आईयूआई क्या है?
आईयूआई यानी इंट्रा यूटेरियन इनसेमिनेशन । इंट्रा यानि गर्भाशय के अंदर और इनसेमिनेशन मतलब वीर्य का ट्रांसफर करना।
पति का वीर्य वॉश और ट्रांसफर के लिए तैयार किया जाता है। इनमेसे जीवित, स्वस्थ और अच्छी हलचल करनेवाले शुक्राणु एक कैथेटर में डालकर पत्नी के गर्भाशय में उसके ओवुलेशन पीरिएड के आसपास डालने की प्रक्रिया को IUI कहते है।

आईयूआई प्रक्रिया - स्टेप बाय स्टेप
- ओवरियन स्टिम्युलेशन : फर्टिलिटी मेडिसिन के जरिये ओवरियन स्टिम्युलेशन किया जाता है। नैचरल सायकल में जहा १ फॉलिकल डेव्हलप होता है। वही IUI में फर्टिलिटी मेडिसिन की मदत से २ या ३ फॉलिकल्स को बढ़ाया जाता है। जिससे गर्भधारण सम्भावना को बढ़ाया जाता है।
- ओवुलेशन मॉनिटरिंग : मासिक धर्म के ६ दिन बाद ठराविक समय में बार बार फॉलिकल स्टडी किया जाता है। इसमें बीजोंका बढ़ना और फूटना ओब्सर्व किया जाता है। इससे स्पर्म ट्रांसफर का सही समय पता चलता है।
- स्पर्म कलेक्शन : नैसर्गिक तरीके से वीर्य का नमूना कलेक्ट किया जाता है। एज़ूस्पर्मिया या निल शुक्राणु की स्थिति में टेसा, पेसा, मेसा, माइक्रो टीसी जैसे स्पर्म रिट्राइवल तकनीक की मदत से स्पर्म कलेक्ट किए जाते है।
- स्पर्म वाशिंग : स्पर्म को कलेक्ट करने के बाद इन्हे लैब में धोया जाता है। इस वक्त कुछ पोषकतत्त्व दिए जाते है। अच्छे क्वालिटी के और तेजी से आगे बढ़नेवाले शुक्राणुओं को वीर्य से अलग किया जाता है।
- स्पर्म कॉन्सेंट्रेशन : सिलेक्टेड शुक्राणुओं को सही मात्रा में यानि ०.३ या ०.४ मिली मात्रा में एकत्रित किया जाता है।
- स्पर्म ट्रांसफर : महिला के गर्भाशय में ओवुलेशन के दिन सिलेक्टेड स्पर्म ट्रांसफर किए जाते है और इन्हे नैचरली फर्टिलाइज़ेशन और इम्प्��ांटेशन के लिए छोड़ दिया जाता है। ट्रांसफर की प्रक्रिया में गर्भाशय ग्रीवा में पतला कैथेटर डालकर धीरे धीरे स्पर्म को इंजेक्ट किया जाता है और फैलोपियन ट्यूब के नजदीक छोड़ दिया जाता है।
आययुआय कब करना है?
- जिन कपल में सम्बन्ध बनाने में तकलीफ (सेक्स्युअल डिस्फंक्शन) है।
- इरेक्शन समस्या, एज्यक्युलेशन समस्या होनेपर
- अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी
- ओवुलेशन वक्त पर हो रहा है, शुक्राणु की मात्रा सही है, ट्यूब अच्छी है और प्रयास करते हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है, तो IUI से गर्भधारण हो सकता है।
- माइल्ड पीसीओएस / एंडोमेट्रिओसिस होनेपर
- माइल्ड मेल इनफर्टिलिटी समस्या होनेपर
- निल शुक्राणु होनेपर जहा डोनर एग की मदत लेनेवाले है।
- HIV की स्थिति
- गंभीर शुक्राणु समस्या है और IVF का खर्चा करने में सक्षम नहीं है
- RH फैक्टर होनेपर
- उम्र ३५ से कम है और वन्ध्यत्व अवधि ५ साल से कम होनेपर
- कम से कम १ गर्भनलिका खुली होनेपर
- एएमएच मात्रा और ओवरियन रिज़र्व अच्छा होनेपर
- गर्भाशय ग्रीवा से जुडी इनफर्टिलिटी
आइयूआई का सक्सेस रेट
सक्सेस रेट आपकी शारीरिक स्थिति, आयु, फर्टिलिटी स्टेटस पर निर्भर करता है।
अगर महिला की उम्र ३५ से कम है, प्रयास करते बहुत समय नहीं बिता है, यानि वन्ध्यत्व अवधि ५ साल से कम है, दोनों ट्यूब या एक ट्यूब खुली है, ओवरियन रिज़र्व अच्छा है, एएमएच लेवल अच्छा है, फर्टिलिटी मेडिसिन से फॉलिकल बढ़ रहे है या फुट रहे है, और पुरुष के सीमेन रिपोर्ट नार्मल या नार्मल के नजदीक है, तब IUI में पोजिटिव्ह रिज़ल्ट मिलने की सम्भावना अधिक होती है।
- ३५ तक आयु - २० %
- ३५ से ४० आयु - १० %
- ३८ से ज्यादा आयु - २-५ %
इसके अतिरिक्त ट्रीटमेंट कौनसे सेंटर में कर रहे है, सेंटर में अत्याधुनिक तंत्रज्ञान, अनुभवी डॉक्टर सक्सेस पर प्रभाव डालते है। स्पर्म कलेक्शन, स्पर्म वॉशिंग क्लिनिक में उपलब्ध होना जरुरी है।
आईयूआई के फायदे
- सीधी आसान दर्द विरहित प्रक्रिया है।
- कम खर्चा आता है।

