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पुरुष वन्ध्यत्व का एक कारन : वैरिकोसेल - जानिए कारण, लक्षण, निदान, उपचार

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वैरिकोसेल क्या है?

यह पुरुषों में देखी जाने वाली बीमारी है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां अंडकोष के अंदर की नसें बढ़ती और फैलती हैं। तो कभी-कभी शिराओं का गुच्छा बन जाता है। इन्हें वैरिकोज़ वेन्स के नाम से भी जाना जाता है। भले ही वैरिकाज़ नसें उतनी गंभीर न लगें, लेकिन वे पुरुषों के फर्टिलिटी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इससे कमजोर या कम गुणवत्ता वाले शुक्राणु बनते है। हार्मोनल असंतुलन के कारन टेस्टिक्युलर फंक्शन में बिगाड़ आ जाता है। लगभग ३५-४०% पुरुषों में वैरिकोसेल की बीमारी दिखाई जाती है; जबकि १०-१५% पुरुषों की फर्टिलिटी क्षमता वैरिकोसेले से प्रभावित होती है।

वैरिकोसेल और पुरुष इनफर्टिलिटी के बीच संबंध

  1. वैरिकोसेल और शुक्राणुओं की गुणवत्ता : वैरिकोसेल की स्थिति में, अंडकोष का तापमान बढ़ सकता है। बढ़ा हुआ तापमान शुक्राणु उत्पादन को कम कर देता है। गतिशीलता (मोटिलिटी) कम हो जाती है या शुक्राणु का आकार (मॉर्फोलॉजी) बिगड़ जाता है। उच्च तापमान से कभी-कभी शुक्राणु मर जाते है, तो कभी-कभी वे निष्क्रिय हो जाते हैं।
  2. वैरिकोसेल और हार्मोनल असंतुलन : टेस्टिकल्स रीप्रोडक्टीव्ह हार्मोन का उत्पादन करते है। जिसमें टेस्टेस्टेरोन हार्मोन भी शामिल होता है। वैरिकोसेल के कारण टेस्टिक्युलर फंक्शन में बिगाड़ आ जाता है। टेस्टिकल्स को होनेवाला ब्लड सप्लाय कम हो जाता है। इस कारन हार्मोन उचित मात्रा में निर्माण नहीं होते है। टेस्टेस्टेरोन या अन्य सेक्स हार्मोन की मात्रा कम होने के कारन यौन इच्छा में कमी, डिप्रेशन, या गर्भधारण से जुडी समस्याए उत्पन्न होती है।
  3. वैरिकोसेल और टेस्टिक्युलर फंक्शन : वैरिकोसेल की स्थिति में, बढ़ी हुई या सूजी हुई नसों के कारन अंडकोष और आसपास की जगह गर्म हो जाती हैं। इस कारन अंडकोष या टेक्टिकल्स को ठंडा रहना और उनके तापमान को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। इसके अतिरिक्त रक्त प्रवाह में भी रुकावटें आती हैं। टेस्टिकल्स के कार्य में रूकावट आती है। परिणामस्वरूप शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी आती है।

वैरिकोसेल के कारण

  1. नसों में वाल्व की खराबी : वाल्व यानि की नसों में फ्लैब होते हैं, जो खुलते है और बंद होते है। वाल्व रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने का काम करते हैं। जब रक्त प्रवाह सामान्य नहीं होता है, तब रक्त प्रवाह उलट दिशा में जाता है और नसें फैल जाती हैं।
  2. टेस्टिकल का तेजी से बढ़ना : आम तौर पर यौवन के दौरान अंडकोष तेजी से बढ़ने लगते हैं, इस वक्त रक्त की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इस समय असामान्य रक्त प्रवाह के कारन वैरिकोसेल हो सकता है। इस उम्र के लगभग ८५% युवा पुरुषों में बाएं अंडकोष में वैरिकोसेल को देखा गया है।
  3. आनुवंशिकता : यदि आपके माता या पिता, दादा को वैरिकोसेले है, तो आपको भी वैरीकोसेल होने की संभावना अधिक है।
  4. जीवनशैली : लगातार खड़े रहना, लगातार बैठे रहना, भारी वस्तुएं उठाना, भारी काम करने से नसों पर तनाव बढ़ जाता है और वैरिकोसेले हो सकता है।

