हिस्टेरेक्टॉमी क्या है?
हिस्टेरेक्टॉमी एक मेडिकल प्रोसीजर है जिसमें महिला के गर्भाशय को सर्जरी के जरिए निकाला जाता है। यह एक स्थायी सर्जरी होती है, जिसके बाद महिला का मासिक धर्म (Periods) हमेशा के लिए बंद हो जाता है और वह गर्भधारण (Pregnancy) नहीं कर सकती।
हिस्टेरेक्टॉमी कई कारणों से की जाती है, लेकिन इसे तभी करने की सलाह दी जाती है जब अन्य इलाज काम नहीं करते या समस्या बहुत गंभीर हो।
हिस्टेरेक्टॉमी के प्रकार
हिस्टेरेक्टॉमी को विभिन्न प्रकारों में बांटा जाता है, जो इस पर निर्भर करता है कि सर्जरी के दौरान कौन-कौन से अंग निकाले जा रहे हैं। डॉक्टर पेशंट की स्थिति और बीमारी की गंभीरता के आधार पर उचित प्रकार की हिस्टेरेक्टॉमी का चयन करते हैं।
1. टोटल हिस्टेरेक्टॉमी (Total Hysterectomy)
टोटल हिस्टेरेक्टॉमी में पूरे यूटरस और सर्विक्स (Cervix) को निकाल दिया जाता है। यह सबसे आम प्रकार की हिस्टेरेक्टॉमी होती है और आमतौर पर फाइब्रोइड्स, एंडोमेट्रियोसिस, या लंबे समय से हो रही ब्लीडिंग जैसी स्थितियों में की जाती है। इस सर्जरी के बाद, महिला के मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाते हैं और अगर ओवरी को भी निकाला गया हो, तो मेनोपॉज (Menopause) के लक्षण जल्दी आ सकते हैं।
2. सबटोटल या पार्शियल हिस्टेरेक्टॉमी (Subtotal / Partial Hysterectomy)
इसमें यूटरस का केवल ऊपरी हिस्सा हटाया जाता है, लेकिन सर्विक्स को छोड़ दिया जाता है। यह उन महिलाओं के लिए उपयुक्त हो सकता है जिनमें सर्विक्स से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती, लेकिन उन्हें यूटरस से संबंधित गंभीर परेशानी होती है। हालांकि, इस सर्जरी के बाद भी सर्विक्स से संबंधित समस्याएं या कैंसर का खतरा बना रह सकता है, इसलिए इसे चुनने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है।
3. रेडिकल हिस्टेरेक्टॉमी (Radical Hysterectomy)
यह सबसे जटिल प्रकार की हिस्टेरेक्टॉमी होती है, जिसमें यूटरस, सर्विक्स, आसपास के टिशू, फेलोपियन ट्यूब और कभी-कभी ओवरी को भी निकाल दिया जाता है। यह ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर या किसी गंभीर गाइनेकोलॉजिकल कैंसर के मामलों में की जाती है। यह एक बड़ी सर्जरी होती है और इसके बाद महिला के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं, जिनका प्रभाव उसके संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
4. ओओफोरेक्टॉमी (Oophorectomy) और सैल्पिंगेक्टॉमी (Salpingectomy) के साथ हिस्टेरेक्टॉमी
कुछ मामलों में हिस्टेरेक्टॉमी के दौरान ओवरी (Ovaries) और फेलोपियन ट्यूब (Fallopian Tubes) को भी हटाने की जरूरत पड़ती है।
ओओफोरेक्टॉमी (Oophorectomy): इस प्रक्रिया में ओवरी को निकाला जाता है, जिससे महिला के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन बंद हो जाता है और मेनोपॉज के लक्षण जल्दी आ सकते हैं।
सैल्पिंगेक्टॉमी (Salpingectomy): इसमें फेलोपियन ट्यूब को हटाया जाता है, जो आमतौर पर इंफेक्शन या कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए किया जाता है।
जब हिस्टेरेक्टॉमी के साथ ओवरी और फेलोपियन ट्यूब को भी निकाला जाता है, तो इसे टोटल हिस्टेरेक्टॉमी विद ओओफोरेक्टॉमी और सैल्पिंगेक्टॉमी कहा जाता है। यह सर्जरी उन महिलाओं के लिए होती है जिन्हें ओवरी या फेलोपियन ट्यूब से संबंधित गंभीर समस्याएं होती हैं।
हिस्टेरेक्टॉमी के कारण
हिस्टेरेक्टॉमी कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए की जाती है। हालांकि, यह अंतिम उपाय होता है, जिसे तब किया जाता है जब अन्य ट्रीटमेंट से राहत नहीं मिलती। आइए जानते हैं किन स्थितियों में यह सर्जरी की जाती है।
