फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड की भूमिका

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड एक इमेजिंग टेस्ट है, जिसका उपयोग महिला के गर्भाशय, अंडाशय, ट्यूब, गर्भाशय ग्रीवा और पेल्विक क्षेत्र के परिक्षण के लिए किया जाता है। ट्रांसवजाइनल का अर्थ है योनि के पार। ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड टेस्ट कब किया जाता है? कैसे किया जाता है? और वन्ध्यत्व के निदान में और फर्टिलिटी इलाज में ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के फायदे जानने के लिए ब्लॉग अंत तक पढ़े।

Share This Post

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड क्या है?

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड एक त्वरित होनेवाली और दर्दरहित मेडिकल इमेजिंग तकनीक है। जिसका उपयोग महिलाओं में रिप्रॉडक्टिव्ह अंगों की जाँच के लिए किया जाता है। खासकर गर्भाशय, अंडाशय, गर्भनलिका की स्थिति एवं कार्य को जाँच किया जाता है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाता है?

जाँच के लिए मरीज को लिटाया जाता है। ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड डिवाइस के आगे एक डंडी जैसा उपकरण जुड़ा होता है। जिसे ट्रांसड्यूसर कहा जाता है। इसके आगे कैमेरा लगा हुआ होता है। ट्रांसड्यूसर के माध्यम से वजाइना से होकर अंदर के अंगों की जाँच डॉक्टर करते है। इस समय रीप्रोडक्टीव्ह अंगों की संरचनाओं की सूक्ष्म छवियाँ कैप्चर होती है और वह कम्प्यूटर पर दिखाई देती है।

ट्रैडिशनल अल्ट्रासाउंड की तुलना में ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के उपयोग से अधिक सूक्ष्म परिक्षण किया जा सकता है। क्योंकि कैमेरा को ऊतकों की परतों से गुजरना नहीं पड़ता है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के उपयोग

  • पैल्विक दर्द की जाँच 
  • असामान्य रक्तस्राव
  • ओवरियन अल्सर
  • फाइब्रॉइड
  • ओवरियन सिस्ट, ट्यूमर या पोलिप्स 
  • गर्भाशय के परत की जाँच 
  • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की जाँच 
  • मिसकैरेज की जाँच 
  • PCOS 
  • फॉलिकल्स की निगराणी 
  • वन्ध्यत्व का निदान 
  • अन्य स्त्रीरोग सम्बन्धी स्थितियों का निदान

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड कब किया जा सकता है?

विशिष्ट लक्षणों के स्थिति में गर्भाशय, अंडाशय, पेल्विक एरिया, फॉलिकल्स का विकास जांचने के लिए आपके डॉक्टर आपको जरुरत पड़नेपर कभी भी ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकते है। भले ही मासिक धर्म हो या आप गर्भवती हो।

फर्टिलिटी इलाज में ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड का महत्त्व

वन्ध्यत्व समस्या का पता लगाने के लिए प्राथमिक तौर पर ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है। निदान के आधार पर उपयुक्त इलाज किया जाता है। जैसे की – दवाइयों का डोस तय करना, कुछ गड़बड़ी दिखाई देनेपर एडवांस इमेजिंग तकनीक का सुझाव देना या फिर गर्भधारण के लिए सेक्स्युअल इंटरकोर्स का समय तय करना शामिल है। गर्भधारण के लिए और गर्भधारण के दौरान भी ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है।

गर्भावस्था के पहले ३ महीने के दौरान डॉक्टर आपको ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड की सलाह देते है। इस दौरान ऐसी जांचे की जाती है :

  •  प्रेग्नेंसी कन्फर्म करना 
  • बच्चे के हार्टबीट देखना 
  • गर्भावस्था दौरान फाइब्रॉइड की निगरानी करना 
  • मिसकैरेज या प्री बर्थ जैसे स्थितियों को पहचानना 
  • गर्भ की संख्या और विकास की जाँच

ओवरियन फॉलिक्युलर स्टडी में ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के फायदे

