पीसीओडी के मुख्य कारण, लक्षण और योग्य उपचार

आम भाषा में समझे तो PCOD (पीसीओडी) ये महिलाओं में आज कल होने वाली एक कॉमन समस्या है जो मुख्य रूप से हॉर्मोनल असंतुलन का कारण होती है।  इसके परिणामस्वरूप महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) का उत्पादन बढ़ जाता है और अंडाशय में सिस्ट बनने लगते है। जिससे महिलाओ में मुख्यता irregular periods यानी अनियमित माहवारी के लक्षण दिखने लगते हैं।

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सारांश : लेख का उद्देश्य PCOD और PCOS के बीच अंतर को समझना है। PCOD का कारण क्या है और किन लक्षणों के दिखाई देनेपर PCOD की जांच और उपचार की आवश्यकता होती है यह भी जाने। हालाँकि PCOD का सटीक निदान नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करना ज़रूरी है। क्योंकि अनुपचारित PCOD कई शारीरिक बीमारियों का कारण बन सकता है।

आम भाषा में समझे तो PCOD (पीसीओडी) ये महिलाओं में आज कल होने वाली एक कॉमन समस्या है जो मुख्य रूप से हॉर्मोनल असंतुलन का कारण होती है। 

इसके परिणामस्वरूप महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) का उत्पादन बढ़ जाता है और अंडाशय में सिस्ट बनने लगते है। जिससे महिलाओ में मुख्यता irregular periods यानी अनियमित माहवारी के लक्षण दिखने लगते हैं।

“प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर के चीफ फर्टिलिटी कंसलटेंट डॉ.नरहरी मलगावकर बताते है की PCOD के लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, लम्बे दर्दभरे पीरियड्स, मुंहासे, पेल्विक दर्द, आवेरियन सिस्ट, चेहरे पर अनचाहे बाल आना इसी के साथ, इनफर्टिलिटी भी हो सकती है। चिंता की बात नहीं, सही समय पर जांच, योग्य औषध और उपचार के साथ पीसीओडी की समस्या पर नियंत्रण लाया जा सकता है।”

PCOD किसे और कब होता है?

PCOD कि समस्या सामान्यता 18-44 वर्ष की 5 से 10% महिलाओ में देखी जाती है। मुख्यता तब, जब महिलाएं फर्टिलिटी दौर से गुजर रही हो। अधिकांश महिलाओं को जब गर्भवती होने में किसी प्रकार की समस्या आती है तब पता चलता है के उन्हें पीसीओडी की समस्या है। 

इसलिए पीरियड्स और बढ़ती उम्र के साथ डॉक्टर से अपने रेगुलर चेकअप जरुर कराये।

PCOD वंशानुगत है, यानि अगर आपकी मां, बहन या मौसी को पीसीओडी की समस्या हो तो आपको पीसीओडी होने की संभावना अधिक है।

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PCOD के लक्षण

  • माहवारी की समस्याएं: पीसीओडी का मुख्य लक्षण ऑलिगोमेनोरिया (एक वर्ष में 9 पीरियड्स से कम आना) या एमेनोरिया (लगातार 3 या अधिक महीनों तक पीरियड नहीं आना) माना जाता है। हालांकि मासिक धर्म से जुड़ी अन्य समस्याएं जैसे अनियमित पीरियड्स या लम्बे दर्दभरे पीरियड्स भी इसका लक्षण हो सकते है। 
  • इनफर्टिलिटी: PCOD महिलाओं में इनफर्टिलिटी के मुख्य लक्षणों में से एक है। पीरियड्स का अनियमित होना जिस कारण ओवुलेशन सिस्ट बनकर महिलाओ में इनफर्टिलिटी की समस्या होती है।
  • शरीर पर एक्स्ट्रा बाल आना: PCOD की समसस्या  के दौरान महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) का उत्पादन बढ़ जाता है, जिस कारण मुँहासो के साथ-साथ चेहरे व शरीर पर अनचाहे बाल उगने लगते है साथ ही बालों का पतला होना या झड़ना भी कुछ अन्य लक्षण है।
  • वजन का बढ़ना: पीसीओडी के साथ महिलाओं में सीरम इंसुलिन, इंसुलिन प्रतिरोध और होमोसिस्टीन की मात्रा भी बढ़ जाती है जो वजन की मौलिक समस्याओं की ओर इशारा करता है। जिसकारण पीसीओएस (PCOS) के साथ महिलाओं को वजन की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • इसी के साथ अन्य लक्षण जैसे: 
    • श्रोणि में दर्द होना
    • ब्लड प्रेशर बढ़ना
    • नींद न आना
    • थकान महसूस करना
    • सिर में दर्द होना
    • मूड में अचानक बदलाव आना

