सीमेन एनालिसिस क्या है? सीमेन एनालिसिस टेस्ट क्यों किया जाता है?

सीमेन एनालिसिस टेस्ट | Semen analysis test
पानी, प्लाज़्मा और म्यूकस इन तीन चीजोंसे “सीमेन” बना होता है। सीमेन में साइट्रिक एसिड, फ्री-अमीनो एसिड, फ्रक्टोज, एंजाइम, फॉस्फोरिलकोलाइन, प्रोस्टाग्लैंडीन, पोटेशियम और जिंक ये सब्सटेंस विशिष्ट मात्रा में समाविष्ट होते है। गर्भधारण में समस्या का कारन सीमेन में अब्नोर्मलिटीज़ होना ये हो सकता है। इसलिए इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में "सीमेन एनालिसिस टेस्ट" का विशेष महत्त्व है।

Share This Post

सीमेन एनालिसिस टेस्ट क्यों किया जाता है?

सीमेन एनालिसिस टेस्ट को वैद्यकीय भाषा में सीमेनोग्राम या स्परमिओग्राम भी कहा जाता है।  यह एक बेसिक टेस्ट है; जो इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में प्रायमरी स्टेज में की जाती है। सीमेन एनालिसिस टेस्ट से पुरुष वन्ध्यत्व या स्पर्म एबनॉर्मलिटीज का पता चलता है। वीर्य विश्लेषण में स्पर्म की संख्या, गतिशीलता, रचना, प्रोग्रेसिवह मोटिलिटी जैसे कई सारी चीजोंका परीक्षण किया जाता है। इससे पुरुष की प्रजनन क्षमता का स्टेटस पता चलता है।

पुरुष वन्ध्यत्व समस्या का निदान एवं इलाज के लिए आजही मोफत कंसल्टेशन करे।

Free consultation

वीर्य की जांच को मुख्य तीन रूप में मापा जाता है :

  1. स्पर्म मोटिलिटी (शुक्राणु की गतिशीलता)
  2. स्पर्म मॉर्फोलॉजी (शुक्राणुओं का आकर और रचना)
  3. स्पर्म काउंट (शुक्राणुओं की संख्या)

सीमेन एनालिसिस टेस्ट किसकी की जाती है?

  • यदि आप और आपका साथी गर्भधारण नहीं कर पा रहे है
  • जिन पुरुषो में वैसेक्टोमी सर्जरी हुई हो

सीमेन एनालिसिस टेस्ट क्यों होती है?

  1. पुरुष प्रजनन क्षमता में कमी की जाँच करने के लिए : जब किसी दम्पत्ति को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है तब इन्फर्टिलिटी समस्या का निदान करने के लिए पुरुष की सीमेन एनालिसिस टेस्ट की जाती है। इसमें स्पर्म्स अब्नोर्मलिटी, स्पर्म्स मोटिलिटी, स्पर्म्स मोबिलिटी, स्पर्म्स लो काउंट, स्पर्म्स प्रोडक्शन, स्पर्म कॉन्सन्ट्रेशन, स्पर्म प्रोग्रेशन, सीमेन लिक्विफिकेशन, सीमेन वॉल्यूम, pH वैल्यू, सीमेन अपीयरेंस, सीमेन में स्पर्म्स की मौजूदगी, स्पर्म्स की रचना, गतिशीलता ऐसी सारी चीजों की जाँच की जाती है।
  2. सीमेन वॉश के बाद क्या इम्प्रूवमेंट होती है ये देखने के लिए : density gradient और swim-up method के जरिये स्पर्म वॉशिंग करने के बाद स्पर्म्स की मोटिलिटी और मोटाइल फ्रैक्शन में क्या सुधर आता है ये देखने के लिए भी सीमेन एनालिसिस किया जाता है।
  3. IUI किया जाये की IVF यह तय  करने के लिए : सीमेन वॉश के जरिये IUI या फिर IVF ट्रीटमेंट से सफलता मिलेगी ये तय करने के लिए भी सीमेन एनालिसिस किया जाता है। १६ दशलक्ष स्पर्म काउंट है तो IUI सक्सेस होने के चांसेस ज्यादा होते है। अगर स्पर्म काउंट १२-१४ दशलक्ष के बिच में है तब भी IUI ट्रीटमेंट में सफलता मिल सकती है। लेकिन अगर स्पर्म काउंट लगभग १००० या फिर उसके आसपास हो तो IUI  नहीं किया जा सकता ; ऐसे केसेस में IVF का सुझाव दिया जाता है।
  4. सीमेन एनालिसिस में सीमेन में इन्फेक्शन्स देखा जाता है। पस सेल्स और ब्लड सेल्स की मौजूदगी सीमेन में इन्फेक्शन्स दर्शाती है।

सीमेन एनालिसिस टेस्ट कैसे की जाती है ?

