शुक्राणु की संख्या कैसे बढ़ाये?

बदलती जीवनशैली के साथ पुरुष इनफर्टिलिटी अब एक आम बात हो चुकी है और इसकी कई शिकायतों में से एक है शुक्राणु की संख्या में कमी आना। शुक्राणु स्वास्थ्य विभिन्न कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है, और शुक्राणुओं की संख्या उनमें से एक है। यदि आप माता-पिता बनने की कोशिश कर रहे हैं तो शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता का योग्य होना अधिक महत्वपूर्ण है। पर कई बार बदलती जीवनशैली, हार्मोन अस्तिरता, और मेडिकल प्रोब्लेम्स की वजह से पुरुषो में शुक्राणू कि कमी होने लगती है।

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सारांश : वीर्य मी शुक्राणू संख्या कि कमी या शुक्राणू कि खराब गुणवत्ता से गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है। हालाँकि कंसेप्शन के लिए १ शुक्राणु की जरुरत होती है, लेकिन ज्यादा और अच्छे क्वालिटी के शुक्राणु से नैसर्गिक गर्भधारण की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है।

इस बात को ध्यान रखते हुए शुक्राणु संख्या कैसे बढ़ाए, शुक्रणुओंकी नार्मल रेंज, शुक्राणु की कमी को कैसे पहचाने और निदान एवं उपलब्ध उपचार कौनसे है? इस बात पर चर्चा की है।

बदलती जीवनशैली के साथ पुरुष इनफर्टिलिटी अब एक आम बात हो चुकी है और इसकी कई शिकायतों में से एक है शुक्राणु की संख्या में कमी आना।
शुक्राणु स्वास्थ्य विभिन्न कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है, और शुक्राणुओं की संख्या उनमें से एक है। यदि आप माता-पिता बनने की कोशिश कर रहे हैं तो शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता का योग्य होना अधिक महत्वपूर्ण है। पर कई बार बदलती जीवनशैली, हार्मोन अस्तिरता, और मेडिकल प्रोब्लेम्स की वजह से पुरुषो में शुक्राणू कि कमी होने लगती है।

शुक्राणुओं की संख्या कितनी होनी चाहिए?

वैसे तो फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया के लिए एक ही शुक्राणु चाहिए, लेकिन शुक्राणुओं की संख्या जितनी अधिक हो गर्भावस्था की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। आम तोर पर फर्टाइल पुरुषो में शुक्राणुओं की संख्या 15 मिलियन शुक्राणु से 200 मिलियन से अधिक शुक्राणु प्रति मिलीलीटर (एम एल) होनी चाहिए जिससे नैचुरली गर्भधारणा हो सके।

शुक्राणू कि कमी से क्या होता है?

शुक्राणू कि कमी को मेडिकल भाषा में ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है। इस स्थिति में पुरुष के वीर्य में सामान्य स्पर्म संख्या से कम, यानि प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम शुक्राणु होते हैं। जिसकी वजह से गर्भधारणा में दिक्कत आती है।

स्पर्म काउंट कम होने के कारण | शुक्राणु की कमी के कारण

पुरुषों में लो स्पर्म काउंट के कारण कई हो सकते है। शुक्राणुजनन यानी स्पर्मेटोजेनेसिस की समस्याओं का कारण अक्सर हार्मोनल बदलाव या ब्लॉकेज होता है।

  • वैरीकोसेल
  • हार्मोन असंतुलन
  • संक्रमण
  • इजेकुलेशन के मेडिकल प्रोब्लेम्स
  • एक्सीडेंट या चोट का होना
  • स्पर्म ट्यूब में दोष
  • ट्यूमर
  • सीलिएक रोग
  • सर्जरी

साथ ही शुक्राणु में कमी के कारण जीवनशैली संबंधित भी होते है। जैसे:

  • नशीली चीजों का सेवन
  • कुछ खास प्रकार की दवाओं का सेवन
  • शराब और सिगरेट का सेवन
  • तनाव होना
  • वजन बढ़ना या मोटापा होना

इसी के साथ, सही जांच के आधार पर आपकी केस में शुक्राणु में कमी के सटीक कारण का पता लगाया जा सकता है।

