PMS के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं, और इनकी तीव्रता भी कम या ज्यादा हो सकती है। कुछ महिलाओं को हल्की परेशानी होती है, जबकि कुछ के लिए ये लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो जाती है।
इस ब्लॉग में हम PMS के बारे में विस्तार से बात करेंगे। हम जानेंगे कि PMS क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, ये क्यों होते हैं, और इन्हें कैसे कम किया जा सकता है। अगर आप भी पीरियड्स से पहले होने वाली परेशानियों से जूझ रही हैं, तो ये ब्लॉग आपके लिए बहुत मददगार होगा।
1. PMS (Premenstrual Syndrome) क्या है?
PMS यानी Premenstrual Syndrome, पीरियड्स शुरू होने से पहले होने वाले शारीरिक और मानसिक लक्षणों का एक समूह है। ये लक्षण आमतौर पर पीरियड्स के 5 से 10 दिन पहले शुरू होते हैं और पीरियड्स शुरू होने के बाद धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।
PMS हर महिला को प्रभावित नहीं करता, लेकिन लगभग 20-40% महिलाएं इसके हल्के लक्षण महसूस करती हैं। वहीं, 3-8% महिलाओं को PMDD (Premenstrual Dysphoric Disorder) नाम की गंभीर स्थिति हो सकती है, जिसमें PMS के लक्षण बहुत ज्यादा तीव्र होते हैं। PMDD के बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे।
PMS के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को सिर्फ शारीरिक परेशानी होती है, जैसे पेट में दर्द या थकान, जबकि कुछ को मानसिक परेशानी जैसे चिड़चिड़ापन या मूड स्विंग्स होते हैं। आइए, अब PMS के लक्षणों को विस्तार से समझते हैं।
2. PMS के लक्षण क्या हैं?
PMS के लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं। ये लक्षण शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तीनों तरह के हो सकते हैं। यहाँ हम इन लक्षणों को विस्तार से समझेंगे:
2.1 शारीरिक लक्षण
शारीरिक लक्षण वे हैं जो आपके शरीर में बदलाव लाते हैं। इनमें शामिल हैं:
पेट में दर्द या ऐंठन: पीरियड्स से पहले पेट के निचले हिस्से में हल्का या तेज दर्द हो सकता है। यह दर्द कई बार कमर तक फैल जाता है।
स्तनों में दर्द या भारीपन: कई महिलाओं को पीरियड्स से पहले अपने स्तनों में दर्द, सूजन या भारीपन महसूस होता है। ये इतना असहज हो सकता है कि कपड़े पहनने में भी परेशानी हो।
थकान और कमजोरी: शरीर में एनर्जी की कमी और लगातार थकान रहना PMS का आम लक्षण है। आपको ऐसा लग सकता है कि आपकी ताकत खत्म हो रही है।
सिरदर्द: कुछ महिलाओं को पीरियड्स से पहले सिरदर्द या माइग्रेन की शिकायत होती है। ये सिरदर्द हल्का या तेज हो सकता है।
पेट फूलना या गैस: पेट में भारीपन, गैस या ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है। इससे पेट बड़ा और असहज लग सकता है।
वजन बढ़ना: शरीर में पानी जमा होने की वजह से कुछ महिलाओं का वजन थोड़ा बढ़ जाता है। ये अस्थायी (temporary) होता है और पीरियड्स के बाद ठीक हो जाता है।
त्वचा पर बदलाव: PMS के दौरान चेहरे पर मुहांसे, ऑयली स्किन या त्वचा में रूखापन हो सकता है। ये हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है।
जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द: कुछ महिलाओं को पीरियड्स से पहले जोड़ों में दर्द या मांसपेशियों में अकड़न महसूस होती है।
2.2 मानसिक और भावनात्मक लक्षण
PMS सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक लक्षण भी लाता है। ये हैं:
मूड स्विंग्स: आपका मूड बार-बार बदल सकता है। कभी आप बहुत खुश, तो कभी उदास या गुस्से में हो सकती हैं।
चिड़चिड़ापन: छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना या चिड़चिड़ापन PMS का आम लक्षण है। आप परिवार या दोस्तों पर बेवजह नाराज हो सकती हैं।
उदासी या रोना: कई महिलाएं पीरियड्स से पहले बेवजह उदास महसूस करती हैं। कुछ को बार-बार रोने का मन करता है।