PCOD के कारण

 हलाकी PCOD की समस्या कॉमन है इसके हर महिला में अलग कारण हो सकते हैं, जैसे:

  1. इंसुलिन की बढ़ती मात्रा: इंसुलिन की मात्रा बढ़ने पर अधिक एण्ड्रोजन का उत्पादन होता है। यह एक हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है जिससे महिलाओं में इनफर्टिलिटी की संभावना बढ़ती है।
  2. जींस (Genes): PCOD वंशानुगत है, कईबार पीसीओडी महिलाओ को उनके परिवार से मिलता है।
  3. इसी के साथ अन्य कारण जैसे:
    • अस्वस्थ जीवनशैली
    • निष्क्रिय जीवनशैली
    • पोषक तत्वों से भरपूर भोजन न करना
    • Periods में असंतुलन होना
    • शरीर में इंसुलिन की मात्रा अधिक होना
    • सिगरेट और शराब का अत्याधिक सेवन 
    • आनुवंशिक कारण

PCOD के साइड-इफेक्ट्स

समय पर पीसीओडी को नियंत्रित नहीं करने पर अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है। जैसे: 

  • इनफर्टिलिटी 
  • डायबिटीज
  • लीवर की सूजन
  • डिप्रेशन 
  • गर्भाशय से असामान्य रक्तस्राव        
  • एंडोमेट्रियल कैंसर (गर्भाशय के अस्तर का कैंसर)
  • दुर्लभ मामलों में ब्रेस्ट कैंसर होना

  

PCOD के उपचार

पीसीओडी एक हार्मोनल समस्या है, जिस कारण इसका उपचार लंबा चलता है, और डॉक्टर अक्सर पीसीओडी के कारणों के आधार पर उपचार प्रक्रिया का चयन करते हैं।

PCOD के लिए प्राथमिक उपचार में दवाओं के साथ जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं। 

माहवारी की  समस्या को ठीक और ओवुलेशन में सुधार करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं निर्धारित करते हैं। कुछ खास व्यायाम की मदद से वजन कम करने का सुझाव देते हैं।

साथ ही आपके डॉक्टर आपको फाइबर, विटामिन , ओमेगा -3 और -6 फैटी एसिड बढ़ाने के लिए भी कहेंगे। 

मराठीत वाचण्यासाठी ह्या लिंक वर क्लिक करा: PCOD ची मुख्य कारणे, लक्षणे आणि योग्य उपचार | PCOD in Marathi

“प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर के चीफ फर्टिलिटी कंसलटेंट डॉ.नरहरी मलगावकर कहते है – PCOD के सभी मामलों में अल्ट्रासाउंड द्वारा ओवेरियन सिस्ट का पता लगाना जरुरी है पेल्विक अल्ट्रासाउंड एक महत्वपूर्ण डायग्नोसिस है जिससे सही ट्रीटमेंट देने में मदत मिलती है।”

PCOD के कारण व उपचारो के बारे में अधिक जानकारी के लिए ये वीडियो जरूर देखे: https://youtu.be/33XKnMCctho

PCOD से बचाव कैसे करे?

