प्रेग्नेंसी का सही समय, जानिए ओवुलेशन पीरियड क्या है?

क्या आप जानती है मासिक धर्म से पहले और बाद के कुछ ऐसे दिन होते है जब कोशिश करने से आपके गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ जाती है। इन्ही दिनों को मेडिकल भाषा में ओवुलेशन या ओवुलेशन पीरियड कहा जाता है। इसीलिए यदि आप गर्भधारण की समस्याओं से गुजर रही है तो ओवुलेशन के बारे में जानकारी होना जल्द से जल्द गर्भधारण में आपकी मदत कर सकता है।  

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सारांश : हर फर्टिलिटी समस्या का इलाज IVF नहीं होता। कुछ प्रायमरी केसेस में ओवुलेशन मॉनिटरिंग के जरिए उपचार करनेपर गर्भधारण हो सकता है। या फिर घरपर ओवुलेशन कॅल्क्युलेटर का इस्तमाल कर सही समय पर गर्भधारण किया जा सकता है। इस बात को ध्यान रखते हुए ओवुलेशन क्या है, ओवुलेशन प्रक्रिया और ओवुलेशन ट्रैकिंग तकनीक को समझना इस लेख का उद्दिष्ट्या है।

ओवुलेशन क्या होता है?

प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन का एक खास एहसास है, और यदि आप माँ बनने के बारे में सोच रही है तो आपको मासिक धर्म, ओवुलेशन और आपके गर्भधारण से जुडी चीज़ो को समझना जरुरी है। क्या आप जानती है मासिक धर्म से पहले और बाद के कुछ ऐसे दिन होते है जब कोशिश करने से आपके गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ जाती है। इन्ही दिनों को मेडिकल भाषा में ओवुलेशन या ओवुलेशन पीरियड कहा जाता है। इसीलिए यदि आप गर्भधारण की समस्याओं से गुजर रही है तो ओवुलेशन के बारे में जानकारी होना जल्द से जल्द गर्भधारण में आपकी मदत कर सकता है।  

ये तो हम सब जानते है के मासिक धर्म के दौरान महिला के अंडाशय में कई अंडे बनते है, पर उनमे से एक ही स्वस्थ विकसित अंडा अंडाशय से रिलीज़ होता है। इसी एग रिलीज़ की प्रक्रिया को मेडिकल भाषा में ओवुलेशन कहा जाता है। 

ओवुलेशन मासिक धर्म की एक जरुरी प्रक्रिया है जो फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा देती है। क्योंकि जब एग्ज अंडाशय से निकलकर फॉलोपियन ट्यूब में जायेगा तब ही तो शुक्राणु के साथ उसका मिलन हो पायेगा। इसी वजह से यदि कोई महिला गर्भधारण की कोशिश कर रही हो तो उसे ओवुलेशन के दौरान प्रयास करने के लिए कहा जाता है।  क्योंकि इस समय प्रयास करने से कंसीव करने के चान्सेस कई गुना बढ़ जाते है।   

ओवुलेशन प्रक्रिया:

ओवुलेशन प्रक्रिया दो हिस्से में होती है। 

  1. फॉलिक्युलर फेज (Follicular Phase) : पिछले मासिक धर्म का अवधि (Last Menstrual Period – LMP) से लेकर ओवुलेशन तक का समय यानि फॉलिक्युलर फेज। फॉलिक्युलर फेज से ओवुलेशन प्रोसेस शुरू होती है। जिसमे ओव्हरीज मच्यूअर एग्ज रिलीज करती है। अवधि: मासिक धर्म से 10 से 14 दिन (यदि मासिक धर्म चक्र 28 दिन का हो)
  2. ओवुलेटरी फेज (Ovulatory Phase) : इस फेज में एग फैलोपियन ट्यूब में रहता है। इस दौरान स्पर्म और एग का फर्टिलाइज़ेशन होकर गर्भाधान होता है। 
  3. ल्यूटल फेज (Lutal Phase) : मासिक धर्म चक्र के दूसरे भाग को ल्यूटियल चरण कहा जाता है। ओव्यूलेशन से मासिक धर्म तक का चरण ल्यूटियल चरण है। इस दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन होता है। जिसका उपयोग कर गर्भाशय के अंदर की परत बनती है। अवधि: मासिक धर्म से 21 से 28 दिन (यदि मासिक धर्म चक्र 28 दिन का है)

ओवुलेशन कब होता है?