तनाव या चिंता: बिना वजह तनाव, घबराहट या चिंता होना भी PMS का हिस्सा हो सकता है। आपको लग सकता है कि आप किसी बात को लेकर परेशान हैं, लेकिन वजह समझ नहीं आती।
कम आत्मविश्वास: कुछ महिलाओं को लगता है कि वे अच्छी नहीं दिख रही हैं या उनकी काबिलियत कम हो गई है। ये भावनाएं अस्थायी होती हैं।
नींद में बदलाव: कुछ महिलाओं को बहुत ज्यादा नींद आती है, जबकि कुछ को अनिद्रा (नींद न आने की समस्या) हो सकती है।
ध्यान न लगना: PMS के दौरान फोकस करना मुश्किल हो सकता है। आपका दिमाग इधर-उधर भटक सकता है।
2.3 व्यवहारिक लक्षण
कुछ लक्षण आपके व्यवहार में बदलाव लाते हैं, जैसे:
खाने की इच्छा बढ़ना: कई महिलाओं को पीरियड्स से पहले बहुत भूख लगती है। खासकर चॉकलेट, मीठा या नमकीन खाने की तीव्र इच्छा होती है।
सामाजिक दूरी: कुछ महिलाएं इस दौरान लोगों से मिलना-जुलना कम कर देती हैं। उन्हें अकेले रहना ज्यादा पसंद होता है।
काम में रुचि कम होना: ऑफिस या घर के काम में मन नहीं लगता, और आप थोड़ा आलस महसूस कर सकती हैं।
इन लक्षणों की तीव्रता हर महिला में अलग होती है। कुछ को सिर्फ 1-2 लक्षण होते हैं, जबकि कुछ को कई लक्षण एक साथ झेलने पड़ते हैं। अगर ये लक्षण आपकी जिंदगी को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं, तो डॉक्टर से बात करना जरूरी है।
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3. PMS क्यों होता है? इसके कारण क्या हैं?
PMS के सटीक कारण का पता नहीं है, लेकिन डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का मानना है कि ये शरीर में होने वाले हार्मोनल और केमिकल बदलाव की वजह से होता है। आइए, इन कारणों को विस्तार से समझते हैं:
3.1 हार्मोनल बदलाव
पीरियड्स का चक्र, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स पर निर्भर करता है। पीरियड्स से पहले इन हार्मोन्स का स्तर बार-बार ऊपर-नीचे होता है।
इस हार्मोनल उतार-चढ़ाव की वजह से शरीर और दिमाग पर असर पड़ता है, जिससे PMS के लक्षण दिखाई देते हैं।
उदाहरण के लिए, एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने से मूड स्विंग्स या चिड़चिड़ापन हो सकता है, जबकि प्रोजेस्टेरोन बढ़ने से थकान या ब्लोटिंग की समस्या होती है।
3.2 दिमाग में केमिकल बदलाव
दिमाग में सेरोटोनिन नाम का एक केमिकल होता है, जो मूड को कंट्रोल करता है। पीरियड्स से पहले सेरोटोनिन का स्तर कम हो सकता है।
सेरोटोनिन कम होने से उदासी, तनाव या चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण बढ़ जाते हैं।
ये केमिकल बदलाव खासकर उन महिलाओं में ज्यादा प्रभाव डालते हैं, जो पहले से तनाव या डिप्रेशन से जूझ रही हैं।
3.3 जीवनशैली और खानपान
अगर आपकी डाइट में पोषक तत्वों की कमी है, जैसे विटामिन B6, मैग्नीशियम या कैल्शियम, तो PMS के लक्षण बढ़ सकते हैं।
ज्यादा कैफीन, शराब या नमक का सेवन भी PMS को बदतर बना सकता है। उदाहरण के लिए, ज्यादा नमक खाने से शरीर में पानी जमा हो सकता है, जिससे ब्लोटिंग बढ़ती है।
कम नींद, तनाव या एक्सरसाइज की कमी भी PMS के लक्षणों को बढ़ा सकती है।
3.4 आनुवंशिक कारण
अगर आपकी माँ या बहन को PMS की समस्या है, तो आपको भी इसके होने की संभावना ज्यादा हो सकती है। यानी ये कुछ हद तक आनुवंशिक भी हो सकता है।
3.5 अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
कुछ महिलाओं में थायरॉइड, डिप्रेशन या चिंता जैसी स्वास्थ्य समस्याएं PMS के लक्षणों को और गंभीर बना सकती हैं।
अगर आपको पहले से कोई मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, तो पीरियड्स से पहले ये और बढ़ सकती है।
इन सभी कारणों का मिला-जुला असर PMS को जन्म देता है। हर महिला का शरीर अलग होता है, इसलिए इन कारणों का प्रभाव भी अलग-अलग हो सकता है।
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4. PMS और PMDD में क्या अंतर है?
