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Top 5 इनफर्टिलिटी Treatments in 2026 in Hindi

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क्या आप और आपका पार्टनर पेरेंट्स बनने के सफर में कुछ मुश्किलों का सामना कर रहे हैं? अगर हां, तो यह ब्लॉग सिर्फ आपके लिए है। इनफर्टिलिटी यानी नि:संतानता आज के दौर में एक बढ़ती हुई समस्या जरूर है, लेकिन 2026 में मेडिकल साइंस ने इतनी प्रगति कर ली है कि यह चुनौती अब उम्मीद की एक मजबूत रोशनी बन गई है।

पहले के मुकाबले, आज इलाज ज्यादा सटीक, कम इनवेसिव (दखलंदाजी वाले) और ज्यादा कामयाब हो गए हैं। 2026 तक, इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट पर्सनल केयर, टेक्नोलोजी और इमोशनल सपोर्ट का एक बेहतरीन मेल बन चुका है। इस ब्लॉग में, हम न सिर्फ टॉप 5 उपचारों के बारे में विस्तार से बात करेंगे, बल्कि उनसे जुड़े नए ट्रेंड्स, खर्चे, और सफलता बढ़ाने के टिप्स भी जानेंगे। तो चलिए, इस अहम सफर की शुरुआत करते हैं।

1. IVF (In Vitro Fertilization) - अब और भी एडवांस्ड और पर्सनलाइज्ड

IVF क्या है?

IVF यानी "टेस्ट ट्यूब बेबी" का तरीका अब पुराना नहीं रहा। 2026 में यह और भी नया और ज्यादा असरदार हो गया है। इसमें महिला के अंडे (eggs) और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है। फिर बनने वाले भ्रूण (embryo) को वापस महिला की गर्भाशय (uterus) में पहुंचा दिया जाता है।

2026 में क्या नया है?

• AI की मदद (Artificial Intelligence): 

अब AI का इस्तेमाल होता है ताकि सबसे स्वस्थ अंडे और स्पर्म का चुनाव किया जा सके। AI भ्रूण के विकास को एनालाइज करता है और यह बता सकता है कि किस भ्रूण के सफल प्रेगनेंसी की संभावना सबसे ज्यादा है। इससे सक्सेस रेट काफी बढ़ गया है।

• समय सीमा (Time-Lapse Imaging): 

अब भ्रूण को लैब में किसी तनाव में नहीं रखा जाता। एक खास कैमरा हर कुछ मिनट में उसकी तस्वीर लेता रहता है, जिससे डॉक्टर बिना छुए ही उसके ग्रोथ को मॉनिटर कर सकते हैं।

• जेनेटिक टेस्टिंग (PGT-A/M): 

इस नई तकनीक से भ्रूण का जेनेटिक टेस्ट किया जाता है। PGT-A से पता चलता है कि क्रोमोसोम्स की संख्या सही है या नहीं। PGT-M से विशिष्ट जेनेटिक बीमारियों को चेक किया जाता है। इससे हेल्दी बच्चे के जन्म की गारंटी बढ़ जाती है और गर्भपात का खतरा कम होता है।

• नेचुरल और माइल्ड IVF: 

पहले IVF में कई इंजेक्शन्स दी जाती थीं। अब कई केस में नेचुरल साइकिल IVF या माइल्ड स्टीमूलेशन IVF की जाती है, जिसमें कम दवाइयों का इस्तेमाल होता है। इससे महिला का शरीर ज्यादा नैचुरल रहता है, साइड इफेक्ट्स कम होते हैं और ट्रीटमेंट का खर्च भी घटता है।

सक्सेस रेट और खर्चा (2026 के अनुमान):

• सक्सेस रेट अब 40-60% तक पहुंच गया है, जो उम्र और कारण पर निर्भर करता है।

• एक साइकिल का खर्चा भारत में लगभग ₹2 लाख से ₹4 लाख तक हो सकता है। अगर जेनेटिक टेस्टिंग या दूसरे एडवांस्ड प्रोसेस जोड़े जाएं तो यह बढ़ सकता है।

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2. ICSI (Intracytoplasmic Sperm Injection) - स्पर्म की कमी का सटीक समाधान

ICSI क्या है?