महिला के मासिक धर्म चक्र के अनुसार हर महिला का ओवुलेशन काल अलग अलग हो सकता है। जैसे की :

28 दिन का मासिक धर्म चक्रओव्यूलेशन दिन 14 वां और सर्वोत्तम प्रजनन कालावधी 12 वां, 13 वां और 14 वां दिन।
35 दिन का मासिक धर्म चक्रओव्यूलेशन का 21 वां दिन और सबसे अच्छा प्रजनन कालावधी 19 वां, 20 वां और 21 वां दिन।
21 दिन का मासिक धर्म चक्रओव्यूलेशन दिन 7 और सर्वोत्तम प्रजनन कालावधी 5, 6 और 7।
40 दिन का मासिक धर्म चक्रओव्यूलेशन का 26 वां दिन और सबसे अच्छा प्रजनन कालावधी 24 वां, 25 वां और 26 वां दिन।
ओवुलेशन कब होता है?

ओवुलेशन काल को कैसे पहचाने?

ओव्यूलेशन को ट्रैक करने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे की :

  1. मासिक धर्म चक्र : ओव्यूलेशन दिवस” ​​प्राप्त करने के लिए अपने मासिक धर्म चक्र के दिनों की संख्या से 14 घटाएं। आपका ओवुलेशन डे और उसके पहले के २ दिन को मिलाकर आपका ओवुलेशन पीरिएड होता है। इसे ओवुलेशन विंडो भी कहा जाता है। 
  2. ओवुलेशन प्रेडिक्टर किट : यह HCG टेस्ट की तरह ही होता है। आइए जानते हैं इस किट का इस्तेमाल कैसे करना है। किट में दी गई पट्टी पर ही मूत्र त्याग करना चाहिए। इस समय मूत्र में एलएच हार्मोन (ल्यूटेनाइजिंग हार्मोन) होने की संभावना होती है। ओव्यूलेशन की प्रक्रिया में हमने देखा है कि ओव्यूलेशन से पहले एलएच स्तर बढ़ जाता है। एक सकारात्मक परीक्षण का मतलब है कि आप ओव्यूलेट करने वाले हैं। आप सकारात्मक परीक्षण के 36 घंटों के भीतर कभी भी ओव्यूलेट कर सकते हैं।
  3. ओव्यूलेशन कैलेंडर : इस विधि में सबसे लंबी मासिक धर्म अवधि और सबसे छोटी अवधि 6 महीने का उपयोग किया जाता है। समीकरण : सबसे लंबी अवधि कितने दिनों की थी; इस संख्या में से 11 घटा देना है। सबसे छोटा मासिक धर्म कितने दिनों का है; इस संख्या में से १८ को घटा देना है।
  4. बेसल बॉडी टेम्परेचर : प्रतिदिन बिस्तर से उठने के बाद, कुछ खाने-पीने से पहले एक डिजिटल थर्मामीटर की मदद से अपने शरीर का बेसल तापमान मापें। ओव्यूलेशन के दौरान शरीर का तापमान बढ़ जाता है। लेकिन ये तरीका बहुत सटीक नहीं है। इसके साथ अन्य तरीकों का भी प्रयोग करना उचित है।

इर्रेगुलर पीरियड्स और इरेग्युलर ओवुलेशन  

आपके पीरियड्स और ओवुलेशन एक दूसरे पर निर्भर है। इसीलिए यदि पीरियड्स इर्रेगुलर है तो ओवुलेशन का अनियमित होना स्वाभाविक है। इन केसेस में अक्सर पहले पीरियड्स को रेगुलर करने पर ध्यान दिया जाता है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर जीवनशैली और खान-पान में सकारात्मक बदलाव लाने का सुझाव देते हैं।

पीरियड के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है?