स्पर्म काउंट कम होने के लक्षण | शुक्राणु की कमी के लक्षण

प्रोजेनेसिस फर्टिलिटी सेंटर के चीफ फर्टिलिटी कंसलटेंट डॉ. नरहरी मलगावकर कहते है, “लो स्पर्म काउंट की केसेस में पुरुषों में ज्यादा लक्षण नहीं देखते, कई पुरुषों को इस प्रॉब्लम के बारे में तब ही बता चलता है जब वो चेक-उप कराने आते है। फिर भी कुछ लक्षण है जो आपको लो स्पर्म काउंट होने की आशंका के संकेत देते है।”
लो स्पर्म काउंट या स्पर्म काउंट के कम होने के मुख्य लक्षणों में से एक है कंसीव करने में दिकत आना। पर इसी के साथ अन्य लक्षण जैसे:

  • सेक्सुअल फंक्शन में दिक्कत आना
  • यौन इच्छा में कमी होना
  • टेस्टिकल्स एरिया में दर्द, सूजन या गांठ का बनना
  • शरीर और चेहरे के बालों का कम होना
  • इजाकुलेशन बनाये रखने में दिकत आना

स्पर्म काउंट कम होने के लक्षणों में से एक है।
अगर आप ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए।

शुक्राणु की कमी का कारन जानने के लिए आजही संपर्क करे।

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शुक्राणु की क्वालिटी कैसे बढ़ाए?

जिंक (Zinc) से भरपूर पदार्थ खाये जैसे मछली, क्रैब पोल्ट्री फ़ूड जैसे चिकन, टर्की, नट्स, साबुत अनाज, फल और सब्जियां ये स्पर्म मोटिलिटी (गतिशीलता) के साथ स्पर्म क्वालिटी बढ़ने में भी मददगार है।
साथ ही व्यायाम की आदत लगाना फायदेमंद है। नियमित व्यायाम के माध्यम से हार्मोन्स संतुलित रहते है। जिससे स्पर्म की संख्या व गतिशीलता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

शुक्राणु की कमी क्या होती है?

लो स्पर्म काउंट यानि शुक्राणु की कमी को मेडिकल भाषा में ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) कहा जाता है। इस स्थिति में पुरुष के वीर्य में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम शुक्राणु होते हैं। इस स्पर्म संख्या को सामान्य से कम माना जाता है। जिससे गर्भधारणा में दिक्कत आती है।

लो स्पर्म काउंट का निदान कैसे करे?

इस स्तिथि के टेस्ट के अनेक तरीके है, जैसे:

  1. शारीरिक परीक्षा और मेडिकल हिस्ट्री: इसमें आपके टेस्टिकल्स की जांच की जाएगी और आपको स्वास्थ संबंधित प्रश्न पूछे जायेंगे जिसमे पुरानी स्वास्थ्य समस्या, बीमारी, चोट, या सर्जरी के बारे में प्रश्न पूछना शामिल है। साथ ही आपके डॉक्टर आपकी यौन आदतों और आपके यौन विकास के बारे में भी प्रश्न पूछ सकते है।
  2. वीर्य विश्लेषण परीक्षण (सीमेन अनालिसिस टेस्ट):
    • वीर्य विश्लेषण परीक्षण के दौरान शुक्राणुओं की संख्या का परिक्षण किया जाता है। आमतौर पर एक माइक्रोस्कोप के तहत वीर्य की जांच करके शुक्राणुओं की संख्या का पता लगाया जाता है।
  3. अन्य टेस्ट्स: निष्कर्षों के आधार पर, आपके डॉक्टर आपके शुक्राणुओं की संख्या और इनफर्टिलिटी के अन्य संभावित कारणों का पता लगाने के लिए अतिरिक्त टेस्ट की सिफारिश कर सकते है। इनमें शामिल हैं
    • स्क्रोटल अल्ट्रासाउंड टेस्ट
    • हार्मोन टेस्ट
    • जेनेटिक टेस्ट
    • टेस्टिकुलर बायोप्सी

लो स्पर्म काउंट यानि शुक्राणु की कमी के ट्रीटमेंट

Low sperm count treatment in Hindi

लो स्पर्म काउंट यानि शुक्राणु की कमी के ट्रीटमेंट में शामिल हैं:

