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‘एडवांस स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक’ गर्भधारण में मददगार

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'स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक' क्या है? गर्भधारण में इनकी भूमिका

'स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक' पुरुषों के अंडकोष से सीधे शुक्राणु प्राप्त करने की एक एडवांस तकनीक है। पुरुष वन्ध्यत्व समस्या में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के दौरान स्पर्म रिट्राइवल तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। जिन पुरुषों में ऑब्स्ट्रक्टिव्ह एज़ूस्पर्मिया या लो स्पर्म काउंट की समस्या होती है उन्हें नैसर्गिक तरीके से या बेसिक फर्टिलिटी इलाज से गर्भधारण करना मुश्किल होता है। ऐसे में 'एडवांस स्पर्म रिट्राइवल' टेक्निक का उपयोग कर शुक्राणु प्राप्त किए जाते है। प्राप्त किए गए शुक्राणु लैब में स्त्रीबीजों के साथ मिलाए जाते और फर्टिलाइज़ेशन के लिए छोड़ दिए जाते है। ICSI प्रक्रिया में गर्भधारण की सम्भावना बढ़ने के लिए स्त्रीबीज को शुक्राणु में इंजेक्ट किया जाता है। इस प्रकार स्पर्म रिट्राइवल तकनीक का उपयोग कर IVF या ICSI की मदत से गर्भधारण किया जा सकता है।

शुक्राणु प्राप्त करने की प्रक्रिया

'स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक' एक उपचार प्रक्रिया करने से पहले अनेस्थिसिया देते है। एनेस्थीसिया के तहत शुक्राणु, ऊतक (टिश्यू) या तरल पदार्थ (फ्लूइ��) को एपिडीडिमिस या अंडकोष से पुनर्प्राप्त किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग गर्भधारण के लिए IVF ट्रीटमेंट में किया जाता है।

'स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक' के प्रकार

१) TESA (टेस्टिक्युलर स्पर्म एस्पिरेशन) : TESA को कभी-कभी टेस्टिकुलर फाइन नीडल एस्पिरेशन (टीएफएनए) भी कहा जाता है। TESA  का उपयोग एज़ोस्पर्मिया के निदान या उपचार के लिए भी किया जाता है। TESA प्रक्रिया के दौरान, एनेस्थीसिया के तहत सुई के माध्यम से अंडकोष से शुक्राणु निकाले जाते हैं।

२) PESA (पर्क्यूटेनियस एपिडिडायमल स्पर्म एस्पिरेशन) : ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिया यानी वास डिफेरेंस में रुकावट की स्थिति में PESA उपयोगी है। दूसरी 'स्पर्म रिट्राइवल तकनीक' की तुलना में PESA एक सस्ती प्रक्रिया है। इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाले माइक्रोस्कोप की आवश्यकता नहीं होती है। प्रक्रिया के दौरान, एपिडीडिमिस से तरल पदार्थ (फ्लूइड) निकालकर उसमें से शुक्राणु प्राप्त किए जाते हैं। लेकिन जब PESA की मदत से शुक्राणु प्राप्त करने में कठिनाई होती है तब सर्जरी की जरुरत होती है।

३) MESA (मायक्रोसर्जिकल एपिडिडायमल स्पर्म एस्पिरेशन) : इस प्रक्रिया के दौरान, सर्जिकल माइक्रोस्कोप की मदद से शुक्राणु को सीधे एपिडीडिमिस ट्यूब से प्राप्त किया जाता है। MESA की मदद से स्वस्थ शुक्राणु प्राप्त करना संभव है। ऐसे स्वस्थ शुक्राणुओं को ART की 'क्रायोप्रिजर्वेशन' तकनीक द्वारा फ्रिज किया जा सकता है। MESA एक सुरक्षित 'स्पर्म रिट्राइवल तकनीक' है। MESA सर्जरी के लिए कुशल माइक्रोसर्जन की आवश्यकता होती है।

४) TESE (टेस्टिक्युलर स्पर्म एक्स्ट्रॅक्शन) : TESE का उपयोग एज़ूस्पर्मिया का कारण जानने के लिए किया जाता है। प्रक्रिया के दौरान एक नर्व ब्लॉक एनेस्थीसिया (ब्लंट) दिया जाता है। बाद में चीरे लगाकर शुक्राणु प्राप्त किए जाते है। इसलिए पूरी प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द नहीं होता है।

५) मायक्रो TESE : शुक्राणु कम संख्या में बनते है (लो स्पर्म प्रोडक्शन) तब मायक्रो TESE उपचार का उपयोग किया जाता है। नॉन-ऑब्स्ट्रिक्टिव एज़ूस्पर्मिया की स्थिति में मायक्रो TESE एक उपयोगी विधि है। इस प्रक्रिया में उच्चतम शुक्राणु निर्माण होनेवाले के क्षेत्र का पता लगाया जाता है। और वहां का ऊतक (टिश्यू) प्राप्त किया जाता है।

६) TESA मॅपिंग : इस उपचार प्रक्रिया के दौरान, वृषण के चारों ओर कई सुइयां लगाकर नीडल ऍस्पिरेशन किया जाता है। ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिया और नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिया के केसेस में TESA मैपिंग की जाती है।

'स्पर्म रिट्रायवाल टेक्निक' की आवश्यकता किसे है?

