर्वेद, होम्योपैथी, या एक्यूपंक्चर जैसे वैकल्पिक उपचारों की ओर रुख करते हैं। हालांकि, इनका उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है, क्योंकि इनके प्रभाव के बारे में पर्याप्त वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं।

6. जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपाय

ओलिगोस्पर्मिया को ठीक करने में दवाइयों और उपचार के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपाय भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये उपाय शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को बेहतर करने में मदद करते हैं।

6.1 खानपान में सुधार

पौष्टिक भोजन: हरी सब्जियां (जैसे पालक, ब्रोकली), फल (जैसे सेब, केला), नट्स (जैसे बादाम, अखरोट), और साबुत अनाज (जैसे ओट्स, ब्राउन राइस) खाएं। जिंक से भरपूर खाना (जैसे कद्दू के बीज, मछली, और दालें) और विटामिन सी (जैसे संतरा, नींबू) शुक्राणु के लिए अच्छे हैं।

पानी पीएं: दिन में 8-10 गिलास पानी पीने से शरीर में विषैले पदार्थ (toxins) बाहर निकलते हैं, जो शुक्राणु उत्पादन के लिए फायदेमंद है।

जंक फूड से बचें: तला-भुना खाना, प्रोसेस्ड फूड (जैसे चिप्स, बर्गर), और ज्यादा चीनी वाले खाद्य पदार्थ (जैसे मिठाई, कोल्ड ड्रिंक) कम करें।

6.2 व्यायाम और वजन नियंत्रण

नियमित व्यायाम: रोज 30 मिनट की हल्की एक्सरसाइज, जैसे पैदल चलना, योग, या स्विमिंग, हॉर्मोन्स को संतुलित रखती है और शुक्राणु उत्पादन को बढ़ावा देती है।

वजन कम करें: अगर आपका वजन ज्यादा है, तो स्वस्थ तरीके से वजन कम करने की कोशिश करें। मोटापा हॉर्मोन असंतुलन का कारण बन सकता है।

6.3 बुरी आदतें छोड़ें

धूम्रपान और शराब छोड़ें: सिगरेट और शराब का अधिक सेवन शुक्राणु की संख्या और गति को कम करता है। इन्हें पूरी तरह छोड़ देना सबसे अच्छा है।

कैफीन कम करें: ज्यादा कॉफी या चाय पीने से बचें, क्योंकि यह हॉर्मोन्स को प्रभावित कर सकता है।

6.4 तनाव कम करें

योग और ध्यान: रोज 10-15 मिनट ध्यान या योग करने से तनाव कम होता है, जो हॉर्मोन्स को संतुलित रखने में मदद करता है।

पर्याप्त नींद: रात को 7-8 घंटे की नींद जरूरी है, क्योंकि नींद क��� कमी शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करती है।

6.5 गर्मी से बचाव

टाइट कपड़े न पहनें: ढीले कपड़े और अंडरगारमेंट्स पहनें ताकि अंडकोष को ठंडक मिले। टाइट कपड़े अंडकोष का तापमान बढ़ा सकते हैं।

गर्म पानी से बचें: गर्म पानी से नहाने, सौना, या गर्म टब का उपयोग कम करें।

6.6 घरेलू उपाय

अश्वगंधा: यह एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो तनाव कम करती है और शुक्राणु की संख्या बढ़ाने में मदद करती है। इसे डॉक्टर की सलाह से लें।

लहसुन: इसमें एलिसिन होता है, जो खून के बहाव को बेहतर करता है और शुक्राणु उत्पादन में मदद करता है। रोज 1-2 कच्ची लहसुन की कलियां खाएं।

अनार: अनार का जूस पीने से हॉर्मोन्स और शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

मेथी: मेथी के बीज भिगोकर खाने से हॉर्मोन स्तर बेहतर हो सकता है।

6.7 नियमित जांच

अपने डॉक्टर से नियमित चेकअप करवाएं और उनके दिए सुझावों का पालन करें। समय-समय पर सीमेन एनालिसिस करवाने से प्रगति का पता चलता है।

6.8 अन्य सुझाव

धूप में समय बिताएं: विटामिन डी के लिए रोज 15-20 मिनट धूप में रहें।

केमिकल्स से बचें: कीटनाशक, प्लास्टिक, और केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स से दूरी बनाएं।

सकारात्मक रहें: मानसिक रूप से सकारात्मक रहना और परिवार के साथ समय बिताना तनाव को कम करता है।

यह भी पढ़ें: इरेक्टाइल डिसफंक्शन क्या है?

निष्कर्ष-

ओलिगोस्पर्मिया एक ऐसी मेडिकल समस्या है जो पुरुषों की फर्टिलिटी को प्रभावित करती है, लेकिन इसका इलाज संभव है। सही समय पर निदान और उपचार से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। अगर आपको या आपके पार्टनर को गर्भधारण में दिक्कत हो रही है, तो बिना झिझक डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही, स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और घरेलू उपायों का उपयोग करके आप शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को बेहतर कर सकते हैं।

यह जरूरी है कि इस विषय को लेकर समाज में जागरूकता बढ़े और लोग इसे एक सामान्य मेडिकल समस्या की तरह समझें। ओलिगोस्पर्मिया का सामना कर रहे पुरुषों को यह समझना चाहिए कि यह कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि एक ऐसी स्थिति है जिसका इलाज संभव है। आधुनिक चिकित्सा, जीवनशैली में बदलाव, और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आप अपने परिवार को बढ़ाने का सपना पूरा कर सकते हैं।

~ Verified by Progenesis Fertility Center's Expert Doctors

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