कुछ बातों को ध्यान में रखकर पीसीओडी से बचाव  किया जा सकता है। इसमें मुख्य रूप से:

  • हाई कोलेस्टेरोल, फैट,और कार्बोहाइड्रेट से परहेज करना
  • नियमित रूप से व्यायाम करना
  • समय पर दवाओं का सेवन करना        
  • शराब और सिगरेट से  दूर रहना 
  • वजन का खास ध्यान रखना
  • अधिक तैलीय व मसालेदार चीजों का परहेज करना  शामिल है 

 

सारांश (Conclusion)

ये बात सच है के PCOD का कोई ट्रीटमेंट नहीं है। मगर ये जानना भी जरुरी है के PCOD से प्रभावित हर महिला को प्रेग्नेंसी में दिक्कत नहीं आती। योग्य उपचार और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव कर पीसीओडी की समस्या पर नियंत्रण लाया जा सकता है पर गंभीर समस्याओ में महिलाओ को IVF की जरुरत पड़ सकती है। हार्मोंस को कंट्रोल कर दवाओं के साथ आप आसानी से गर्भ धारण कर सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

पीसीओएस और पीसीओडी में फर्क क्या है?

पीसीओडी पीसीओएस जैसी कोई बीमारी नहीं, जीवनशैली और डाइट में सकारात्मक बदलाव लाकर पीसीओडी की समस्या को नियंत्रण में लाया जा सकता है।  जबकी पीसीओएस एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है जो पीसीओडी से भी ज्यादा गंभीर है।

पीसीओडी क्यों और कैसे होता है?

मुख्य रूप से हार्मोनल असंतुलन के वजह से होता है इस स्तिति में महिला के शरीर में पुरुष हॉर्मोन एण्ड्रोजन (Male Hormone Androgen) का लेवल बढ़ जाता है और अंडाशय में सिस्ट बनने लगते हैं।

क्या पीसीओडी में प्रेग्नेंट हो सकते हैं?

PCOD से प्रभावित हर महिला को प्रेग्नेंसी में दिक्कत नहीं आती। योग्य उपचार और सकारात्मक जीवनशैली में बदलाव कर पीसीओडी की समस्या पर नियंत्रण लाया जा सकता है। हॉर्मोनस को कंट्रोल कर दवाओं के साथ आप आसानी से गर्भ धारण कर सकती हैं।

क्या पीसीओडी में प्रेग्नेंट हो सकते हैं?

PCOD से प्रभावित हर महिला को प्रेग्नेंसी में दिक्कत नहीं आती। योग्य उपचार और सकारात्मक जीवनशैली में बदलाव कर पीसीओडी की समस्या पर नियंत्रण लाया जा सकता है। हॉर्मोनस को कंट्रोल कर दवाओं के साथ आप आसानी से गर्भ धारण कर सकती हैं।

क्या पीसीओडी में प्रेग्नेंट हो सकते हैं?

PCOD से प्रभावित हर महिला को प्रेग्नेंसी में दिक्कत नहीं आती। योग्य उपचार और सकारात्मक जीवनशैली में बदलाव कर पीसीओडी की समस्या पर नियंत्रण लाया जा सकता है। हॉर्मोनस को कंट्रोल कर दवाओं के साथ आप आसानी से गर्भ धारण कर सकती हैं।

क्या पीसीओडी पूरी तरह से ठीक सकता हो जाता है?

ये बात सच है के PCOD का कोई ट्रीटमेंट नहीं है। मगर ये जानना भी जरुरी है के PCOD से प्रभावित हर महिला को प्रेग्नेंसी में दिक्कत नहीं आती।  उपचार पद्धति में जीवनशैली में बदलाव जैसे वजन कम करना और व्यायाम को शामिल किया जा सकता है। इसी के साथ योग्य औषधों से मुँहासे व अनचाहे बाल हटाने में मदत हो सकती है।

पीसीओडी को जड़ से खत्म कैसे करें?

कुछ बातों को ध्यान में रखकर पीसीओडी से बचाव  किया जा सकता है। इसमें मुख्य रूप से:
हाई कोलेस्टेरोल, फैट,और कार्बोहाइड्रेट से परहेज करना
– नियमित रूप से व्यायाम करना
– समय पर दवाओं का सेवन करना        
– शराब और सिगरेट से  दूर रहना 
– वजन का खास ध्यान रखना
– अधिक तैलीय व मसालेदार चीजों का परहेज करना  शामिल है

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