पुरुषों में वन्ध्यत्व समस्या होनेपर 'स्पर्म रिट्रायवाल टेक्निक' का उपयोग किया जाता है। जैसे की -

१) इजॅक्युलेशन समस्या : रेट्रोग्रेड इजॅक्युलेशन की स्थिति में, शुक्राणु पीछे की तरफ सफर करते है। और ब्लैडर में आकर जमा होते है। इस स्थिति में यूरिन से शुक्राणु को प्राप्त करना संभव है। लेकिन ड्राय इजॅक्युलेशन या इरेक्शन समस्या होनेपर 'स्पर्म रिट्रायवाल टेक्निक' का उपयोग करके शुक्राणु को पुनः प्राप्त किया जाता है। इस तरह फर्टिलिटी इलाज से गर्भधारण संभव है।

२) ऑब्स्ट्रक्टिव्ह एजूस्पर्मिया : एजूस्पर्मिया वीर्य में शुक्राणु की अनुपस्थिति है। ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया की स्थिति में शुक्राणु तो बनते हैं, लेकिन वास डिफेरेंस (शुक्राणु वाहिनी) में रुकावट होने के कारण वीर्य में बिलकुल भी शुक्राणु नहीं रहते। ऐसी स्थिति में गर्भधारण के लिए शुक्राणु पुनर्प्राप्ति तकनीक फायदेमंद होती है।

३) नॉन-ऑब्स्ट्रक्टिव्ह एजूस्पर्मिया : इस स्थिति में शुक्राणु नहीं बनते या शुक्राणु इतनी कम मात्रा में बनते हैं कि वीर्य में शुक्राणु दिखाई ही नहीं देते। ऐसे मामलों में आधुनिक स्पर्म रिट्रायवाल टेक्निक का उपयोग करके आधुनिक IVF उपचार से शुक्राणु प्राप्त करके गर्भधारण करना संभव है।

४) वासेक्टॉमी :  यह एक गर्भनिरोधक सर्जरी ��ै। जिसमें शुक्राणु वाहिनी अवरुद्ध की जाती है। कुछ कारणवश वासेक्टॉमी सर्जरी के बाद दम्पति गर्भधारण करने की योजना बनाते हैं। ऐसे में 'एडवांस स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक' सहित IVF उपचारों से गर्भधारण करना संभव है।

५) वेरिकोसिल : इस स्थिति में, अंडकोष को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली नसों का आकर बढ़ जाता हैं। परिणामस्वरूप, शुक्राणु उत्पादन कम होता है। जब नॉन-ऑब्स्ट्रक्टिव्ह एजूस्पर्मिया का कारन वेरिकोसिल होता है, तब 'स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक' का उपयोग करके शुक्राणु को पुनः प्राप्त करना और IVF से गर्भधारण करना संभव है।

अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न :

क्या 'स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक' दर्दनाक हैं?

टेस्टिक्युलर स्पर्म एस्पिरेशन किंवा टेस्टिक्युलर टिश्यू एक्सट्रॅक्शन प्रक्रिया दर्द रहित होते हैं क्योंकि वे एनेस्थीसिया के तहत किए जाते हैं। सर्जरी के बाद कुछ समय तक हल्का या मध्यम दर्द हो सकता है। इसे दवा से कम किया जा सकता है।

स्पर्म रिट्राइवल या शुक्राणु पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया में कितना समय लगता है?

टेस्टिकुलर बायोप्सी जैसी प्रक्रिया में ३० मिनट से १ घंटे तक का समय लगता है। लेकिन, PESA या TESE जैसी अधिक जटिल तकनीकों में १-२ घंटे लग सकते हैं।

स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक का सक्सेस रेट क्या है?

विभिन्न स्पर्म रिट्राइवल टेक्निक के सक्सेस रेट :
- TESA : १० - २० %
- TESE : ३० - ५० %
- Micro-TESE : ३५ - ७७ %

~ Verified by Progenesis Fertility Center's Expert Doctors

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