ओवुलेशन कितने दिन में होता है? पीरियडस से करीबन १३ -१५  दिन पहले ओवुलेशन होता है। परंतु मासिक धर्म की तरह ही ये समय हर महिला के लिए अलग होता है। यदि आप ओवुलेशन के दिन के बारे में जानना चाहती है तो उदहारण के लिए यदि आपका मासिक चक्र २८ दिनों का है, तो ओवुलेशन पीरियड्स के बाद १४ वें दिन के आसपास होगा जिन दिनों में आप सबसे ज्यादा फर्टाइल होंगी। 

ओवुलेशन कितने समय तक होता है?

आपके शरीर की फर्टाइल विंडो ओवुलेशन के लगभग ५ दिन पहले से आरंभ होती है और ओवुलेशन के १२ से ४८ घंटों के बाद समाप्त हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अक्सर शुक्राणु महिला के शरीर में ४-५  दिनों तक जीवित रह सकता है, जबकि ओवुलेशन के बाद अंडा २४ घंटे से भी कम समय तक जीवित रहता है।  इसीलिए आपके ओवुलेशन पीरियड को कैलकुलेट कर कंसीव करने की सलाह दी जाती है। 

Ovulation के लक्षण

ओवुलेशन के कुछ ऐसे लक्षण है जो आपको इस स्तिथी के संकेत देते है। जैसे:

  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।  
  • बेसल बॉडी टेम्प्रेचर में परिवर्तन होना। 
  • सरविकल म्यूकस में बदलाव आना।  
  • सरविकल म्यूकस का अंडे की सफेदी के समान पतला, चिकना और स्पष्ट होना।  
  • सर्विक्स का कोमल होकर खुल जाना।  
  • मूड स्विंग्स होना।  
  • फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (FSH) और LH में वृद्धि होना। 
  • सिर में दर्द होना। 
  • स्तनों में संवेदनशीलता महसूस होना। 
  • लीबिड़ो में परिवर्तन होना।  

ओवुलेशन के बाद किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए 

ओवुलेशन के बाद, फर्टाइल विंडो आमतौर पर लगभग १२-२४ घंटों तक रहती है और यदि आप इन चीज़ो का ध्यान रखे तो ओवुलेशन के बाद गर्भवती होने में आपको जरूर मदत मिलेगी।

  • अपने मासिक धर्म पर ख़ास ध्यान दे।   
  • स्वस्थ वजन बनाए रखे।   
  • संतुलित आहार ले।   
  • नियमित व्यायाम करे।   
  • नाशीली चीज़ो से दूर रहे।  
  • स्ट्रेस से दूर रहे।   
  • स्वस्थ वजन बनाये रखे।   
  • इर्रेगुलर पीरियड्स की परेशानी हो तो फर्टिलिटी डॉक्टर से परामर्श करे।   

ओव्यूलेशन से संबंधित रोग एवं उपचार : 

“डिम्बग्रंथि विकार” ओव्यूलेशन न होने का कारण हो सकता है। यह महिलाओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण है।

  1. एनोव्यूलेशन : यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमे स्त्रीबीजों का विकास नहीं होता है। जिन महिलाओं को यह बीमारी होती है उन्हें कई महीनों तक पीरियड्स नहीं आते हैं। इसके अलावा मासिक धर्म तो होता है लेकिन ओव्यूलेशन नहीं होता है।
  2. ओलिगो-ओव्यूलेशन : यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक महिला ओवुलेट करती है लेकिन नियमित रूप से नहीं करती है। ओव्यूलेशन 21-35 दिनों से अधिक समय में होता है। इस बीमारी में एग्ज तभी निकलते हैं जब महिला ओव्यूलेट करती है और निषेचन संभव होता है। लेकिन अगर ओव्यूलेशन देर से होता है, तो फॉलिकल्स की गुणवत्ता कम होती है।

ऐसे ओवुलेशन सम्बंधित विकारों से आपको गर्भधारण करने में कठिनाई है, तो जल्दी आपके फर्टिलिटी डॉक्टर से सम्पर्क करे। मोफत परामर्श करे। जहाँपर मेडिकेशन्स से लेकर IUI, IVF जैसे ट्रीटमेंट मौजूद है। जिसके साथ गर्भधारण करना आसान है और गर्भधारण की सम्भावना सुनिश्चित हो जाती है। 

