PCOD और PCOS के बीच क्या अंतर होता है?

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आजकल महिलाओं में पीसीओडी (PCOD) और पीसीओएस (PCOS) जैसी समस्याएं काफी आम हो गई हैं। लेकिन अक्सर इन दोनों के बीच अंतर समझने में भ्रम हो जाता है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि पीसीओडी और पीसीओएस में क्या अंतर है, इनकी वजहें, लक्षण और इलाज क्या हैं।

पीसीओडी (PCOD) क्या है?

पीसीओडी का मतलब है पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं की ओवरीज़ (अंडाशय) सही तरीके से काम नहीं करतीं।

पीसीओडी में क्या होता है?

  • अंडाशय में छोटी-छोटी सिस्ट (गांठें) बन जाती हैं।
  • ओवरीज़ ज़रूरत से ज्यादा एंड्रोजन्स (मेल हार्मोन) बनाने लगती हैं।
  • हर महीने सही समय पर ओवुलेशन (अंडाणु का निकलना) नहीं होता।

पीसीओडी के कारण:

1. अनियमित जीवनशैली (Lifestyle):

जंक फूड और अधिक फैट वाली चीजों का सेवन करने से शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।

फिजिकल एक्टिविटी की कमी से मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ जाता है, जिससे ओवरीज़ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

2. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance):

ओवरीज़ में मेल हार्मोन (एंड्रोजन्स) का स्तर बढ़ने से अंडाणुओं का विकास सही तरीके से नहीं होता।

प्रोलैक्टिन या इंसुलिन का स्तर बढ़ने पर भी पीसीओडी की समस्या हो सकती है।

3. मोटापा (Obesity):

अधिक वजन से शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या बढ़ती है, जो हार्मोनल असंतुलन का मुख्य कारण बन सकती है।

4. पारिवारिक इतिहास (Genetics):

यदि परिवार में किसी को यह समस्या है, तो आपको इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।

5. मेंटल स्ट्रेस:

लंबे समय तक तनाव लेने से शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो पीसीओडी को ट्रिगर कर सकते हैं।

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पीसीओडी के लक्षण:

1. अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods):

पीरियड्स का देर से आना, बहुत ज्यादा या बहुत कम ब्लीडिंग होना।

2. चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल (Hirsutism):

चिन, अपर लिप्स, चेस्ट और पीठ जैसे जगहों पर बालों की ग्रोथ।

3. पिंपल्स और स्किन प्रॉब्लम्स:

हार्मोनल बदलाव के कारण चेहरा तैलीय (Oily) हो जाता है, जिससे बार-बार पिंपल्स होते हैं।

4. वजन बढ़ना:

वजन तेजी से बढ़ता है, खासकर पेट के आसपास।

5. बाल झड़ना (Hair Fall):

सिर के बाल पतले और कमजोर हो जाते हैं, जिससे गंजापन की समस्या हो सकती है।

6. थकावट और ऊर्जा की कमी:

मेटाबॉलिज्म कम होने के कारण हमेशा थकावट महसूस होती है।

क्या पीसीओडी गंभीर है?

पीसीओडी इतनी गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन अगर इसे समय पर कंट्रोल न किया जाए, तो यह डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, और इनफर्टिलिटी जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है।

पीसीओएस (PCOS) क्या है?

पीसीओएस का मतलब है पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम। यह पीसीओडी से ज्यादा गंभीर स्थिति है।

पीसीओएस में क्या होता है?

  • ओवरीज़ में सिस्ट्स के साथ-साथ पूरे शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है।
  • यह एक एंडोक्राइन डिसऑर्डर है, जिसका असर केवल ओवरीज़ तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह शरीर के अन्य हिस्सों पर भी प्रभाव डालता है।
  • इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या बढ़ जाती है।

पीसीओएस के कारण:

1. इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance):

शरीर इंसुलिन को सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता, जिससे शुगर लेवल बढ़ता है।

यह ओवरीज़ को ज्यादा एंड्रोजन्स बनाने के लिए प्रेरित करता है।

2. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance):

एंड्रोजन्स के स्तर में अत्यधिक वृद्धि से ओवुलेशन सही से नहीं होता।

ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) का ज्यादा स्तर भी समस्या को बढ़ा सकता है।

3. पारिवारिक इतिहास (Genetics):

पीसीओएस का एक बड़ा कारण जेनेटिक हो सकता है। अगर परिवार में किसी को यह समस्या है, तो आपको भी हो सकती है।

4. तनाव (Stress):

ज्यादा स्ट्रेस हार्मोनल फ्लक्चुएशन्स का कारण बनता है, जो पीसीओएस को ट्रिगर कर सकता है।

5. अनियमित नींद:

कम या खराब क्वालिटी की नींद शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को बिगाड़ सकती है, जिससे हार्मोनल असंतुलन होता है।

पीसीओएस के लक्षण:

1. अनियमित या बंद पीरियड्स:

