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मिसकैरेज के बाद गर्भधारण कैसे करे? जानिए गर्भपात के कारण, लक्षण और इलाज

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क्या आपने मिसकैरेज का अनुभव किया है, और अभी आप माँ बनाने की सोच रहे है? तो यह लेख आपके लिए है।

सबसे पहली बात, दोबारा गर्भधारण का प्रयास करने से पहले खुद को भावनात्मक और शारीरिक रूप से ठीक होने का समय दें। उसके बाद आपके मिसकैरेज स्थिति और मेडिकल कंडीशन जानने के लिए अच्छे फर्टिलिटी डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है। क्योंकि क्रोमोज़ोमल डिफेक्ट या किसी भी अनुवांशिक कारन से मिसकैरेज हो सकता है। और ऐसी स्थिति का निदान एवं उपचार फर्टिलिटी क्लिनिक में संभव है। यहाँ की एडवांस टेक्नोलॉजी और अनुभवी डॉक्टर्स से गर्भधारण की सम्भावना बढ़ जाती है। 

गर्भपात के बाद गर्भवती होने में कई महिलाओं को समय लगता है, लेकिन उम्मीद न खोएं; फर्टिलिटी सेंटर में आपको सक्सेस जरूर मिलेगा।

गर्भपात क्या है? Miscarriage symptoms in Hindi

मिसकैरेज नैसर्गिक तरीके से होता है। गर्भावस्था के दौरान माँ अपने बच्चे को खो देती है। इस स्थिति को मिसकैरेज कहा जाता है। मिसकैरेज एक ऐसी पेनफुल स्थिति है जिससे बच्चे की उम्मीद के साथ आने वाली खुशी और प्रत्याशा में बाधा आती है।

मिसकैरेज के लक्षण

  • क्रैम्पिंग
  • पेट में दर्द
  • वजायनल ब्लीडिंग
  • क्लॉटिंग
  • गर्भावस्था लक्षणों में कमी
  • योनि से तरल पदर्थ का बहना

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मिसकैरेज हिस्ट्री होनेपर फर्टिलिटी डॉक्टर से कंसल्टेशन क्यों जरुरी है?

  1. कंसल्टेशन : सबसे पहले, वे मेडिकल टेस्ट्स और एक्सामिनेशन के माध्यम से अंतर्निहित कारणों का पता लगाने के लिए इन डेप्थ इवैलुएशन करते हैं।
  2. केस हिस्टरी : केस का डिटेल स्टडी किया जाता है। मिसकैरेज के कारन क्या हो सकते है इसका अनुमान लगाया जाता है। साथ ही आपकी शारीरिक स्थिति, मानसिक स्थिति, जीवनशैली, आहार, शुरू दवाइयां ऐसी केस हिस्टरी लेते है।
  3. डायग्नोसिस : आशंका के आधार पर टेस्ट्स किए जाते है। जिसके जरिए सटीक निदान होता है।
  4. ट्रीटमेंट प्लान : आपक��� मिसकैरेज के कारन एवं रिपोर्ट्स अनुसार सक्सेसफुल प्रेग्नेंसी ट्रीटमेंट प्लान बनाते है। जिसमे प्रेग्नेंसी का सही समय, सर्जिकल उपचार, लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन, एडवांस फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का भी समावेश हो सकता है।