कई बार लोग PMS और PMDD को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन ये दोनों अलग हैं। आइए, इनके बीच का अंतर समझते हैं:
PMS (Premenstrual Syndrome): ये हल्के से मध्यम लक्षणों का समूह है, जो पीरियड्स से पहले होता है। ये लक्षण ज्यादातर महिलाओं को परेशान तो करते हैं, लेकिन उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को पूरी तरह बाधित नहीं करते।
PMDD (Premenstrual Dysphoric Disorder): ये PMS का गंभीर रूप है। PMDD के लक्षण इतने तीव्र होते हैं कि वे आपकी जिंदगी को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, आपको बहुत ज्यादा डिप्रेशन, गुस्सा या आत्महत्या के विचार आ सकते हैं।
PMDD में मानसिक लक्षण ज्यादा गंभीर होते हैं, जैसे तीव्र उदासी, चिंता या आत्मविश्वास की कमी।
PMDD का इलाज आमतौर पर डॉक्टर की मदद से किया जाता है, जिसमें दवाइयां या थेरेपी शामिल हो सकती है।
अगर आपको लगता है कि आपके लक्षण PMS से ज्यादा गंभीर हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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5. PMS के लक्षणों को कैसे कम करें? उपाय और सुझाव
PMS के लक्षणों को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल है, लेकिन कुछ आसान उपायों से इन्हें काफी हद तक कम किया जा सकता है। ये उपाय जीवनशैली, खानपान, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े हैं। आइए, इन्हें विस्तार से देखते हैं:
5.1 खानपान में बदलाव
हेल्दी डाइट लें: अपनी डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और प्रोटीन शामिल करें। ये शरीर को जरूरी पोषक तत्व देते हैं, जो PMS को कम करने में मदद करते हैं।
विटामिन और मिनरल्स: विटामिन B6, मैग्नीशियम, और कैल्शियम PMS के लक्षणों को कम कर सकते हैं। आप इन्हें खाने (जैसे पालक, केला, दूध) या सप्लीमेंट्स से ले सकती हैं, लेकिन सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
नमक कम करें: ज्यादा नमक खाने से ब्लोटिंग बढ़ सकती है। प्रोसेस्ड फूड, चिप्स, और फास्ट फूड कम खाएं।
कैफीन और शराब से बचें: कॉफी, चाय, और शराब मूड स्विंग्स और नींद की समस्या को बढ़ा सकते हैं। इनका सेवन कम करें।
छोटे-छोटे मील खाएं: दिन में 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं। इससे ब्लड शुगर स्थिर रहता है, जो मूड स्विंग्स को कम करता है।
पानी ज्यादा पिएं: दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं। ये ब्लोटिंग और थकान को कम करता है।
5.2 एक्सरसाइज और शारीरिक गतिविधि
रोजाना एक्सरसाइज करें: योग, वॉकिंग, स्विमिंग या डांसिंग जैसी हल्की एक्सरसाइज PMS के लक्षणों को कम करती हैं। ये दिमाग में सेरोटोनिन बढ़ाती हैं, जिससे मूड बेहतर होता है।
योग और स्ट्रेचिंग: योगासन जैसे बालासन, भुजंगासन, और सूर्य नमस्कार पेट दर्द और तनाव को कम करते हैं।
30 मिनट की गतिविधि: रोजाना कम से कम 30 मिनट शारीरिक गतिविधि करें। ये थकान और चिड़चिड़ापन कम करती है।
5.3 नींद और आराम
पर्याप्त नींद लें: रात में 7-8 घंटे की नींद जरूरी है। अच्छी नींद मूड स्विंग्स और तनाव को कम करती है।
स्लीप रूटीन बनाएं: रोजाना एक ही समय पर सोएं और जागें। सोने से पहले स्क्रीन टाइम (मोबाइल, टीवी) कम करें।
रिलैक्सेशन तकनीक: मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग, या गर्म पानी से नहाने से तनाव और दर्द कम होता है।
5.4 मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान
तनाव कम करें: तनाव PMS के लक्षणों को बढ़ाता है। मेडिटेशन, किताब पढ़ना, या दोस्तों से बात करना तनाव को कम करता है।
अपनी भावनाओं को व्यक्त करें: अगर आप उदास या चिड़चिड़ी महसूस कर रही हैं, तो किसी करीबी से बात करें। आप डायरी में अपनी भावनाएं भी लिख सकती हैं।