  1. सर्जरी (TESA, PESA, Micro TESE): पुरषो में वैरीकोसेल की स्थिति को सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। साथ ही ऐसी स्थिति जहां सीमेन में कोई शुक्राणु मौजूद नहीं होता इन केसेस में स्पर्म रिट्रीवल तकनीक की मदत से अंडकोष या एपिडीडिमिस से स्पर्म्स प्राप्त किए जा सकते है।
  2. हार्मोन ट्रीटमेंट और दवाएं: आपके डॉक्टर उन मामलों में हार्मोन प्रतिस्थापन या दवाओं की सिफारिश कर सकते है जहां स्पर्म काउंट की कमी का कारण कुछ हार्मोन स्तिथिओं या समस्याओं के कारण होता है।
  3. असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी): एआरटी उपचार में आपकी विशिष्ट स्थिति के आधार पर शुक्राणुओं का चयन किया जाता है। इसमें एडवांस्ड एआरटी तकनीक जैसे आईवीफ़- इक्सी (IVF-ICSI) और इमसी (IMSI) शामिल है। साथ ही इस तकनीक में दाता शुक्राणु प्राप्त किये जा सकते है।

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स्पर्म काउंट कैसे बढ़ाये?  शुक्राणुओं की संख्या कैसे बढ़ाये?

  • स्वस्थ वजन बनाए रखें: स्वस्थ शुक्राणुओं की संख्या के लिए आपके शरीर में हार्मोन का सही संतुलन होना महत्वपूर्ण है। अतिरिक्त वजन हॉर्मोन के संतुलन को बिगाड़ता है और आपके शुक्राणु के स्वास्थ्य के हर पहलू को प्रभावित कर सकता हैं।
  • योग्य आहार ले: ताजा, संपूर्ण खाद्य पदार्थ, विशेष रूप से फलों और सब्जियों में एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन होते हैं जो फर्टिलिटी को बनाये रखने में मदत करते है। प्रोसेस्ड फास्ट फूड से दूर रहे।
  • वर्कआउट स्किप न करें: स्वस्थ शुक्राणु उत्पादन के लिए व्यायाम महत्त्वपूर्ण है। शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए बाहरी गतिविधियां सबसे प्रभावी उपाय मानी जाती है। डॉक्टर अक्सर सप्ताह में कम से कम 150 मिनट के लिए मध्यम शारीरिक वर्कआउट की सलाह देते हैं।
  • नशे से दूर रहे: चाहे वो धूम्रपान, शराब, ड्रग्स या किसी भी प्रकार का नशा हो। यदि आप पिता बनने की कोशिश कर रहे है तो हर प्रकार के नशे से परहेज़ करे।
  • गर्मी से दूर रहे: शुक्राणु एक संकीर्ण तापमान सीमा (आमतौर पर आपके मुख्य शरीर के तापमान से दो से तीन डिग्री कम) पर रहते और कार्य करते हैं। हॉट टब में ज्यादा देर रहना या लैपटॉप गोद में लिए काम करना आपके अंडकोष को बहुत अधिक गर्मी के संपर्क में लाता है, जिससे इनफर्टिलिटी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। एक लैपटॉप द्वारा उत्पन्न गर्मी का गर्म टब के समान प्रभाव हो सकता है। इसलिए जब आप काम करते हैं तो इसे डेस्क या टेबल पर रखना बेहतर होता है।साथ ही हॉट टब में भी कम वक़्त बिताये।
  • टाइट अंडरगारमेंट्स न पहनें: अपने टेस्टिकल्स के भीतर योग्य तापमान बनाए रखना जरुरी है। इसलिए आरामदायक अंडरगारमेंट्स पहना जरुरी है जिससे टेस्टिकल्स को पर्याप्त हवा और सही तापमान मिले। रिसर्च के मुताबिक टाइट अंडरगारमेंट्स पहनने से न सिर्फ शुक्राणुओं की क्वालिटी खराब होती है बल्कि उनकी संख्या घटने की संभावना भी बढ़ जाती है।

शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए क्या खाये?

सही खान पान की आदते आपको शुक्राणुओं की संख्या बनाए रखने और बढ़ाने में मदत कर सकती है।

नीचे दी गयी चीज़ो को अपने डाइट में शामिल कर आपको मदत मिल सकती है:
फ्रेश फल और सब्जिया जैसे खट्टे फल, अंगूर, केले, अनार, गाजर, लौकी, लहसुन, चुकंदर, तोरई, करेला, टमाटर कद्दू आदि। रिसर्च के मुताबिक इन फल और सब्जियों में मौजूद जिंक और ओमेगा 3 फैटी एसिड ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के साथ स्पर्म काउंट और स्पर्म क्वालिटी भी बढ़ता है।