मिसकैरेज के कारन एवं इलाज

  • क्रोमोज़ोमल अब्नोर्मलिटीज : अतिरिक्त क्रोमोसोम का होना या एक भी क्रोमोज़ोम के कम होने से मिसकैरेज हो सकता है। मेडिकल क्षेत्र में ऐसी आधुनिक तकनीक मौजूद है, जिसकी मदत से भ्रूण में कुछ क्रोमोज़ोम अब्नोर्मलिटीज पहचानने के लिए 'जेनेटिक टेस्टिंग और डायग्नोसिस' किया जाता है। यह उन जोड़ों के लिए विशेष रूप से सहायक हो सकता है जिन्होंने कई बार गर्भपात का अनुभव किया है। PGT, PGS जैसी जेनेटिक टेस्टिंग भविष्य के गर्भधारण के लिए सूचित निर्णय लेने में सहायता कर सकता है।
  • हार्मोनल इम्बैलेंस : प्रोजेस्टेरोन हार्मोन जो गर्भाशय की परत बनाने में मदत करता है और गर्भ के विकास के लिए पूरक वातावरण तैयार करता है। लेकिन प्रोजेस्टेरोन की मात्रा बढ़ने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
    • फर्टिलिटि सेंटर में ऐसे हार्मोनल इम्बैलेंस के लिए फर्टिलिटी दवाइयों से उपचार किए जाते है। जिसके भी रिज़ल्ट अच्छे होते है।
  • हार्मोनल विकार : पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) या थायरॉयड जैसे हार्मोनल विकार अन्य हार्मोन्स जो गर्भावस्था के लिए जरुरी होते है, उन्हें डिस्टर्ब करते है। यह असंतुलन इम्प्लांटेशन या गर्भ के विकास में बढ़ा उत्पन्न करता है। हार्मोनल विकार गर्भधारण चुनौतीपूर्ण बनाते है और मिसकैरेज का खतरा भी बढ़ता है। हार्मोनल विकार के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी स्थिति का प्रबंधन करने और गर्भपात के जोखिम को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह ले। हार्मोनल विकार के लिए मेडिसिन से लेकर हार्मोन रिप्लेसमेंट सर्जरी जैसे पर्याय उपलब्ध है।
  • माता का स्वस्थ्य : पहले से मौजूद डायबिटीज या ब्लड प्रेशर जैसी बीमारिया गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकती हैं। ऐसी शारीरिक स्थिति प्लासेंटा पर प्रभाव डालती है और गर्भ को ऑक्सीजन, पोषक तत्त्व प्रदान करनेवाली सिस्टिम को प्रभावित करती है। गर्भपात के जोखिम को कम करने के लिए इन स्थितियों का उचित प्रबंधन और नियंत्रण महत्वपूर्ण है।
  • Preeclampsia and Gestational Diabetes : गर्भधारण दौरान होनेवाले डायबिटीज को गेस्टेशनल डायबिटीज कहते है। प्रीक्लेम्पसिया भी गर्भावस्था दौरान होनेवाली बीमारी है। जिसमे ब्लड प्रेशर बढ़ाना, शरीर का अंग नाकाम होना ऐसी स्थिति शामिल होती है। गर्भावस्था दौरान होनेवाली ऐसी स्थितियोंसे मिसकैरेज हो सकता है। कभी कभी अनियंत्रित डायबिटीज और ब्लड प्रेशर खतरा बढ़ाते है या फिर माँ का स्वास्थ्य अनियंत्रित करते है। ऐसी स्थिति में मिसकैरेज की संभावना होती है। या फिर डॉक्टर ऐसी गर्भावस्था समाप्त करने का सुझाव दे सकते है।
  • जीवनशैली और पर्यावरण के घटक : धूम्रपान, मद्यपान जैसे पदार्थों का सेवन करना, इसके आलावा, खानपान, नींद का पैटर्न, स्ट्रेस लेव्हल जैसी स्थितियां जो आपकी जीवनशैली बनती है उनसे मिसकैरेज का खतरा बढ़ता है। इसके लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरुरी होता है।
  • इन्फेक्शन्स : बैक्टीरियल वेजिनोसिस, मूत्र पथ के संक्रमण और श्वसन संक्रमण जैसे संक्रमण गर्भपात के बढ़ते जोखिम से जुड़े हुए हैं। सेक्स्युअल ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन्स (STI) और क्लैमाइडिया, गोनोरिया, सिफलिस और एचआईवी जैसे संक्रमणों का अगर इलाज न किया जाए तो गर्भपात की संभावना बढ़ सकती है। संभावित जटिलताओं को कम करने के लिए गर्भावस्था के दौरान किसी भी संक्रमण के लिए तुरंत अपने डॉक्टर की सहायता लेना और उचित उपचार प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
  • यूटेरियन एब्नॉर्मलिटीज : फाइब्रॉएड, पॉलीप्स और सेप्टेट गर्भाशय जैसी स्थितियां भ्रूण के आरोपण में हस्तक्षेप कर सकती हैं, जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में फर्टिलिटी उपचार करना जरुरी है।
  • एम्ब्रियो क्वालिटी : एम्ब्रियो अच्छे क्वालिटी का होना जरुरी होता है। अच्छे क्वालिटी का एम्ब्रियो बनाने के लिए स्पर्म और ओवम की क्वालिटी अच्छी होना जरुरी होता है। साथ ही एम्ब्रियो ट्रांसफर सही समय पर किया जाना जरुरी होता है। अगर माँ की स्थिति सही नहीं है या फिर एम्ब्रियो अच्छे क्वालिटी क��� नहीं है तब मिसकैरेज की सम्भावना बढ़ जाती है। इसलिए अच्छे फर्टिलिटी सेंटर में इलाज लेना फ़ायदेमंद होता है।

क्या आपने भी मिसकैरेज का अनुभव किया है? तो निचे के बटन पर क्लिक करे और मोफत कंसल्टेशन करे।

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गर्भपात का निदान

फर्टिलिटी क्लिनिक में मिसकैरेज के कारन जानने और टालने हेतु डॉक्टर कुछ टेस्ट्स और परिक्षण करवाते है। जैसे की –

  • अल्ट्रासाउंड
  • हिस्टॅरोसलपिंगोग्राफी
  • हिस्टेरोस्कोपी
  • ब्लड टेस्ट
  • क्रोमोसोम टेस्ट
  • सोनोहिस्ट्रोग्राफी
  • इमेजिंग टेस्ट/ MRI
  • PGD / PGT / PGS
  • जेनेटिक अब्नोर्मलिटीज
  • यूटेरियन अब्नोर्मलिटीज
  • हार्मोनल इम्बैलेंस
  • स्ट्रेस, पूअर लाइफस्टाइल

nhttps://youtu.be/ATdtoKx49rc?feature=sharedn
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~ Verified by Progenesis Fertility Center's Expert Doctors

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