सीमेन एनालिसिस लैब में २ तरीको से किया जाता है :

  1. फिज़िकल एक्ज़ामिनेशन (Physical Examination) : सीमेन वॉल्यूम, कलर, लिक्विफिकेशन टाइम, पीएच, फ्रुक्टोज़ (स्पर्म्स का पोषण करनेवाला घटक), WBC ये चीजों का परिक्षण किया जाता है।
  2. माइक्रोस्कोपिक टेस्ट (Microscopic Test) : माइक्रोस्कोप की मदत से स्पर्म मोटिलिटी, स्पर्म मॉर्फोलॉजी, स्पर्म व्हिटॅलिटी और स्पर्म काउंट देखा जाता है।

सीमेन एनालिसिस टेस्ट में की जानेवाली जाँच

१) स्पर्म मोटिलिटी (Sperm Motility) : ओवुम फर्टाइल करने हेतु जिस गति से शुक्राणु फेलोपियन ट्यूब तक का सफर तय करते है उसे स्पर्म मोटिलिटी कहा जाता है। यदि स्पर्म मोटिलिटी कम है, तो शुक्राणु अपनी यात्रा पूरी नहीं कर सकता और गर्भधारण समस्या निर्माण होती है। नार्मल मोटिलिटी ५०% होती है।

सीमेन एनालिसिस में ३ प्रकार के मोटिलिटी की जाँच की जाती है :

A. प्रोग्रेसिव्ह मोटिलिटी मतलब फ़ास्ट फॉरवर्ड या आगे जानेवाली मुव्हमेंट। क्या शुक्राणु एक सीधी दिशा में यात्रा कर रहे हैं, एक गोलाकार गति में घूम रहे हैं, या ज़िगज़ैग तरीके से आगे की ओर यात्रा कर रहे हैं ये माइक्रोस्कोप के जरिये देखा जाता है।
B. नॉन प्रोग्रेसिव्ह मोटिलिटी इसमें शुक्राणु गतिशील तो होता है लेकिन आगे नहीं बढ़ पाता है। एक जगह कंपन करता है।
C. इमोटाईल स्पर्मइसमें शुक्राणु बिल्कुल नहीं हिलते। कुछ या सभी शुक्राणु गतिहीन हो सकते हैं। इसे अचल शुक्राणु भी कहा जाता है।
स्पर्म मोटिलिटी के प्रकार

२) स्पर्म मॉर्फोलॉजी (Sperm Morphology) : मॉर्फोलॉजी यानि की आकृति विज्ञान। स्पर्म बनते समय कोई गड़बड़ी होती है, तो शुक्राणु का आकार सामान्य शुक्राणु से अलग होता है। स्पर्म मॉर्फोलॉजी में स्पर्म का हेड, नेक और टेल की जाँच की जाती है।

A. स्पर्म हेडस्पर्म हेड में न्यूक्लियस और डी.एन.ए. होते है। हेड के आगे एक्रोसोमल कैप होती है; जिसकी सहायता से स्पर्म ovum के अंदर प्रवेश कर पाता है। मॅक्रोसेफली (बड़ा सिर), माइक्रोसेफली (छोटा सिर), पिनहेड, टॅपर्ड हेड (पतला सिर), ग्लोबोज़ोस्पर्मिया (गोल शुक्राणु), बिना सिर वाला शुक्राणु ऐसी स्पर्म हेड एब्नॉर्मलिटीज इन्फर्टिलिटी का कारन होती है।
B. नेक अबनॉर्मलीटीजनेक में मेट्रोकोर्डिया होता है जो स्पर्म बैटरी की तरह काम करता है। नेक का हेड में होना, बेंडेड नेक होना, पतली नेक होनेसे स्पर्म अपना कार्य नहीं कर पाता।
C. टेल अबनॉर्मलीटीजकर्व्ह टेल, स्टंप टेल, ड्युप्लिकेट टेल, मल्टिपल टेल जैसी एबनॉर्मलिटीज से स्पर्म मोटिलिटी कम हो जाती है।
स्पर्म मॉर्फोलॉजी के प्रकार