वैरिकोसेल के सामान्य लक्षण

  • अंडकोष में दर्द
  • जड़ता
  • नसें बढ़ी हुई दिखाई देती हैं
  • अंडकोष का आकार कम होना /सिकुड़ना
  • इनफर्टिलिटी / वन्ध्यत्व

वैरिकोसेल का निदान

  1. परामर्श : प्रारंभ में डॉक्टर आपके लक्षण, शारीरिक परीक्षण और केस हिस्टरी लेंगे।
  2. अल्ट्रासाउंड : यह प्रक्रिया में अंदर की छवियां बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करती है।
  3. डॉपलर अल्ट्रासाउंड : इसका उपयोग वैरिकोसेल का सटीक निदान और मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है। यह प्रक्रिया रोगियों को रेडिएशन के संपर्क में आए बिना उनका निदान कर सकती है।
  4. थर्मोग्राफी स्कैन : इस निदान प्रक्रिया में अंडकोष के विभिन्न हिस्सों में तापमान को मापने के लिए इन्फ्रारेड तकनीक का उपयोग करके स्कैन किया जाता है।

वैरिकोसेल का सर्जिकल इलाज :

  1. ओपन सर्जिकल ट्रीटमेंट : इस प्रक्रिया में, सीधे वैरिकाज़ नसों तक पहुंचने के लिए आपके पेट या कमर में एक छोटा चीरा लगाया जाता है। फिर, सर्जन परेशान करने वाली नसों को बांधने या हटाने का काम करते हैं।
  2. मायक्रोसर्जिकल व्हॅरिकोसेलेक्टोमी : उच्च गुणवत्ता वाले माइक्रोस्कोप का उपयोग करके और आसपास के ऊतकों को कम क्षति पहुंचाते हुए नसों का पता लगाया जाता है। ओपन सर्जरी की तुलना में इस सर्जरी की सफलता दर अधिक है। रिकवरी जल्दी होती है क्योंकि यह कम इनवेसिव/ कम आक्रामक प्रक्रिया है।
  3. लेप्रोस्कोपिक वैरिकोसेलेक्टोमी : इस प्रक्रिया में आपके पेट में कुछ छोटे चीरे लगाना और उन वैरिकोज नसों को काटना, सील करना या क्लिप करना शामिल है। यह करने के लिए आधुनिक कैमरों और सर्जिकल उपकरणों का उपयोग करना शामिल है।

नॉन-सर्जिकल इलाज

  1. मेडिकेशन : रक्त प्रवाह, हार्मोनल संतुलन में सुधार या नसों को मजबूत करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं सुझाएंगे। 
  2. परक्यूटेनियस एम्बोलिज़ेशन : इस गैर-सर्जिकल प्रक्रिया में प्रभावित नसों में एक कैथेटर डालना और रक्त प्रवाह को अवरुद्ध करना और उन खतरनाक वैरिकाज़ नसों के आकार को कम करना शामिल है। इसके लिए कॉइल जैसी सामग्री को इंजेक्ट करना शामिल है। यह प्रक्रियाको किसी एनेस्थीसिया की जरुरत नहीं होती है।
  3. थेराप्युटिक टेस्टिक्युलर कूलिंग : इस थेरेपी में, प्रभावित क्षेत्र पर एक शीतलन उपकरण (कूलिंग डिवाइस) लगाया जाता है, जिससे वहां के तापमान को कम करने में मदद मिलती है और रक्त प्रवाह में सुधार लाया जाता है। यह उपचार वैरिकोसेले वाले पुरुषों में दर्द को कम करने में और शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।