पीरियड्स कई महीनों तक नहीं आते, और आते भी हैं तो ब्लीडिंग बहुत ज्यादा या बहुत कम होती है।

2. इनफर्टिलिटी (Infertility):

ओवुलेशन नहीं होने की वजह से प्रेग्नेंसी में मुश्किलें आती हैं।

3. बार-बार मिसकैरेज:

यदि महिला प्रेग्नेंट हो भी जाती है, तो हार्मोनल असंतुलन के कारण मिसकैरेज होने की संभावना रहती है।

4. वजन तेजी से बढ़ना:

खासकर पेट और कमर के आसपास चरबी या फैट जमा हो जाती है।

5. स्किन प्रॉब्लम्स:

त्वचा पर डार्क पैचेज (अकंथोसिस निग्रीकन्स), खासकर गर्दन और बगल के आसपास।

स्किन टैग्स और ज्यादा ऑइली स्किन।

6. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:

मूड स्विंग्स, डिप्रेशन, और एंग्जायटी।

7. बाल पतले और कमजोर होना:

सिर के बाल तेजी से झड़ते हैं, जबकि शरीर के अन्य हिस्सों में बाल ज्यादा बढ़ते हैं।

क्या पीसीओएस गंभीर है?

पीसीओएस एक क्रॉनिक (दीर्घकालिक) समस्या है। इसका इलाज न किया जाए तो यह हृदय रोग, डायबिटीज, और एंडोमेट्रियल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।

यह भी पढ़ें: इनफर्टिलिटी क्या है? इनफर्टिलिटी समस्या में क्या करे?

पीसीओडी और पीसीओएस में मुख्य अंतर

घटकपीसीओडी (PCOD)पीसीओएस (PCOS)
प्रभाव का स्तर (लेवल ऑफ इंपैक्ट)ओवरीज तक सीमित पूरे शरीर को प्रभावित करता है 
गंभीरताकम गंभीरज्यादा गंभीर 
हार्मोनल असंतुलन कमअधिक
इनफर्टिलिटी की समस्याकम मामलों में होती है अधिक मामलों में होती है
इलाजलाइफस्टाइल में बदलाव से ठीक हो सकती है मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है 

पीसीओडी और पीसीओएस की जांच कैसे की जाती है?

डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट्स के जरिए इन समस्याओं की पुष्टि करते हैं:

1. अल्ट्रासाउंड: ओवरीज़ में सिस्ट्स की उपस्थिति जांचने के लिए।

2. ब्लड टेस्ट: हार्मोन लेवल, शुगर लेवल, और कोलेस्ट्रॉल की जांच के लिए।

3. इंसुलिन रेजिस्टेंस टेस्ट: शरीर में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता की जांच के लिए।

पीसीओडी और पीसीओएस का इलाज

पीसीओडी का इलाज:

  • लाइफस्टाइल में बदलाव:
  • हेल्दी डाइट लेना।
  • रोजाना एक्सरसाइज़ करना।
  • वजन कम करना।
  • मेडिकल ट्रीटमेंट:
  • हार्मोनल पिल्स से पीरियड्स को रेगुलर करना।
  • एंटी-एंड्रोजेन मेडिसिन्स।

पीसीओएस का इलाज:

  • मेडिकल ट्रीटमेंट:
  • इंसुलिन सेंसिटाइजर दवाएं (जैसे मेटफॉर्मिन)।
  • ओवुलेशन इंड्यूसर दवाएं।
  • लाइफस्टाइल में बदलाव:
  • हेल्दी डाइट और नियमित व्यायाम।
  • तनाव कम करना।
  • फर्टिलिटी ट्रीटमेंट:
  • आईयूआई (IUI) या आईवीएफ (IVF) जैसी आधुनिक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट।

जीवनशैली (लाइफस्टाइल) में सुधार के टिप्स

1. डाइट पर ध्यान दें:

लो-कार्ब और हाई-फाइबर डाइट लें।

शुगर और प्रोसेस्ड फूड्स से बचें।

2. एक्सरसाइज़ करें:

रोजाना 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करें।

3. तनाव कम करें:

मेडिटेशन और योग करें।

पर्याप्त नींद लें।

4. मेडिकल चेकअप कराएं:

नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क में रहें।

निष्कर्ष- 

पीसीओडी और पीसीओएस दोनों ही हार्मोनल समस्याएं हैं, लेकिन इनकी गंभीरता और प्रभाव अलग-अलग होते हैं। जहां पीसीओडी को जीवनशैली में बदलाव और थोड़े-बहुत इलाज से ठीक किया जा सकता है, वहीं पीसीओएस को मैनेज करने के लिए अधिक गहन मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप इनमें से किसी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें। सही समय पर इलाज और जागरूकता से इन समस्याओं को कंट्रोल किया जा सकता है।

याद रखें, स्वस्थ जीवनशैली ही आपकी सेहत का सबसे बड़ा हथियार है।

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