ओवुलेशन के बाद गर्भधारण

ओवुलेशन के बाद प्रेगनेंसी के लक्षणों को पहचानने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि इन लक्षणों को प्रारंभिक अवस्थाओं में पहचाना बहुत मुश्किल है। फिर भी, कुछ ऐसे लक्षण है जो आपको प्रेग्नेंसी के संकेत दे सकते है:

  • मासिक धर्म का असामान्य होना।   
  • हल्की ब्लीडिंग।  
  • स्वाद बदल जाना।  
  • मूड स्विंग्स।  
  • पेट में दर्द होना।   
  • थकान महसूस करना।  
  • उल्टी आना।  
  • स्तनों में दर्द।  

कि फॅक्टर्स

अंडाशय द्वारा मच्यूअर एग रिलीज होने के बाद, फैलोपियन ट्यूब में 12 से 24 घंटे तक जीवित रह सकता है।

  • फैलोपियन ट्यूब में एक परिपक्व अंडा, शुक्राणु के साथ निषेचित होता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भावस्था होती है। (इसका मतलब है कि आप गर्भवती हो गई हैं।)
  • हर ओव्यूलेशन के दौरान एक बार में एक अंडाशय से एक ही फॉलिकल निकलता है।
  • ओव्यूलेशन के दौरान स्पर्म और एग के निषेचन के बाद, भ्रूण 6-12 दिनों तक फैलोपियन ट्यूब में रहता है।
  • गर्भधारण के 6-12 दिन बाद, भ्रूण गर्भाशय की परत में प्रत्यारोपित हो जाता है।
  • कुछ मामलों में, ओव्यूलेशन न होने पर भी मासिक धर्म हो सकता है।
  • कुछ मामलों में, मासिक धर्म न होने पर भी ओव्यूलेशन हो सकता है।
  • ओव्यूलेशन के दौरान अंडाशय में दर्द हो सकता है। इसे  ‘मिडल पेन’ कहा जाता है।

ओवुलेशन के बारे में लोग कोनसे प्रश्न सर्च करते है?

ओवुलेशन क्या होता है?

उत्तर: महिला के शरीर से अंडा रिलीज़ होने की प्रक्रिया को मेडिकल भाषा में ओवुलेशन कहा जाता है। ओवुलेशन पीरियड के दौरान एक स्त्री सबसे ज्यादा फर्टाइल होती है।  साथ ही इस दौरान आपके प्राकृतिक रूप से कंसीव करने के चान्सेस बढ़ जाते है। 

पीरियड के कितने दिन पहले ओवुलेशन होता है?

उत्तर: औसतन ओवुलेशन आपकी अगली माहवारी से लगभग २ सप्ताह पहले होता है।

ओवुलेशन पीरियड क्या होता है?

उत्तर: अंडाशय से एग रिलीज होकर उसके फैलोपियन ट्यूब में टहरने तक के कालावधि को ओवुलेशन पीरियड कहा जाता है।  

ओवुलेशन पीरियड कितने दिन तक रहता है?

उत्तर: ओवुलेशन पीरियड मासिक धर्म खतम होने लगभग सात दिन बाद शुरू होता है जो मासिक धर्म शुरू होने के २ सप्ताह पहले तक रहता है। 

ओवुलेशन कितने दिन में होता है?

उत्तर: हर महिला के लिए ओवुलेशन का समय अलग होता है ठीक वैसे ही जैसे हर महिला का मासिक चक्र अलग होता है। उदहारण के लिए अगर आपकी सायकल २८ दिन की है तो पीरियड के बाद के १४ वे दिन से आपका ओवुलेशन शुरू होगा।  

ओवुलेशन पीरियड कैसे कैलकुलेट करे?

उत्तर: आम तोर पर महिलाओ में मासिक चक्र २८ से ३५  दिन का होता है, और सामान्यतः आपके पीरियड ख़त्म होने के १२ से  १६  वें दिन से आपका ओवुलेशन पीरियड शुरू होता है।  

ओवुलेशन के लक्षण क्या है?

उत्तर: ५ में से १ महिला को ओवुलेशन के दौरान पेट में दर्द महसूस होता है। साथ ही कुछ महिलाएं  कमर में हल्का दर्द, सिर दर्द, शरीर के तापमान में बदलाव, और अन्य लक्षण महसूस करती है।

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