३) स्पर्म काउंट (Sperm Count) : प्रति मिलीलीटर वीर्य के नमूने में शुक्राणुओं की संख्या कितनी है इसको स्पर्म काउंट कहते है। शुक्राणु की ज्यादा संख्या से कन्सीविंग चांसेस ज्यादा होते है। लेकिन केवल संख्या ज्यादा होना काफी नहीं है, मोटिलिटी अच्छी होना जरुरी होता है। क्युकी कुछ केसेस में स्पर्म काउंट कम होता है लेकिन मोटिलिटी अच्छी होने से कंसीव कर जाते है।

एबनॉर्मल सीमेन एनालिसिस रिपोर्ट का मतलब क्या है ?

  • सीमेन एनालिसिस रिपोर्ट में स्पर्म मोटिलिटी और स्पर्म काउंट WHO ने बताये हुए पैरामीटर्स से अगर कम है तो, स्पर्म्स फर्टिलाइज़ेशन साइट तक नहीं पहुँच पाते। ऐसे पुरुष नैचुरल कंसेप्शन नहीं कर पाते।
  • अगर सीमेन अपीयरेंस नार्मल नहीं है तो इन्फेक्शन्स होने की सम्भावना होती है जिससे गर्भधारण में दिक्कत आती है।
  • अगर आपके रिपोर्ट में अब्नोर्मलिटीज है और ट्रीटमेंट जरुरी है; तब  प्रॉपर रीप्रोडक्टीव्ह मेडिसिन एक्सपर्ट्स की सलाह लेनी चाहिए। साथ ही एक ऐसे सेंटर में ट्रीटमेंट लेनी चाहिए जहा एडवांस्ड स्पर्म सिलेक्शन और एडवांस्ड रिट्राइव्हल टेक्निक्स मौजूद हो।

अबनॉर्मल सीमेन एनालिसिस रिपोर्ट के लिए ट्रीटमेंट:

  1. IUI : इंट्रा यूटेरियन इनसेमिनेशन। अगर स्पर्म मोटिलिटी कम है तो, स्पर्म की यात्रा का अंतर कम यानि की आधा किया जाता है। इससे ओवुम तक पहुंचनेवाली स्पर्म्स की संख्या ज्यादा हो जाती है और कंसेप्शन के चांसेस बढ़ जाते है। IUI की मदत से स्पर्म्स गर्भाशय के अंदर फैलोपियन ट्यूब्ज़ के नजदीक डाले जाते है।
    • १६ मिलियन स्पर्म काउंट है तो IUI ट्रीटमेंट सक्सेसफुल रहती है। १२-१४ मिलियन स्पर्म काउंट है तब भी IUI सफल होने के चांसेस रहते है। लेकिन अगर स्पर्म काउंट हजारो की संख्या में है तो IUI ट्रीटमेंट फायदेमंद नहीं हो सकती।
  2. IVF : इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन। इस प्रक्रिया में ओवुम और स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज किया जाता है और बना हुआ गर्भ महिला के यूटेरस में ट्रांसफर किया जाता है।
    • प्रोग्रेसिव्ह मोटिलिटी मतलब फ़ास्ट फ़ॉरवर्डली आगे जानेवाली मुव्हमेंट; प्रोग्रेसिव्ह मोटिलिटी जितनी कम है उतना IVF ट्रीटमेंट बेटर ऑप्शन होता है।
    • एज़ूस्पर्मिया यानि की सीमेन में स्पर्म्स का नहीं होना या ज़ीरो स्पर्म काउंट। ऑब्स्ट्रक्टिव्ह एज़ूस्पर्मिया के केसेस में TESA/PESA/TESE/MICRO-TESE प्रक्रिया से स्पर्म सर्जिकली रिट्राइव्ह किये गए है तो IVF किया जाता है।
    • अगर स्पर्म की खुद से फर्टिलाइज़ेशन की क्षमता कम है तो IVF ये एक ही पर्याय से उपचार किया जा सकता है।
    • अगर स्पर्म फंक्शन टेस्ट में एब्नॉर्मलिटीज है; यानि की ‘‘फर्टिलाइज़ेशन पोटेंशियल” कम है तब IUI नहीं किया जा सकता। ऐसे केसेस में IVF अच्छा ट्रीटमेंट ऑप्शन होता है।
    • सीमेन एनालिसिस रिपोर्ट के साथ महिला पार्टनर में एंडोमेट्रिओसिस, ब्लॉक्ड फेलोपियन ट्यूब्ज़, फाइब्रॉइड्स या और कोई समस्याएँ मौजूद है तब IVF बेटर ऑप्शन होता है।
  3. मेडिकेशन्स : सीमेन एनालिसिस रिपोर्ट में अगर स्पर्म पैरामीटर्स बॉर्डरलाइन रेंज में है; तब दवाइयों से उन्हें इम्प्रूव्ह करने का प्रयास किया जाता है।
  4. लाइफस्टाइल : पुरुषों में शुक्राणु बनाने का कार्य निरंतर होता रहता है। स्पर्म की बेचेस तैयार होती रहती है। इसलिए डेली लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन पर ध्यान देना फायदेमंद होता है। इसमें डाएट, एक्सरसाइज, एडिक्शंस से दूर रहना, टॉक्सिक एन्वायरन्मेंट से बचना ; इन सभी चीजोंसे स्पर्म क्वालिटी इम्प्रूव्ह हो सकती है।