  • फोलिक एसिड से भरपूर सब्जिया: हरी सब्जिया जैसे ब्रोकोली, पालक आदि।
  • साबूत गेहूं और अनाज: मक्का, बाजरा, पुराना चावल, गेहूं, रागी, जई, सोयाबीन, आदि।
  • प्रोटीन युक्त दाल: मूंग दाल, मसूर दाल, अरहर दाल और चना दाल जैसी दाले।
  • ड्राई फ्रूट्स और बीज: अखरोट, अंजीर, बादाम, मखाना, किशमिश, खजूर, सूरजमुखी के बीज, अलसी, चिया के बीज आदी। भरपूर दूध और दूध उत्पाद।
  • अंडे का सेवन करे: प्रोटीन और विटामिन डी से भरपूर अंडे शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उनकी गतिशीलता में सुधार के लिए एक बेहतरीन विकल्प माने जाते हैं।
  • मछलियां विशेश तोर पर साल्मन, कॉड और हैडॉक।
  • विटामिन डी, ई, सी से भरपूर पदार्थ का सेवन करे ।

ध्यान दे
अपने आहार में ऊपर दिए गए किसी भी खाद्य पदार्थ को शामिल करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
जबकि ये टिप्स फायदेमंद है, कुछ केसेस में ये आपकी स्थिति के लिए हानिकारक भी साबित हो सकती है। हमारी सलाह है अपने डॉक्टर से पूछे बिना किसी भी चीज़ का अनुकरण ना करे।

आखिर शुक्राणु की कमी से कैसे बचे?

शुक्राणुओं की संख्या को कम होने से रोका जा सकता है।
कुछ ख़ास ऐसे कारक हैं जो शुक्राणुओं की संख्या और क्वालिटी को प्रभावित करते हैं। इन्हें अपनी जीवनशैली से दूर करके शुक्राणु में होने वाली कमी से बचाव किया जा सकता है।
इन बातो का खास ध्यान रखे:

  • नशीली चीजों के सेवन से दूर रहें
  • संतुलित आहार ले
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें
  • गर्मी से बचें
  • तनाव से दूर रहें
  • वर्कआउट स्किप न करें

इसी के साथ हेल्थी डाइट, व्यायाम और सक्रिय जीवन शैली शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
शुक्राणुओं की कमी होने के साथ पुरुषो में निल स्पर्म काउंट की कई शिकायते सामने आ रही है।

इसी पर अधिक जानकारी पाने के लिए डॉ. नरहरी मलगावकर जी का ये वीडियो जरूर देखे:

FAQs

स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए?

जवाब: शुक्राणुओ की संख्या 15 मिलियन शुक्राणु से 200 मिलियन से अधिक प्रति मिलीलीटर (एम एल) होनी चाहिए।

स्पर्म काउंट कम होने के कारण क्या है?

जवाब: स्पर्म काउंट कम होने के कई कारण हो सकते है जैसे:
– हार्मोंस में बदलाव
– स्पर्म के रास्ते में रुकावट
– या टेस्टिकल्स में सूजन या गाठ बनना
– जीवन शैली में बदलाव
– मोटापा
– सिगरेट, शराब, ड्रग्स आदि का सेवन
– अस्वास्थ्यकारी आहार

स्पर्म काउंट को कैसे बढ़ाए?

जवाब: विटामिन डी, विटामिन ई और अंडे का सेवन स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी को बढ़ाने में मदत करता है।

निल शुक्राणु क्या है?

जवाब: इस स्तिथि में शुक्राणुओं की संख्या निल यानी शुन्य हो जाती है जिसकारण गर्भधारणा नहीं रह पाती।

स्पर्म काउंट कम होने के लक्षण क्या हैं?

जवाब:
– कामेच्छा में कमी
– इरेक्शन में तकलीफ होना
– टेस्टिस में दर्द
– सूजन या गांठ का होना
– शरीर के बालों का कम होना

स्पर्म काउंट कम होने पर पुरुष के द्वारा महिला का गर्भधारण हो सकता है?

जवाब: स्पर्म काउंट कम होने पर गर्भधारणा की संभावना बहुत कम होती है।

पुरुष किस उम्ब्र तक शुक्राणु पैदा कर सकता है?

जवाब: 40 वर्ष की उम्ब्र तक शुक्राणु पैदा कर सकता है।

एक दिन कितने स्पर्म्स बनते है?

जवाब: एक स्वस्थ पुरुष के शरीर में एक दिन में लाखों की संख्या में स्पर्म बनते हैं।

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