थेरेपी: अगर मूड स्विंग्स या डिप्रेशन बहुत ज्यादा है, तो किसी काउंसलर या थेरेपिस्ट से बात करें।
5.5 घरेलू उपाय
गर्म पानी की बोतल: पेट या कमर दर्द के लिए गर्म पानी की बोतल का इस्तेमाल करें। ये ऐंठन को कम करता है।
हर्बल टी: अदरक, पुदीना, या कैमोमाइल की चाय तनाव और पेट दर्द को कम करती है।
मसाज: हल्की मसाज से मांसपेशियों का दर्द और तनाव कम होता है। आप लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल कर सकती हैं।
5.6 मेडिकल मदद
पेनकिलर दवाइयां: अगर दर्द बहुत ज्यादा है, तो डॉक्टर की सलाह से पेनकिलर जैसे इबुप्रोफेन ले सकती हैं।
सप्लीमेंट्स: विटामिन B6, मैग्नीशियम, या कैल्शियम के सप्लीमेंट्स लक्षणों को कम कर सकते हैं। लेकिन इन्हें डॉक्टर की सलाह से लें।
हार्मोनल ट्रीटमेंट: कुछ मामलों में डॉक्टर हार्मोनल दवाइयां या बर्थ कंट्रोल पिल्स सुझा सकते हैं। ये हार्मोनल बदलाव को कंट्रोल करते हैं।
PMDD का इलाज: अगर आपको PMDD है, तो डॉक्टर एंटी-डिप्रेसेन्ट दवाइयां या थेरेपी सुझा सकते हैं।
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6. कब डॉक्टर से संपर्क करें?
ज्यादातर मामलों में PMS के लक्षण हल्के होते हैं और घरेलू उपायों से ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है:
- अगर लक्षण इतने गंभीर हैं कि आपका रोजमर्रा का काम प्रभावित हो रहा है।
- अगर आपको बहुत ज्यादा डिप्रेशन, चिंता, या आत्महत्या के विचार आ रहे हैं।
- अगर लक्षण हर महीने बदतर हो रहे हैं।
- अगर घरेलू उपाय या दवाइयां काम नहीं कर रही हैं।
- अगर आपको लगता है कि आपको PMDD हो सकता है।
डॉक्टर आपके लक्षणों का मूल्यांकन करेंगे और जरूरत पड़ने पर टेस्ट या इलाज सुझाएंगे।
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7. PMS के बारे में गलत धारणाएं
PMS को लेकर समाज में कई गलत धारणाएं हैं, जो इसे और जटिल बनाती हैं। आइए, कुछ आम मिथकों को समझें:
मिथक 1: PMS सिर्फ दिमाग की उपज है, असली नहीं है।
सच: PMS एक वास्तविक मेडिकल स्थिति है, जो हार्मोनल और केमिकल बदलाव की वजह से होती है। ये सिर्फ मन का वहम नहीं है।
मिथक 2: हर महिला को PMS होता है।
सच: सभी महिलाओं को PMS नहीं होता। कुछ महिलाएं इसे बिल्कुल महसूस नहीं करतीं।
मिथक 3: PMS का कोई इलाज नहीं है।
सच: जीवनशैली में बदलाव, घरेलू उपाय, और मेडिकल ट्रीटमेंट से PMS को मैनेज किया जा सकता है।
मिथक 4: PMS सिर्फ मानसिक लक्षण लाता है।
सच: PMS शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक तीनों तरह के लक्षण लाता है।
इन मिथकों को समझकर आप PMS को बेहतर तरीके से डील कर सकती हैं और दूसरों को भी जागरूक कर सकती हैं।
निष्कर्ष –
PMS यानी Premenstrual Syndrome पीरियड्स से पहले होने वाली एक आम स्थिति है, जो शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक लक्षण लाती है। ये लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं, और इनकी तीव्रता भी कम या ज्यादा हो सकती है। PMS के पीछे हार्मोनल बदलाव, दिमाग में केमिकल असंतुलन, और जीवनशैली जैसे कई कारण हो सकते हैं।
हालांकि PMS को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल है, लेकिन हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज, अच्छी नींद, और तनाव प्रबंधन जैसे उपायों से इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। अगर लक्षण बहुत गंभीर हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें। अपने लक्षणों का रिकॉर्ड रखें और खुलकर इस बारे में बात करें।
PMS कोई शर्मिंदगी की बात नहीं है। ये एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे समझकर और सही उपाय अपनाकर आप अपनी जिंदगी को और बेहतर बना सकती हैं।