नार्मल रेंज क्या होती है?

नार्मल सीमेन पैरामीटर्स होनेवाले पुरुष गर्भधारण के लिए सक्षम होते है।

मॉर्फोलॉजि (Morfology)४ % से अधिक : शुक्राणु का आकार और आकारमान देखना
मोटिलिटी (Motility)५०% से अधिक : शुक्राणु की स्त्रीबीज की ओर तैरने की क्षमता देखना
प्रोग्रेसिव्ह मोटिलीटी २५% से अधिक : मतलब फ़ास्ट फॉरवर्ड या आगे जानेवाली मुव्हमेंट
PH व्हॅल्यू7.२ – ७.८ : सीमेन ज्यादा आम्लिक (acidic) है क्या ये देखना
सीमेन वॉल्यूम२ ml से अधिक : सैंपल में वीर्य की मात्रा (मिलीमीटर में) देखना
लिक्विफिकेशन (Liquification)१५-३० मिनट के अंदर :  सीमेन अपने चिपचिपे स्वरुप से द्रव में कितनी जल्दी बदलता है, ये देखना
स्पर्म काउंट (Sperm Count)२० दशलक्ष से २०० दशलक्ष प्रति मिलीलीटर : शुक्राणुओं की संख्या देखना
सीमेन अपिअरन्स (Semen Appearance)वीर्य का सामान्य रूप सफेद और अपारदर्शी होता है।
व्हाइट ब्लड सेल्स/ पस सेल्सइन्फेक्शन्स या सूजन का संकेत
नार्मल सीमेन पैरामीटर्स

सीमेन पैरामीटर्स

वीर्य की मात्रा (semen volume)>१.५ ml : नमूने में वीर्य की मात्रा (मिलीमीटर में) देखना
पीएच वैल्यू (pH value)>७.२ : क्या वीर्य बहुत अम्लीय है, जो शुक्राणु स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है? ये देखना
शुक्राणु एकाग्रता (Semen Concentration)>१५  मिलियन/मिलीलीटर : प्रति मिलीमीटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या देखना
कुल शुक्राणुओं की संख्या (Total sperm count)>३९ मिलियन/एज्यक्युलेट
पर्सेंटेज मोटिलिटी (percentage motiliti)>४० %
आगे की प्रगति (Forward progression)>३२ %
सामान्य रूप (Normal forms)>४ %
जीवन शक्ति/व्हिटॅलिटी (Vitality)>५८ % : सैंपल में जीवित शुक्राणुओं का प्रमाण देखना
ल्यूकोसाइट्स  (Leukocytes)>१ मिलियन/मिलीलीटर : जननांग संक्रमण का प्रमाण देखना
नॉन प्रोग्रेसिव्ह और प्रोग्रेसिव्ह मोटिलिटी (addition)>३२%
स्पर्म व्हिटॅलिटी (Sperm Vitality)>५८% : जीवित शुक्राणुओं (spermatozoa) की मात्रा देखना
टोटल मोटिलिटी (Total Motility)>४०%
मॉर्फोलॉजी >४%
Source: WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन) ने २०१० में दिए हुए सीमेन पैरामीटर्स

सीमेन एनालिसिस के जरिए शुक्राणु समस्या पहचाने और सही इलाज करे। आजही संपर्क करे।

Free consultation

सीमेन कलेक्शन में कौनसी खबरदारी लेना जरुरी है?