ओवुलेशन इंडक्शन, IUI या IVF इलाज के दौरान ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड का उपयोग अहम होता है। ऐसे फर्टिलिटी उपचार के दौरान ओवरियन स्टिम्युलेशन प्रक्रिया शामिल होती है। जिसमे हार्मोनल दवाइया या इंजेक्शन का उपयोग करने फॉलिकल्स (स्त्रीबीज) को बढ़ाना शामिल है। ‘फॉलिकल्स बढ़ने की प्रक्रिया की निगरानी करना’ यानि फॉलिक्युलर स्टडी। फॉलिक्युलर स्टडी में स्त्रीबीजों का विकास अच्छे से हो रहा है की नहीं यह देखा जाता है। इस अनुसार दवाइयों का डोस कम या ज्यादा भी किया जा सकता है। इस प्रकार ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड का उपयोग फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में अहम है।

‘ओवुलेशन इंडक्शन’ ट्रीटमेंट में ‘ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड’ मददगार

ओवुलेशन इंडक्शन यह गर्भधारण का एक प्राथमिक फर्टिलिटी इलाज है। यह फर्टिलिटी डॉक्टरों के जरिए किया जाता है। जिसे ‘ओवुलेशन ट्रैकिंग और टाइमिंग इंटरकोर्स’ भी कहा जाता है। क्यों की इस प्रक्रिया में दवाइयों के तहत एक से अधिक स्त्रीबीजों का विकास (ओवरियन स्टिम्युलेशन) करना और गर्भधारण के लिए ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के माध्यम से ओवुलेशन का समय जानना शामिल है।

ओवुलेशन इंडक्शन उपचार में ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड की मदत से कपल नैचरली कंसीव कर सकते है। यह प्रक्रिया फर्टिलिटी डॉक्टरों से की जा सकती है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर ओवुलेशन ट्रैकिंग करते है और ओवुलेशन के समय कपल को सेक्स्युअल इंटरकोर्स की सलाह देते है। इस तरह कपल नैचरली कंसीव कर सकते है।

वन्ध्यत्व समस्याओं के निदान में ‘ट्रांसवजाइनल  अल्ट्रासाउंड’ की भूमिका

यदि आपको अनेक प्रयासों के बावजूद गर्भधारण करने में परेशानी हो रही है तो आपको जाँच करना जरुरी है। निदान प्रक्रिया में पहला कदम अक्सर ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड होता है। इस नॉन इनवेसिव प्रक्रिया में योनि के माध्यम से ट्रांसड्यूसर का उपयोग करके रीप्रोडक्टीव्ह अंगों की जाँच की जाती है और वन्ध्यत्व का कारन पता लगाया जाता है। कपल को गर्भधारण के लिए एक प्रभावी व्यक्तिगत उपचार योजना (पर्सनलाइज ट्रीटमेंट प्लान) विकसित करने में  ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड से मदद मिलती है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के लिए कैसे तैयारी करे?

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के लिए अधिक तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। कम समय में या प्रक्रिया पूरी होती है। साथ ही या एक दर्दरहित और बिना जोखिन वाली प्रक्रिया है। बाकि की तैयारी आपके डॉक्टर आपको क्लिनिक जाने के बाद बताएँगे।

अधिक सर्च किए जानेवाले प्रश्न :

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड में कितना समय लगता है?

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड में 15 मिनट से लेकर एक घंटे तक का समय लग सकता है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड कौन कर सकता है?

आपके डॉक्टर, अल्ट्रासाउंड टेक्नीशियन, रेडिओलॉजिस्ट या फिर सोनोग्राफर जो प्रशिक्षित एक्सपर्ट होते है, वे सब ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड कर सकते है?

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड एक दर्दनाक प्रक्रिया है?

बिलकुल नहीं। ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड आसान, आरामदायक और दर्दरहित प्रक्रिया है।

Subscribe To Our Newsletter

Get updates and learn from the best

More To Explore

एडेनोमायोसिस (Adenomyosis in Hindi): लक्षण, कारण और उपचार

एडेनोमायोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय की मांसपेशियों (uterine muscles) में गर्भाशय की अंदरूनी परत (endometrial tissue) घुस जाती है। यह स्थिति आमतौर पर

Risks of Declining Birth Rates in India

The possibility of declining birth rates in India is a complex topic with substantial social, economic, and cultural ramifications. While India’s population growth rate is