यह IVF का ही एक एडवांस्ड रूप है। जहां साधारण IVF में अंडे और स्पर्म को एक साथ रखकर फर्टिलाइजेशन होने दिया जाता है, वहीं ICSI में एक स्वस्थ स्पर्म को सीधे एक स्वस्थ अंडे के अंदर इंजेक्ट किया जाता है। यह एक माइक्रोस्कोपिक प्रक्रिया है।

2026 में क्या नया है?

• IMSI (Intracytoplasmic Morphologically Selected Sperm Injection): 

2026 में अब और भी शक्तिशाली microscopes (7500x magnification) का इस्तेमाल किया जायेगा। इससे स्पर्म की आकृति (morphology) और गुणवत्ता को बारीकी से देखकर सबसे बेहतरीन स्पर्म का चुनाव किया जा सकता है।

• PICSI (Physiological ICSI): 

यह तकनीक स्पर्म की परिपक्वता (maturity) चेक करती है। जो स्पर्म परिपक्व होते हैं, वे एक खास तरह के substance (hyaluronan) से चिपकते हैं। सिर्फ उन्हीं परिपक्व स्पर्म को चुनकर इंजेक्ट किया जाता है, जिससे भ्रूण की क्वालिटी बेहतर होती है और गर्भपात का रिस्क कम होता है।

• स्पर्म डोनर के विकल्प: 

अगर पुरुष में स्पर्म बिल्कुल नहीं है (azoospermia), तो टेस्टिकल से सीधे स्पर्म निकालने की TESA, PESA, Micro-TESE जैसी तकनीक और भी सुरक्षित और सफल हो गई हैं। Micro-TESE में माइक्रोस्कोप की मदद से सीधे टेस्टिकल के उन हिस्सों से स्पर्म निकाले जाते हैं जहां वे बन रहे होते हैं।

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3. IUI (Intrauterine Insemination) - सरल और कम खर्चीला विकल्प

IUI क्या है?

इसे "Artificial Insemination" भी कहते हैं। यह IVF और ICSI से कम जटिल प्रक्रिया है। इसमें पुरुष के स्पर्म को लैब में वॉश और प्रिपेयर करके सीधे महिला की गर्भाशय (uterus) में एक छोटी सी ट्यूब (catheter) के जरिए डाल दिया जाता है। इससे स्पर्म का अंडे तक पहुंचना आसान हो जाता है।

2026 में क्या नया है?

• बेहतर Sperm Preparation Techniques: 

अब ऐसी नई तकनीकें आ गई हैं जो dead sperm और impurities को अलग करके सिर्फ स्वस्थ और तेज गति वाले स्पर्म को ही चुनती हैं। Magnetic Activated Cell Sorting (MACS) जैसी तकनीक apoptotic (मरने वाले) स्पर्म को अलग कर देती है।

• Ovulation Prediction का सटीक तरीका: 

अब ovulation का सही समय पता करने के लिए स्मार्ट ऐप्स और घर पर इस्तेमाल होने वाले एडवांस ovulation predictor kits मौजूद हैं। ये kits LH हार्मोन के साथ-साथ एस्ट्रोजन लेवल भी ट्रैक करते हैं, जिससे IUI का टाइमिंग पर्फेक्ट हो जाता है।

• फर्टिलिटी दवाओं का टार्गेटेड उपयोग

IUI से पहले ओवुलेशन को स्टीमूलेशन करने के लिए दी जाने वाली दवाएं (जैसे Clomiphene या Letrozole) अब ज्यादा कस्टमाइज्ड हैं। डॉक्टर मरीज की उम्र, AMH लेवल, और पिछले response के हिसाब से इनकी खुराक तय करते हैं, जिससे multiples (जुड़वा बच्चे) का रिस्क कम होता है।

सक्सेस रेट और खर्चा:

· प्रति साइकिल सक्सेस रेट लगभग 10-20% होता है।

· एक साइकिल का खर्चा लगभग ₹10,000 से ₹25,000 के बीच हो सकता है।

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4. सर्जरी के नए तरीके - Minimal Invasive और Robotic

क्यों जरूरी है?