गर्भावस्था के लिए आधुनिक फर्टिलिटी इलाज

  1. इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) और वैरिकोसेल : वैरीकोसेल के कारन 'लो स्पर्म काउंट' (शुक्राणुओं की कमी) है या IUI इलाज बार-बार विफल हो रहे है तब आपके लिए IVF एक सही उपचार विकल्प है। IVF से कई गुना गर्भधारण की सम्भावना बढ़ जाती है और आप गर्भधारण कर सकते है। IVF इलाज में महिला के स्त्रीबीज और पुरुषों के शुक्राणु पेट्री ट्रे में मिलाए जाते है और फर्टिलाइज़ेशन के लिए छोड़ दिए जाते है। इस त���ह बनाए गए भ्रूण को एक महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। ट्रांसफर के बाद एम्ब्रियो इम्प्लांट होता है और महिला को गर्भावस्था प्राप्त होती है। 
  2. इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) : वैरिकोसेले के कारन शुक्राणु की गुणवत्ता खराब हो जाती है। शुक्राणु का ख़राब आकार (लो मॉर्फोलॉजी), कम गतिशीलता (लो मोटिलिटी) या गतिहीन शुक्राणु (इमोटाइल स्पर्म) स्त्रीबीजों को निषेचित करने में असमर्थ साबित होते हैं। ऐसे मामलों में आधुनिक IVF-ICSI तकनीक से सफल गर्भधारण किया जा सकता है।  इस प्रक्रिया में, एक छोटी सुई (माइक्रोपिपेट) की मदद से एक स्वस्थ शुक्राणु को स्त्रीबीज में इंजेक्ट किया जाता है और गर्भ बनाया जाता है। बाद में IVF की तरह भ्रूण को माता के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। 
  3. प्री इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) : जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, वैरिकोसेल की स्थिति में शुक्राणु की गुणवत्ता ख़राब हो जाती है। ऐसे समय में मिसकैरेज का खतरा रहता है, या फिर DNA डैमेज होने पर बच्चे में व्यंग होने की सम्भावना अधिक होती है। ऐसे में PGT/PGD फायदेमंद होता है। इस उपचार प्रक्रिया में एम्ब्रियो ट्रांसफर से पहले DNA परीक्षण और अन्य जेनेटिक मटेरियल का परीक्षण करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि भ्रूण स्वस्थ है। जेनेटिकली स्वस्थ भ्रूण को ट्रांसफर करनेसे सक्सेसफुल प्रेग्नेंसी के साथ स्वस्थ बच्चे की सम्भावना बढ़ जाती है।
    वैरिकोसेले से पीड़ित हर आदमी में शुक्राणु की गुणवत्ता खराब नहीं होती है। ग्रेड 1 की स्थिति में, शुक्राणु क्षतिग्रस्त नहीं होता है। ऐसे मामलों में, सर्जिकल उपचार के बाद गर्भधारण हो सकता है।
    ग्रेड 3 की स्थिति में शुक्राणु की गुणवत्ता खराब होती है। इसके परिणामस्वरूप भ्रूण की गुणवत्ता ख़राब होती है और गर्भावस्था विफल हो सकती है। तब आधुनिक फर्टिलिटी इलाज की जरुरत होती है।

अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न :

पुरुषों में वैरिकोसेल कितना आम है?

लगभग 35-40% पुरुषों में वैरिकोसेले का निदान किया जाता है; जबकि 10-15% पुरुषों की प्रजनन क्षमता वैरिकोसेले से प्रभावित होती है।

क्या वैरिकोसेल पर्मनंट इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है?

नहीं। कुछ पुरुष प्राथमिक इलाज से अपने पार्टनर को गर्भधारण कर सकते है। लेकिन गंभीर वैरिकोसेल, पुरुषों के फर्टिलिटी स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और उन्हें फर्टिलिटी इलाज की आवश्यकता हो सकती है।

क्या जीवनशैली में ऐसे बदलाव हैं जो वैरिकोसेले रोगियों में प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं?

जीवनशैली में बदलाव से कुछ सुधार दिख सकता है। जैसे कि :
- स्वस्थ वजन बनाए रखे 
- नियमित व्यायाम : रक्तप्रवाह बेहतर होने में मदत मिलेगी। टेस्टिकल का तापमान नियंत्रित रहेगा। हार्मोनल संतुलन में मदत मिलेगी। 
- फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर पौष्टिक आहार खाने से फर्टिलिटी स्वस्थ्य में सुधार होगा।
लेकिन गर्भधारण के लिए वैरिकोसेले को सर्जिकल हस्तक्षेप या प्रजनन उपचार की आवश्यकता होती है।

क्या इलाज के बाद भी वैरिकोसेल दोबारा हो सकता है?

कुछ मामलों में उपचार के बाद भी वैरिकोसेल की पुनरावृत्ति संभव है।

~ Verified by Progenesis Fertility Center's Expert Doctors

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