पीसीओडी का क्या मतलब होता है? (PCOD in Hindi | PCOD meaning in Hindi)
PCOD kya hota hai?
Polycystic Ovarian Disease (pcod full form in hindi), आमभाषामेंसमझेतो PCOD (पीसीओडी) येमहिलाओंमेंआजकलहोनेवालीएककॉमनसमस्याहैजोमुख्यरूपसेहॉर्मोनलअसंतुलनकाकारणहोतीहै।
“प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर के चीफ फर्टिलिटी कंसलटेंट डॉ.नरहरी मलगावकर बताते है की PCOD के लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, लम्बे दर्दभरे पीरियड्स, मुंहासे, पेल्विक दर्द, आवेरियन सिस्ट, चेहरे पर अनचाहे बाल आना इसी के साथ, इनफर्टिलिटी भी हो सकती है।चिंता की बात नहीं, सही समय पर जांच, योग्य औषध और उपचार के साथ पीसीओडी की समस्या पर नियंत्रण लाया जा सकता है।”
PCOD किसे और कब होता है? (PCOD kise aur kab hota hai)
PCOD किसमस्यासामान्यता 18-44 वर्षकी 5 से 10% महिलाओमेंदेखीजातीहै।मुख्यतातब, जबमहिलाएं फर्टिलिटीदौरसेगुजररहीहो।अधिकांशमहिलाओंकोजबगर्भवतीहोनेमेंकिसीप्रकारकीसमस्याआतीहैतबपताचलताहैकेउन्हेंपीसीओडीकीसमस्याहै।
पीसीओडी का मुख्य लक्षण ऑलिगोमेनोरिया (एक वर्ष में 9 पीरियड्स से कम आना) या एमेनोरिया (लगातार 3 याअधिकमहीनोंतकपीरियडनहींआना) मानाजाताहै।हालांकिमासिकधर्मसेजुड़ीअन्यसमस्याएंजैसेअनियमितपीरियड्सयालम्बेदर्दभरेपीरियड्सभीइसकालक्षणहोसकतेहै।
PCOD की समसस्या के दौरान महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) का उत्पादन बढ़ जाता है, जिस कारण मुँहासो के साथ-साथ चेहरे व शरीर पर अनचाहे बाल उगने लगते है साथ ही बालों का पतला होना या झड़ना भी कुछ अन्य लक्षण है।
वजन का बढ़ना:
पीसीओडी के साथ महिलाओं में सीरम इंसुलिन, इंसुलिन प्रतिरोध और होमोसिस्टीन की मात्रा भी बढ़ जाती है जो वजन की मौलिक समस्याओं की ओर इशारा करता है। जिसकारण पीसीओएस (PCOS) के साथ महिलाओं को वजन की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इसी के साथ अन्य लक्षण जैसे:
श्रोणि में दर्द होना
ब्लड प्रेशर बढ़ना
नींद न आना
थकान महसूस करना
सिर में दर्द होना
मूड में अचानक बदलाव आना
PCOD के अन्य लक्षणों में गिने जाते है।
PCOD के कारण (Causes of PCOD in Hindi)
हलाकी PCOD की समस्या कॉमन है इसके हर महिला में अलग कारण हो सकते हैं, जैसे:
इंसुलिन की बढ़ती मात्रा:
इंसुलिन की मात्रा बढ़ने पर अधिक एण्ड्रोजन का उत्पादन होता है। यह एक हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है जिससे महिलाओं में इनफर्टिलिटी की संभावना बढ़ती है।
जींस (Genes):
PCOD वंशानुगत है, कईबार पीसीओडी महिलाओ को उनके परिवार से मिलता है।
इसी के साथ अन्य कारण जैसे:
अस्वस्थ जीवनशैली
निष्क्रिय जीवनशैली
पोषक तत्वों से भरपूर भोजन न करना
Periods में असंतुलन होना
शरीर में इंसुलिन की मात्रा अधिक होना
सिगरेट और शराब का अत्याधिक सेवन
आनुवंशिक कारण
PCOD के साइड-इफेक्ट्स (PCOD Side-effects)
समय पर पीसीओडी को नियंत्रित नहीं करने पर अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है। जैसे:
इनफर्टिलिटी
डायबिटीज
लीवर की सूजन
डिप्रेशन
गर्भाशय से असामान्य रक्तस्राव
एंडोमेट्रियल कैंसर (गर्भाशय के अस्तर का कैंसर)
दुर्लभ मामलों में ब्रेस्ट कैंसर होना
PCOD के उपचार (PCOD Treatment in Hindi)