  • जिन सीमेन एनालिसिस रिपोर्ट के आधार पर आगे का ट्रीटमेंट प्लान किया जानेवाला है; वो रिपोर्ट्स स्टैण्डर्ड लैब से करवाने चाहिए।
  • सीमेन सैंपल कलेक्ट करने के कुछ दिन पहले पुरुष को अल्कोहोल सेवन या आदि व्यसन नहीं करने चाहिए।
  • चाय, कॉफ़ी, कैफीन, भांग जैसी चीजों का सेवन न करे।
  • इसके लावा २-८ दिन पहले एज्यक्युलेट नहीं करे और सेक्स्युअल इंटरकोर्स नहीं करने की सलाह डॉक्टर्स देते है।
  • सीमेन कलेक्शन लैब के नजदीक ही करना सही होता है।
  • अगर आप कोई हार्मोनल दवाइयाँ या अन्य दवाइयों का सेवन करते है तो आपके डॉक्टर को बताये।
  • मास्टरबेशन से सीमेन कलेक्ट नहीं हुआ तो इंटरकोर्स से सीमेन कलेक्ट किया जाता है। या फिर विद्युत् उपकरणों द्वारा भी सीमेन सैंपल लिया जा सकता है।
  • आम तोर पर घर से सैंपल लाने की अनुमति डॉक्टर्स नहीं देते है।
  • घर से सीमेन सैंपल कलेक्ट किया जाए तो उसे रूम टेम्परेचर पर रखना होता है और अगले ४५ मिनट के अंदर लैब में टेस्ट के लिए पहुंचना जरुरी होता है।
  • सीमेन अधिक ठन्डे या अधिक गर्म टेम्परेचर में रखा जाए या कलेक्ट किया हुआ सैंपल १ घंटे के बाद टेस्ट करवाया जाए तो रिपोर्ट गलत हो सकते है।
  • अगर सीमेन किसी शुक्राणु नाशको के (spermicides) संपर्क में आ गए तब भी रिज़ल्ट में बदलाव हो सकता है।
  • सीमेन सैंपल दूषित हो तो रिज़ल्ट पर प्रभाव पड़ता है।  इसलिए घर से सैंपल लाने के अनुमति डॉक्टर्स नहीं देते।
  • बीमार या तनावग्रस्त स्थिति में सैंपल कलेक्ट नहीं किया जाता।

FAQ

१) शुक्राणु कैसे बनते है?

जवाब : जब शुक्राणु का उत्पादन होता है, तो शुरुआती शुक्राणु अन्य कोशिकाओं (cells) की तरह दिखते हैं। उसके बाद एक्रोसोमल, सिर (Head), गर्दन (Neck), पूंछ (Tail) जैसे हिस्से विकसित होते हैं। इस प्रकार, यदि शुक्राणु निर्माण के दौरान कोई गड़बड़ी होती है, तो शुक्राणु का आकार सामान्य शुक्राणु से अलग होता है। 

२) सीमेन एनालिसिस से कौनसी स्पर्म अब्नोर्मलिटीज पता चलती है ?

जवाब : १)एस्पर्मिया २)हायपोस्पर्मिया ३)एज़ूस्पर्मिया ४)ऑलिगोजूस्पर्मिया ५)अस्थेनोझूस्पर्मिया ६)टेराटोज़ूस्पर्मिया ७)ऑलिगोअस्थेनोटेराटोज़ूस्पर्मिया ८)ल्यूकोसाइटोस्पर्मिया ९)नेकरोज़ूस्पर्मिया ये सारी स्पर्म एबीनॉर्मलिटीज सीमेन एनालिसिस टेस्ट से पता चलती है।

Subscribe To Our Newsletter

Get updates and learn from the best

More To Explore

Ovarian Follicle And Its Role in Fertility

Ovarian follicles are tiny sacs full of fluid, located inside a woman’s ovaries. They secrete hormones that impact different stages of the menstrual cycle. Ovarian follicles have the ability to release an egg every month for fertilization.

पुरुष वंध्यत्वाचे एक कारण : वेरिकोसिल

वेरिकोसिल म्हणजे पुरुषांच्या टेस्टिक्युलरमधील एका किंवा दोन्ही अंडकोषातील नसा वाढतात. हि स्थिती प्रामुख्याने पुरुषांचे फर्टिलिटी परिणाम बिघडवते. बाळ होण्यात अडचणी येऊ शकतात. पण चिंता करण्याचे कारण नाही. सर्जिकल उपचार, नॉन सर्जिकल उपचार आणि आधुनिक फर्टिलिटी उपचारांनी गर्भधारणा शक्य आहे.