कई बार इनफर्टिलिटी की वजह फायब्रॉयड्स, एंडोमेट्रियोसिस, पॉलिप्स, बंद ट्यूब्स या ओवेरियन सिस्ट जैसी शारीरिक समस्याएं होती हैं। इन्हें ठीक करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

2026 में क्या नया है?

· लैप्रोस्कोपी और हिस्टेरोस्कोपी: 

ये "keyhole surgery" के तरीके हैं। इनमें पेट में बड़ा चीरा नहीं लगाया जाता। बस एक छोटा सा कट लगाकर कैमरा और इंस्ट्रूमेंट्स डाले जाते हैं। इससे दर्द कम होता है, निशान नहीं रहता और रिकवरी बहुत जल्दी हो जाती है, जिससे इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है।

  · लैप्रोस्कोपी: 

पेल्विक एरिया की समस्याएं जैसे एंडोमेट्रियोसिस, ओवेरियन सिस्ट, बंद ट्यूब्स को ठीक करने के लिए।

  · हिस्टेरोस्कोपी: 

गर्भाशय (uterus) के अंदर की समस्याएं जैसे फायब्रॉयड्स, पॉलिप्स, बंद ट्यूब के मुंह, या uterine septum को ठीक करने के लिए। यह बिना कट लगाए, वजाइना के रास्ते से की जाती है।

· रोबोटिक सर्जरी: 

यह सबसे एडवांस्ड तरीका है। इसमें डॉक्टर एक कंसोल से रोबोट को कंट्रोल करते हैं। रोबोट के हाथ बहुत सटीक और कांपते नहीं हैं, जिससे नसों और टिश्यूज़ को नुकसान पहुंचने का खतरा कम हो जाता है। यह कोई जटिल एंडोमेट्रियोसिस केस या मोटे फायब्रॉयड्स को निकालने में खासतौर पर फायदेमंद है।

· फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन सर्जरी: 

जैसे ओवेरियन टिश्यू फ्रीजिंग। कैंसर के मरीजों की किमोथेरेपी से पहले ओवेरियन टिश्यू का एक छोटा सा हिस्सा निकालकर फ्रीज कर दिया जाता है। इलाज के बाद उसे वापस लगा दिया जाता है, ताकि प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना बनी रहे। 2026 में यह तकनीक और भी कॉमन हो गई है।

5. जेनेटिक और मॉलिक्यूलर थेरेपीज - भविष्य का इलाज

ये 2026 की सबसे रोमांचक एडवांसमेंट्स हैं। ये समस्या की जड़ यानी जीन्स और मॉलिक्यूल्स तक जाकर इलाज करती हैं।

क्या हैं ये तरीके?

· Mitochondrial Replacement Therapy (MRT) / Three-Parent Baby: 

कुछ महिलाओं के अंडों में mitochondria (कोशिका की बैटरी) खराब होते हैं, जिससे भ्रूण नहीं बन पाता या गंभीर बीमारियां होती हैं। इस थेरेपी में महिला के अंडे का nucleus (जिसमें मुख्य DNA होता है) निकालकर एक हेल्दी डोनर के अंडे में डाल दिया जाता है, जिसके mitochondria स्वस्थ होते हैं और जिसका nucleus हटा दिया गया हो। फिर इस modified अंडे को पुरुष के स्पर्म से फर्टिलाइज किया जाता है। इससे एक स्वस्थ बच्चा पैदा होता है, जिसकी DNA तो माता-पिता की होती है, लेकिन mitochondria डोनर के होते हैं।

· जीन एडिटिंग (CRISPR-Cas9 तकनीक):