पीसीओडीएकहार्मोनलसमस्याहै, जिस कारणइसकाउपचारलंबाचलताहै, औरडॉक्टरअक्सरपीसीओडीकेकारणों केआधारपरउपचारप्रक्रियाकाचयनकरतेहैं।
“प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर के चीफ फर्टिलिटी कंसलटेंट डॉ.नरहरी मलगावकर कहते है – PCOD के सभी मामलों में अल्ट्रासाउंड द्वारा ओवेरियन सिस्ट का पता लगाना जरुरी है पेल्विक अल्ट्रासाउंड एक महत्वपूर्ण डायग्नोसिस है जिससे सही ट्रीटमेंट देने में मदत मिलती है।”
PCOD से बचाव कैसे करे? (Prevention of PCOD in Hindi)
कुछ बातों को ध्यान में रखकर पीसीओडी से बचाव किया जा सकता है। इसमें मुख्य रूप से:
हाई कोलेस्टेरोल, फैट,और कार्बोहाइड्रेट से परहेज करना
नियमित रूप से व्यायाम करना
समय पर दवाओं का सेवन करना
शराब और सिगरेट से दूर रहना
वजन का खास ध्यान रखना
अधिक तैलीय व मसालेदार चीजों का परहेज करना शामिल है
सारांश (Conclusion)
ये बात सच है के PCOD का कोई ट्रीटमेंट नहीं है। मगर ये जानना भी जरुरी है के PCOD से प्रभावित हर महिला को प्रेग्नेंसी में दिक्कत नहीं आती। योग्य उपचार और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव कर पीसीओडी की समस्या पर नियंत्रण लाया जा सकता है पर गंभीर समस्याओ में महिलाओ को IVFकी जरुरत पड़ सकती है। हार्मोंस को कंट्रोल कर दवाओं के साथ आप आसानी से गर्भ धारण कर सकती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
पीसीओएस और पीसीओडी में फर्क क्या है? (PCOD aur PCOS me fark kya hai?)
पीसीओडी पीसीओएस जैसी कोई बीमारी नहीं, जीवनशैली और डाइट में सकारात्मक बदलाव लाकर पीसीओडी की समस्या को नियंत्रण में लाया जा सकता है। जबकी पीसीओएस एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है जो पीसीओडी से भी ज्यादा गंभीर है।
पीसीओडी क्यों और कैसे होता है? (PCOD kyu aur kaise hota hai?)
मुख्य रूप से हार्मोनल असंतुलन के वजह से होता है इस स्तिति में महिला के शरीर में पुरुष हॉर्मोन एण्ड्रोजन (Male Hormone Androgen) का लेवल बढ़ जाता है और अंडाशय में सिस्ट बनने लगते हैं।
क्या पीसीओडी में प्रेग्नेंट हो सकते हैं? (Kya PCOD me pregnant ho sakte hai?)
PCOD से प्रभावित हर महिला को प्रेग्नेंसी में दिक्कत नहीं आती। योग्य उपचार और सकारात्मक जीवनशैली में बदलाव कर पीसीओडी की समस्या पर नियंत्रण लाया जा सकता है। हॉर्मोनस को कंट्रोल कर दवाओं के साथ आप आसानी से गर्भ धारण कर सकती हैं।
क्या पीसीओडी पूरी तरह से ठीक सकता हो जाता है? (Kya PCOD puri tarah se thik ho sakta hai)
ये बात सच है के PCOD का कोई ट्रीटमेंट नहीं है। मगर ये जानना भी जरुरी है के PCOD से प्रभावित हर महिला को प्रेग्नेंसी में दिक्कत नहीं आती। उपचार पद्धति में जीवनशैली में बदलाव जैसे वजन कम करना और व्यायाम को शामिल किया जा सकता है। इसी के साथ योग्य औषधों से मुँहासे व अनचाहे बाल हटाने में मदत हो सकती है।
पीसीओडी को जड़ से खत्म कैसे करें? (PCOD ko jad se khatam kese kare?)
कुछ बातों को ध्यान में रखकर पीसीओडी से बचाव किया जा सकता है। इसमें मुख्य रूप से:
हाई कोलेस्टेरोल, फैट,और कार्बोहाइड्रेट से परहेज करना
नियमित रूप से व्यायाम करना
समय पर दवाओं का सेवन करना
शराब और सिगरेट से दूर रहना
वजन का खास ध्यान रखना
अधिक तैलीय व मसालेदार चीजों का परहेज करना शामिल है
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