1. यूटरस फाइब्रोइड्स (Uterine Fibroids)
यूटरस फाइब्रोइड्स नॉन-कैंसरस ग्रोथ होते हैं, जो महिलाओं में बहुत आम होते हैं। ये फाइब्रोइड्स छोटे या बड़े हो सकते हैं और कभी-कभी यूटरस का आकार भी बढ़ा सकते हैं। अगर फाइब्रोइड्स के कारण अत्यधिक ब्लीडिंग, पेल्विक पेन, पेशाब की समस्याएं या बांझपन जैसी दिक्कतें होती हैं और अन्य ट्रीटमेंट काम नहीं करते, तो हिस्टेरेक्टॉमी का निर्णय लिया जाता है।
2. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें यूटरस की अंदरूनी लाइनिंग (Endometrium) उसके बाहर बढ़ने लगती है, जिससे तेज दर्द, अनियमित पीरियड्स और इनफर्टिलिटी हो सकती है। कई बार दवाओं और अन्य ट्रीटमेंट से राहत नहीं मिलती, तब हिस्टेरेक्टॉमी ही एकमात्र उपाय बचता है।
3. ज्यादा ब्लीडिंग (Heavy Menstrual Bleeding)
कुछ महिलाओं को अत्यधिक ब्लीडिंग होती है, जो हॉर्मोनल असंतुलन, फाइब्रोइड्स या अन्य कारणों से हो सकती है। अगर दवाइयों और अन्य ट्रीटमेंट से आराम नहीं मिलता, तो हिस्टेरेक्टॉमी से इस समस्या का स्थायी समाधान किया जा सकता है।
4. कैंसर (Cancer)
अगर महिला को यूटरस, सर्विक्स, ओवरी या फेलोपियन ट्यूब का कैंसर हो, तो हिस्टेरेक्टॉमी आवश्यक हो जाती है। कैंसर के मामलों में यह सर्जरी ट्यूमर के फैलने से पहले उसे रोकने के लिए की जाती है।
5. यूटरस प्रोलैप्स (Uterine Prolapse)
जब यूटरस अपनी जगह से खिसककर वेजाइना में आ जाता है, तो इसे यूटरस प्रोलैप्स कहा जाता है। यह स्थिति ज्यादातर उम्र बढ़ने, बार-बार डिलीवरी होने, या कमजोर पेल्विक मसल्स के कारण होती है। अगर यह समस्या गंभीर हो जाए और अन्य ट्रीटमेंट प्रभावी न हों, तो हिस्टेरेक्टॉमी जरूरी हो जाती है।
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हिस्टेरेक्टॉमी से पहले क्या जानना जरूरी है?
अगर किसी महिला को हिस्टेरेक्टॉमी करवानी है, तो उसे सर्जरी से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों को समझना चाहिए ताकि वह बेहतर तैयारी कर सके।
1. अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट (Alternative Treatments)
हर स्थिति में हिस्टेरेक्टॉमी जरूरी नहीं होती। कई मामलों में दवाइयों, हार्मोनल ट्रीटमेंट, या अन्य छोटे ऑपरेशनों से भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। इसलिए, सर्जरी से पहले डॉक्टर से सभी संभावित विकल्पों पर चर्चा करना जरूरी होता है।
2. मानसिक और भावनात्मक तैयारी (Mental & Emotional Preparation)
हिस्टेरेक्टॉमी के बाद महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं। कुछ महिलाओं को इमोशनल स्ट्रेस महसूस हो सकता है क्योंकि यह सर्जरी प्रेग्नेंसी की संभावना खत्म कर देती है। इसलिए, मानसिक रूप से तैयार रहना और जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग लेना जरूरी होता है।
3. रिकवरी और जीवनशैली में बदलाव
सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों तक आराम की जरूरत होती है। भारी काम, व्यायाम और शारीरिक संबंधों से दूर रहना जरूरी होता है। धीरे-धीरे हल्की गतिविधियों से शुरू करके सामान्य जीवन में लौटना बेहतर होता है।
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निष्कर्ष –
हिस्टेरेक्टॉमी एक महत्वपूर्ण सर्जरी है, जो कई गाइनेकोलॉजिकल समस्याओं के समाधान के लिए की जाती है। हालांकि, इसे अंतिम उपाय के रूप में ही अपनाना चाहिए और पहले अन्य ट्रीटमेंट ऑप्शन्स पर विचार करना चाहिए। अगर यह सर्जरी करनी ही पड़े, तो सर्जरी से पहले पूरी जानकारी लेना, सही तैयारी करना और पोस्ट-सर्जरी देखभाल पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
अपनी सेहत का ध्यान रखें, स्वस्थ रहें, खुशहाल रहें।