अभी यह मुख्यतः रिसर्च और कुछ विशिष्ट जेनेटिक कंडीशंस के लिए क्लिनिकल ट्रायल्स के स्तर पर है, लेकिन 2026 तक इसने बहुत प्रगति कर ली है। इस तकनीक से भ्रूण में मौजूद कुछ खास जेनेटिक दोषों को "edit" यानी सुधारा जा सकता है। हालांकि, इस पर ethical और regulatory बहसें जारी हैं और यह सभी जगह उपलब्ध नहीं है।

· एडवांस्ड जेनेटिक डायग्नोसिस और काउंसलिंग: 

अब सिर्फ कुछ जेनेटिक कंडीशंस ही नहीं, बल्कि Whole Exome Sequencing जैसी तकनीकों से सैकड़ों जीन्स को स्कैन किया जा सकता है जो इनफर्टिलिटी से जुड़े हो सकते हैं। इसके बाद जेनेटिक काउंसलिंग से कपल को सभी विकल्प और रिस्क समझाए जाते हैं।

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निष्कर्ष:

2026 में इनफर्टिलिटी का इलाज अब सिर्फ एक मेडिकल प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक पर्सनलाइज्ड और हाई-टेक सफर बन चुका है। आपके लिए सही इलाज आपकी उम्र, स्वास्थ्य, इनफर्टिलिटी के कारण, पहले हुए ट्रीटमेंट्स, फाइनेंशियल स्थिति, इंश्योरेंस और आपकी शारीरिक-मानसिक तैयारी पर निर्भर करता है। पहला कदम है—एक अच्छे फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लेकर जरूरी टेस्ट्स कराना ताकि क्लियर प्लान मिल सके। इस सफर में अपने पार्टनर और डॉक्टर से खुलकर बात करें, इमोशनल सपोर्ट लें, अच्छी लाइफस्टाइल अपनाएं क्योंकि पौष्टिक खाना, एक्सरसाइज, नींद और स्ट्रेस मैनेजमेंट काफी मददगार होते हैं। इनफर्टिलिटी कमजोरी नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्य स्थिति है जिसका समाधान संभव है, और आज की एडवांस मेडिकल साइंस से माता-पिता बनने का सपना पहले से कहीं ज्यादा करीब है।

FAQs (Frequently Asked Questions)

Q1. 2026 में इनफर्टिलिटी का सबसे ज्यादा असरदार ट्रीटमेंट कौन-सा है?

- 2026 में पर्सनलाइज्ड IVF और AI-बेस्ड एम्ब्रियो सिलेक्शन सबसे ज्यादा सफल साबित हो रहे हैं।

Q2. क्या IUI अब भी एक अच्छा और किफायती विकल्प है?

- हाँ, 2026 में एडवांस ovulation tracking और बेहतर sperm preparation की वजह से IUI और भी असरदार बना है।

Q3. ICSI किस तरह के कपल्स के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है?

- ICSI खास तौर पर बहुत कम स्पर्म काउंट, खराब स्पर्म क्वालिटी या पहले IVF फेल होने वाले कपल्स के लिए बेस्ट है।

Q4. क्या इनफर्टिलिटी सर्जरी अब दर्दनाक या लंबी रिकवरी वाली होती है?

- नहीं, 2026 की minimal invasive और robotic surgery से कम दर्द, छोटे कट और रिकवरी बहुत तेज होती है।

Q5. जेनेटिक टेस्टिंग कब जरूरी होती है?

- बार-बार गर्भपात, बहुत खराब एग/स्पर्म क्वालिटी या किसी जेनेटिक बिमारी के रिस्क में जेनेटिक टेस्टिंग जरूरी होती है।

Q6. क्या इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में लाइफस्टाइल बदलाव वाकई असर डालते हैं?

- हाँ, अच्छी डाइट, नियमित व्यायाम और स्ट्रेस मैनेजमेंट से ट्रीटमेंट का सक्सेस रेट काफी बढ़ जाता है।

~ Verified by Progenesis Fertility Center's Expert Doctors

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